मेष लग्न के लिए सूर्य पंचम का स्वामी है इस कारण संतान सुख और विद्या बुद्धि के लिए सूर्य का रत्न माणिक धारण करना शुभ होता है।
मेष लग्न में बृहस्पति त्रिकोण भाग्य और द्वादश स्थान के स्वामी है अतः गुरु द्वादशस होते हुए अपनी राशि का फल देता है इसलिए बृहस्पति इस लग्न के लिए शुभ होते है अतः गुरु का रत्न पुखराज धारण करने से भाग्य बल बुद्धि विद्या मैं उन्नति धन मान प्रतिष्ठा तथा भाग्य में उन्नति होती है बृहस्पति की महादशा में पुखराज धारण करने से उच्च स्तरीय सफलता प्राप्त होती है।
मेष लग्न में मंगल लग्न का स्वामी है और मंगल अष्टमेश का स्वामी होता है अतः मेष लग्न का स्वामी होने से अष्टमेश का दोष नहीं लगता इसलिए मेष लग्न के जातक को मंगल का रत्न मूंगा धारण करना चाहिए मूंगा धारण करने से आयु बुद्धि स्वास्थ उन्नति यस मान प्रतिष्ठा प्राप्त होती है तथा जातक को सभी प्रकार का सुख मिलता है।
मेष लग्न में चंद्रमा चतुर्थ स्थान का स्वामी है अतः मोती धारण करने से मेष लग्न के जातक को मानसिक शांति मात्र सुख ग्रह भूमि लाभ आदि प्राप्त कर सकता है मोती रत्न पहनने से चंद्र की महादशा में अत्यंत लाभदायक होता है यदि मोती लग्नेश मंगल के रत्न के साथ पहना जाए तो और भी अधिक लाभकारी फल देता है।
Table of Contents
लग्न में कौन से रत्न नहीं पहनना चाहिए
पन्ना हीरा नीलम कभी धारण नहीं करना चाहिये।
रत्न धारण केसे करे
सूर्य का रत्न माणिक सूर्य के होरे में मंगल का रत्न मूंगा मंगल के होरे में बृहस्पति का रत्ना पुखराज बृहस्पति के होरे में और चंद्र का मोती चंद्र के होरे में धारण करने चाहिये।
या कोई भी पुष्य नक्षत्र या गुरु पुष्य नक्षत्र मैं धारण करना चाहिये।
यह ध्यान रहे उस वक्त राहु काल ना हो अमावस्या, ग्रहण और संक्रान्ति के दिन भी रत्न धारण ना करें। कोई भी रत्न सवा 4 कैरेट से 8 कैरेट के बीच में जो भी वजन का मिले वह उंगली में या लॉकेट में धारण करना चाहिये।
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