Loading...

299 Big Street, Govindpur, India

Open daily 10:00 AM to 10:00 PM

मेष लग्न की कुंडली में केतु – Mesh Lagn Kundali me Ketu :

वैदिक ज्योतिष में केतु को एक मोक्षकारक पापी , क्रूर , छाया गृह के रूप में देखा जाता है । इन्हें मंगल देवता जैसे परिणाम देने वाला भी कहा जाता है । अपनीमहादशा में केतु एक के बाद एक चौंकाने वाले परिणाम दे सकते हैं । इनका अपना कोई घर नहीं होता । इसलिए केतु देवता जिस घर या राशि में जाते हैं उसकेअनुरूप ही परिणाम देते हैं । वृश्चिक और धनु केतु की उच्च और वृष व् मिथुन नीच राशियां मानी गई हैं ।आइये जानते हैं मेष लग्न की कुंडली के बारह भावों में केतुके परिणाम ।


मेष लग्न – प्रथम भाव में केतु – Mesh Lagan – Ketu pratham bhav me :

यदि मेष राशि में लग्न में राहु हो तो जातक को मति भ्र्म होता है । राहु की महादशा में पेट खराब रहता है , पुत्र को कष्ट होता है , अचानक हानि होती है । दाम्पत्यजीवन में कलह रहती है , साझेदारी के काम में घाटा होता है , पिता से संबंध खराब रहते हैं ( कार्य सिद्धि होने तक संबंध ठीक हो सकते हैं ) , जातक नास्तिक,विदेश यात्राएं करने वाला होता है ।

मेष लग्न – द्वितीय भाव में केतु – Mesh Lagan – Ketu dwitiya bhav me :

वृष केतु की नीच राशि है । ऐसे जातक का मन चिंतित ताहता है , धन , परिवार कुटुंब का साथ नहीं मिलता है । जातक का अपनी वाणी पर नियंत्रण होता है । प्रतियोगिता में असफल होता है । हर काम में रुकावट आती है । प्रोफेशनल लाइफ परेशानियों भरी होती है ।

मेष लग्न – तृतीय भाव में केतु – Mesh Lagan – Ketu tritiy bhav me :

मिथुन भी केतु की नीच राशि होती है । छोटे – बड़े भाई बहनों से कलह रहती है । जातक का भाग्य उसका साथ नहीं देता है ।। पितृभक्त , धार्मिक प्रवृत्ति का नहींहोता है। दाम्पत्य जीवन सुखी नहीं रहता है , साझेदारी के काम में लाभ नहीं मिलता है ।

मेष लग्न – चतुर्थ भाव में केतु – Mesh Lagan – Ketu chaturth bhav me :

चतुर्थ भाव में शत्रु राशि में आने से जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का पूर्ण सुख नहीं मिलता है । रुकावटें दूर होने का नाम नहीं लेती है । काम काज भीबेहतर स्थिति में नहीं होता है । विदेश सेटलमेंट की सम्भावना बनती है ।

मेष लग्न – पंचम भाव में केतु – Mesh Lagan – Ketu pncham bhav me :

मन में कोई ना कोई चिंता बनी रहती है । संतान को कष्ट होता है । अचानक हानि की स्थिति बनती है । बड़े भाइयों बहनो से संबंध संतोषजनक नहीं रहते हैं ।जातक की याददाश्त कमजोर होती है और नास्तिक प्रवृत्ति का होता है । ऐसे जातक की पिता से नहीं बनती ।

मेष लग्न – षष्टम भाव में केतु – Mesh Lagan – Ketu shashtm bhav me :

बुध विपरीत राजयोग की स्थिति में हो तो केतु यहां शुभ फल प्रदान करते हैं । इसके विपरीत यदि विपरीत राजयोग नहीं बना तो कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होताहै । दुर्घटना का भय बना रहता है । प्रोफेशनल लाइफ खराब होती जाती है । परिवार का साथ नहीं मिलता है ।

मेष लग्न – सप्तम भाव में केतु – Mesh Lagan – Ketu saptam bhav me :

यदि शुक्र स्वयं शुभ स्थित हों तो जातक कुशाग्र बुद्धि , मेहनती वाणी से कठोर , छोटे भाई बहनो और परिवार का साथ पाने वाला होता है । पत्नी बुद्धिमान होती है व्साझेदारों से लाभ मिलता है । बड़े भाई बहन से लाभ मिलता है ।

मेष लग्न – अष्टम भाव में केतु – Mesh Lagan – Ketu ashtam bhav me :

यहां केतु के अष्टम भाव में स्थित होने से जातक के हर काम में रुकावट आती है । केतु की महादशा में टेंशन बनी रहती है । बुद्धि साथ नहीं देती है । पिता से संबंधखराब होते हैं, फिजूल खर्चा होता है , परिवार का साथ नहीं मिलता है । सुख सुविधाओं का अभाव रहता है । विदेश सेटलमेंट हो सकती है ।

मेष लग्न – नवम भाव में केतु – Mesh Lagan – Ketu nvm bhav me :

धनु केतु की उच्च राशि है । अतः जातक बुद्धिमान , धार्मिक , पितृ भक्त , उत्तम संतान युक्त होता है । मेहनत का फल अवश्य मिलता है। विदेश यात्रा करता है ।

मेष लग्न – दशम भाव में केतु – Mesh Lagan – Ketu dasham bhav me :

शनि शुभ स्थित हों तो यहां मित्र राशि मकर में आने से जातक को भूमि , मकान , वाहन का सुख मिलता है । माता के सुख में कमी आती है । काम काज बहुतअच्छा चलता है । परिवार साथ देता है , प्रतियोगिता में जीत होती है ।

मेष लग्न – एकादश भाव में केतु – Mesh Lagan – Ketu ekaadash bhav me :

एकादश भाव में स्थित होने पर बड़े भाई बहनो का स्नेह बना रहता है । पुत्र प्राप्ति का योग बनता है । केतु की महादशा में अचानक धन लाभ की संभावना बनती है ।पत्नी साझेदारों से लाभ प्राप्त होता है । शनि शुभ स्थित न हों तो परिणाम विपरीत जानें ।

मेष लग्न – द्वादश भाव में केतु – Mesh Lagan – Ketu dwadash bhav me :

पेट में बीमारी लगने की संभावना रहती है । मन परेशान रहता है । कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । कम्पटीशन में असफलता हाथ लगती है , भूमि , मकान , वाहन का सुख नहीं मिलता है । माता के सुख में कमी आती है । सभी कार्यों में रूकावट आती है और टेंशन-डिप्रेशन लगातार बना रहता है । ऐसी स्थिति में किसीयोग्य विद्वान से कुंडली निरीक्षण अवश्य करवाएं ।
ध्यान दें …केतु रत्न लहसुनिया धारण करने से पूर्व अपनी जन्मपत्री किसी योग्य विद्वान को अवश्य दिखाएं । कौतूहलवश कोई भी रत्न धारण न करें अन्यथा आपअपने लिए ऐसी कोई समस्या कड़ी कर लेंगे जिसका निदान डॉक्टर्स के पास भी नहीं होता है । आपका दिन शुभ व् मंगलमय हो ..।

Written by

Your Astrology Guru

Discover the cosmic insights and celestial guidance at YourAstrologyGuru.com, where the stars align to illuminate your path. Dive into personalized horoscopes, expert astrological readings, and a community passionate about unlocking the mysteries of the zodiac. Connect with Your Astrology Guru and navigate life's journey with the wisdom of the stars.

Leave a Comment

Item added to cart.
0 items - 0.00