मीन लग्न की जन्मपत्री में गुरु लग्नेश, दशमेश होकर एक योगकारक गृह बनते हैं वहीँ चंद्र त्रिकोण के स्वामी हैं, पंचमेश हैं । एक योगकारक गृह हैं, शुभ फलप्रदायक हैं । दोनों ग्रहों की किसी शुभ भाव में युति से गजकेसरी योग अवश्य बनता है । ध्यान देने योग्य है की चंद्र गुरु में से कोई भी किसी भी प्रकार से बलहीन न हो । ऐसी स्थिति में आने से यह योग अपना पूर्ण फल प्रदान नहीं कर पाता ।
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मीन लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in first house in Pisces/Meen lgna kundli :
प्रथम में भाव में गुरुचंद्र की युति से जातक सभी भौतिक सुखों से परिपूर्ण, प्रखर बुद्धि का स्वामी, आकर्षक व्यक्तित्व से युक्त, धार्मिक प्रवृत्ति का होता है । विदेश यात्राओं और साझेदारी के काम से भी धन कमाने वाला बुद्धिमान संतान से युक्त होता है । मीन लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में गजकेसरी योग अवश्य बनता है । प्रेम विवाह के योग भी बनते हैं ।
मीन लग्न की कुंडली में द्वितीय भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in second house in Pisces/Meen lgna kundli :
गुरुचंद्र की दशाओं में धन, परिवार, कुटुंब का पूर्ण सहयोग रहता है, रुकावटें दूर होती हैं, कोई परिवारजन अस्वस्थ होता है, प्रतियोगिता परीक्षा में विजय के योग बनते हैं । मीन लग्न की कुंडली में दुसरे भाव में भी गजकेसरी योग बनता है ।
मीन लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in third house in Pisces/Meen lgna kundli :
यहाँ गुरु चंद्र परिश्रम में वृद्धिकारक हो जाते हैं, दोनों ग्रहों की दशाओं में परिश्रम में वृद्धि होती है, विदेश यात्राओं के योग भी बनते हैं । परिश्रम से लाभ होता है । गजकेसरी योग नहीं बनता ।
मीन लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in fourth house in Pisces/Meen lgna kundli :
गुरुचंद्र की दशाएँ सुखों में वृद्धिकारक होती हैं, रुकावटें दूर होती हैं, नए मकान, वाहन का योग बनता है, नौकरी अथवा व्यवसाय अथवा दोनों में उन्नति होती है । विदेश से लाभ के अवसर बनते हैं । इस भाव में गजकेसरी योग अवश्य बनेगा ।
मीन लग्न की कुंडली में पंचम भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in fifth house in Pisces/Meen lgna kundli :
गुरुचंद्र की दशाओं में विल पावर बहुत स्ट्रांग होती है, उच्च शिक्षा के, किसी विषय में रिसर्च के योग बनते हैं, बड़े भाई बहन से खूब अच्छी निभती है, धन लाभ होता है, स्वास्थ्य भी उत्तम रहता है । पंचम भाव में भी गजकेसरी योग अवश्य बनेगा ।
मीन लग्न की कुंडली में छठे भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in sixth house in Pisces/Meen lgna kundli :
त्रिक भावों में कोई योग नहीं बनता । कोर्ट केस में भी पैसा व्यय होने के चान्सेस बनते हैं । नौकरी/व्यापार में पैशानियाँ बढ़ती हैं । प्रॉपर्टी, व्हीकल से परेशानियां बढ़ती हैं । संतान का स्वास्थ्य खराब रह सकता है ।
मीन लग्न की कुंडली में सातवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in seventh house in Pisces/Meen lgna kundli :
गुरु चंद्र की दशाएं शुभफलदायी होती हैं । स्वास्थ्य उत्तम रहता है, परिश्रम से लाभ होता है । दोनों ग्रहों की दशाओं में प्रेम विवाह के योग बनते हैं । गजकेसरी योग बनता है ।
मीन लग्न की कुंडली में आठवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in eighth house in Pisces/Meen lgna kundli :
आठवाँ भाव त्रिक भाव में से एक होता है, शुभ नहीं कहा जाता है । इस भाव में गुरु चंद्र की युति से कोई योग नहीं बनता है । दोनों ग्रहों की दशाओं में जातक मृत्यु तुल्य कष्ट भोगता है ।
मीन लग्न की कुंडली में नौवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in ninth house in Pisces/Meen lgna kundli :
इस भाव में चन्द्रमा अपनी नीच राशि वृश्चिक में आ जाते हैं तो नीच के चंद्र की दशाओं में पिता से नहीं बनती, परिश्रम का फल बहुत अल्प मात्रा में प्राप्त होता है, यात्राओं से लाभ नहीं होता है । गुरु की दशाओं में परिश्रम का उत्तम फल प्राप्त होता है, जातक धार्मिक यात्राएं करता है, विदेश यात्राओं के योग बनते हैं । इस समय ईष्ट देवी देवता भी जातक की सहायता करते हैं । भाग्य साथ देता है । गजकेसरी योग नहीं बनता ।
मीन लग्न की कुंडली में दसवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in tenth house in Pisces/Meen lgna kundli :
गुरुचंद्र की दशाएं बहुत शुभ फलदायक रहती हैं । सुखों में वृद्धि होती हैं, रुकावटें दूर होती हैं, नए मकान, वाहन का योग बनता है, नौकरी अथवा व्यवसाय अथवा दोनों में उन्नति होती है । प्रॉपर्टी से लाभ के योग बनते हैं । इस भाव में गजकेसरी योग अवश्य बनेगा ।
मीन लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in eleventh house in Pisces/Meen lgna kundli :
गुरु की दशाओं में अचानक धन हानि होने के योग बनते हैं, जातक को परिश्रम का उचित फल प्राप्त नहीं होता है, प्रॉपर्टी से लॉस की सम्भावना बनती है । चंद्र की दशाओं में अचानक लाभ होता है, पुत्री का योग बनता है । गुरु के नीच राशि में आने से इस भाव में गजकेसरी योग नहीं बनता ।
मीन लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में गजकेसरी योग Gajkesari yoga in twelth house in Pisces/Meen lgna kundli :
बारहवां भाव त्रिक भावों में से एक होता है, शुभ नहीं माना जाता है । दोनों ग्रहों की दशाओं में व्यर्थ का व्यय लगा ही रहता है । कोर्ट केस में धन व्यय होने के योग बनते हैं ।
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