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मिथुन लग्न वालों के लिए मित्र और शत्रु रत्न
रत्न पहनने के लिए दशा-महादशाओं का अध्ययन भी जरूरी है। केंद्र या त्रिकोण के स्वामी की ग्रह महादशा में उस ग्रह का रत्न पहनने से अधिक लाभ मिलता है। जन्म कुंडली में त्रिकोण सदैव शुभ होता है इसलिए लग्नेश, पंचमेश व नवमेश का रत्न धारण किया जा सकता है।
मिथुन लग्न में सूर्य तीसरे भाव का स्वामी होता है। अत: इस कुंडली में माणिक्य धारण करना कभी भी लाभकारी नहीं होगा।मिथुन लग्न में चंद्र दूसरे स्थान का स्वामी है जिसे धन भाव भी कहते हैं। चंद्र की महादशा में तो किसी भी लग्न का जातक मोती धारण कर सकता है लेकिन ऐसी स्थिति में यह बहुत आवश्यक नहीं है क्योंकि मिथुन लगन के लिए चंद्रमा मार्केश है लेकिन इसके बाद भी यदि चंद्रमा दूसरे भाव का स्वामी होकर नौवें, दसवें या फिर ग्यारवें भाव में हो तो मोती पहना जा सकता है या दूसरे भाव में चंद्रमा कर्क राशि के साथ स्वराशि का होकर बैठा हो तो धन लाभ के लिए मोती धारण किया जा सकता है।मिथुन लग्न में मंगल छठें और ग्यारवें भाव का स्वामी होता है। लग्न स्वामी बुध और मंगल के बीच परम शत्रुता होने के कारण इस लग्न के जातक को मूंगा धारण नहीं करना चाहिए। विशेषकर मंगल की महादशा में तो मूंगा पहनना बेहद हानिकारक होगा।मिथुन लग्न में बुध चतुर्थभाव का स्वामी होता है। इस लग्न के व्यक्तियों को पन्ना अवश्य धारण करना चाहिए क्योंकि यह कष्ट और विपत्ति से बचने के लिए उनकी सहायता करता है। बुध की महादशा में इस लग्न के लिए पन्ना विशेष लाभकारी होगा।मिथुन लग्न में बृहस्पति सातवें और दशवें भाव का स्वामी होता है। इस कारण यह केद्रपति दोष से दूषित होता है। इसके बाद भी अगर गुरू लग्न, दूसरे, ग्यारवें या किसी केंद्र भाव में हो तो उसकी महादशा में पुखराज का पहना जा सकता है। इससे धन और संतान-सुख प्राप्त होगा। लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि मिथुन लग्न में गुरू प्रबल मारकेश है अत: धन व सांसारिक सुख देने के बाद भी यह मारक बन जाता है। इसलिए यदि बहुत आवश्यक न हो मिथुन लग्न में पुखराज न धारण करें।मिथुन लग्न में शुक्र पांचवें और बारहवें भाव का स्वामी है। पांचवें भाव में शुक्र की मूल राशि होती है अत: इस लग्न के लिए शुक्र शुभ माना गया हे। लेकिन मिथुन लग्न के स्वामी बुध और शुक्र में मित्रता होती है इसलिए सिर्फ मिथुन लग्न वालों को सुख, बुद्धि, बल, यश-कीर्ति, मान-सम्मान तथा भाग्योदय के लिए सिर्फ शुक्र की महादशा में ही हीरा पहनना चाहिए। इतना ही नहीं यदि हीरे को पन्ने के साथ धारण करेंगे तो असाधारण फल प्राप्त होंगे।मिथुन लग्न में शनि आठवें और नौवें भाव का स्वामी होता है। नौवें भाव का स्वामी होने से शनि इस राशि के लिए शुभ ग्रह है। इसलिए पन्ना पहना जा सकता है। यदि शनि की महादशा में मिथुल लग्न वाले नीलम धारण करें तो अच्छे फल मिलेंगे। पन्ने के साथ नीलम पहनने पर इस लग्न के जातक असाधारण फल प्राप्त कर सकते हैं।
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