मीन लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्तियों के लिए धनप्रदाता ग्रह मंगल है। धनेश मंगल की शुभाशुभ स्थिति, धन स्थान से संबंधित स्थापित करने वाले ग्रहों की स्थिति एवं धन स्थान पर पड़ने वाले ग्रहों के दृष्टि संबंध से जातक की आर्थिक स्थिति, आय के स्रोत तथा चल-अचल संपत्ति का पता चलता है। इसके अतिरिक्त पंचमेश चंद्रमा, लग्नेश बृहस्पति एवं लाभेश शनि की अनुकूल स्थितियां भी मीन लग्न वाले जातकों के लिए धन व ऐश्वर्य को बढ़ाने में सहायक होती हैं। वैसे मीन लग्न के लिए शनि, शुक्र, बुध और सूर्य अशुभ होते हैं। मंगल और चंद्र शुभ फलदायक होते हैं, अकेला गुरु राजयोग कारक होता है।
शुभ युति : गुरु + मंगल
अशुभ युति : गुरु + शुक्र
राजयोग कारक : गुरु व चन्द्र
मीन लग्न में लग्नस्थ बृहस्पति यदि बुध एवं मंगल से युत या दृष्ट हो तो जातक महाधनशाली व्यक्ति होता है।मीन लग्न में मंगल मेष, वृश्चिक या मकर राशि का हो तो ऐसा जातक अल्पप्रयत्न से बहुत धन कमाता है। धन के मामले में ऐसा जातक भाग्यशाली कहलाता है।मीन लग्न में बृहस्पति लग्न में हो तथा बुध व शनि अपनी स्वराशि में हो तो ऐसा व्यक्ति धनवानों में अग्रगण्य होता है। लक्ष्मीजी जीवन भर हर कदम पर उसके साथ चलती हैं।मीन लग्न में मंगल यदि शनि के घर में एवं शनि मंगल के घर में परस्पर स्थान परिवर्तन करके बैठे हो तो ऐसा जातक महाभाग्यशाली होता है, एवं जीवन में खूब धन कमाता है।मीन लग्न में बृहस्पति केंद्र या त्रिकोण में कहीं भी हो तथा मंगल स्वगृही हो तो ऐसा जातक कीचड़ में कमल की तरह खिलता है, अर्थात निम्न परिवार में जन्म लेकर भी वे धीरे-धीरे अपने पुरुषार्थ के बल पर करोड़पति बन जाता है।मीन लग्न में पंचम में चंद्रमा स्वगृही हो तथा शनि मकर राशि का लाभ स्थान में स्वगृही हो तो जातक लखपति बनता है।मीन लग्न में कर्क का बुध पांचवे स्थान में तथा मकर का शनि लाभ स्थान में हो तो जातक बहुत धनी होता है।मीन लग्न में चंद्रमा पांचवे व गुरु स्वगृही बैठा हो तो जातक महाधनी होता है।मीन लग्न में यदि लग्न स्थान में बृहस्पति चंद्र एवं मंगल की युति हो तो “महालक्ष्मी योग” बनता है। ऐसा जातक प्रबल पराक्रमी, धनवान एवं ऐश्वर्यवान होता है।मीन लग्न में बृहस्पति मकर राशि में हो तथा शनि मीन राशि में हो तो जातक शत्रुओं का नाश करते हुए स्वअर्जित धनलक्ष्मी को भोगता है। ऐसा व्यक्ति जीवन में बहुत रुपया कमाता है।मीन लग्न में लग्नेश बृहस्पति, धनेश मंगल एवं लाभेश शनि अपनी अपनी उच्च या स्वराशि में स्थित हों तो जातक करोड़पति होता है।मीन लग्न में सप्तम भाव में राहु, शुक्र, मंगल और शनि की युति हो तो जातक अरबपति होता है।मीन लग्न में धनेश मंगल यदि आठवें हो किंतु सूर्य यदि लग्न को देखता हो तो ऐसे जातक को जमीन में गड़े हुए धन की प्राप्ति होती है या लॉटरी से रुपया मिल सकता है।मीन लग्न में मंगल यदि नवम भाव में वृश्चिक राशि का हो तो “रुचक योग” बनता है। ऐसा जातक राजा तुल्य जीवन जीता है एवं अथाह भूमि व संपत्ति का मालिक बनता है।मीन लग्न में सुखेश बुध, लाभेश शनि यदि नवम भाव में मंगल से दृष्ट हो तो जातक को अनायास ही धन की प्राप्ति होती है।मीन लग्न में धनेश मंगल अष्टम में एवं अष्टमेश शुक्र धन स्थान में परस्पर स्थान परिवर्तन करके बैठे हो, तो ऐसा जातक गलत तरीके जैसे- जुआ, सट्टा से धन कमाता है।मीन लग्न में लग्नेश गुरु धन भाव में हो एवं मंगल का लग्न से संबंध हो तो ऐसा जातक उच्च कोटि का व्यापारी होता है, एवं व्यापार से बहुत धन कमाता है।
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