मिथुन लग्न कुंडली में देव गुरु बृहस्पति सप्तमेश, दशमेश होते हैं । अतः इस लग्न कुंडली में गुरु एक सम गृह हैं ।मिथुन लग्न की कुंडली के उचित विश्लेषण के बाद जातक को गुरु रत्न पुखराज धारण करवाया जा सकता है । उचित विश्लेषण के अभाव में कोई भी रत्न धारण नहीं करना चाहिए । ध्यान दें की कारक ग्रह का बलाबल में सुदृढ़ होना और शुभ स्थित होना उत्तम जानना चाहिए और मारक गृह का बलाबल में कमजोर होना उत्तम जानें । कुंडली के उचित विश्लेषण के बाद हीउपाय संबंधी निर्णय लिया जाता है की उक्त ग्रह को रत्न से बलवान करना है, दान से ग्रह का प्रभाव कम करना है, कुछ तत्वों के जल प्रवाह से ग्रह को शांत करना है या की मंत्र साधना से उक्त ग्रह का आशीर्वाद प्राप्त करके रक्षा प्राप्त करनी है । मंत्र साधना सभी के लिए लाभदायक होती है । आज हम मिथुन लग्न कुंडली के १२भावों में देव गुरु वृहस्पति के शुभाशुभ प्रभाव को जान्ने का प्रयास करेंगे ।
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मिथुन लग्न – प्रथम भाव में गुरु – Mithun Lagan -Brihaspati pratham bhav me :
मिथुन राशि में लग्न में स्थित होने पर गुरु को दिशा बल मिलता है । यदि लग्न में बृहस्पति हो तो जातक ज्ञानवान, आस्थावान, पितृ भक्त और बुद्धिमान होता है । गुरु की महादशा, अंतर्दशा में पुत्र प्राप्ति का योग बनता है, स्वास्थ्य अच्छा रहता है , संकल्प शक्ति मजबूत हो जाती है, दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है, साझेदारी के काम में लाभ मिलता है, विदेश यात्राएं होती हैं ।
मिथुन लग्न – द्वितीय भाव में गुरु – Mithun Lagan – Brihaspati dwitiya bhav me :
उच्च राशिस्थ होने से ऐसे जातक को धन, परिवार कुटुंब का भरपूर साथ मिलता है । मधुर वाणी होती है । अपनी ऊर्जा, प्रभाव, वाणी, निर्णय क्षमता से सभी मुश्किलों को पार क्र लेता है । प्रतियोगिता, कोर्ट केस में जीत होती है । रुकावटें दूर होती हैं और प्रोफेशनल लाइफ में उन्नति होती है ।
मिथुन लग्न – तृतीय भाव में गुरु – Mithun Lagan – Guru tritiy bhav me :
जातक बहुत परश्रमी होता है । जातक का भाग्य खूब मेहनत के बाद ही उसका साथ देता है ।। छोटे भाई का योग बनता है । जातक पितृभक्त होता है । धार्मिक प्रवृत्ति का होता है । दाम्पत्य जीवन अच्छा रहता है , साझेदारी के काम में बहुत मेहनत के बाद लाभ मिलता है। जातक पितृ भक्त, विदेश यात्राएं करने वाला होता है । बड़े भाई बहनो का सहयोग व् लाभ बहुत मेहनत के बाद ही मिलता है। जातक को बहुत परिश्रम करने पर कुछ परिणाम प्राप्त होते हैं ।
मिथुन लग्न – चतुर्थ भाव में गुरु – Mithun Lagan – Guru chaturth bhav me :
चतुर्थ भाव में गुरु होने से जातक को भूमि, मकान, वाहन व् माता का पूर्ण सुख मिलता है । काम काज भी बेहतर स्थिति में होता है । विदेश यात्रा/सेटलमेंट कीसम्भावना बनती है । रुकावटें दूर होती हैं ।
मिथुन लग्न – पंचम भाव में गुरु – Mithun Lagan – Brihaspati pancham bhav me :
पुत्र का योग बनता है, स्वास्थ्य उत्तम रहता है, संकल्प शक्ति बेहतर होती है । अचानक लाभ की स्थिति बनती है । बड़े भाइयों बहनो से संबंध मधुर रहते हैं ।जातक बहुत बुद्धिमान होता है, धार्मिक प्रवृत्ति का, पितृभक्त होता है ।
मिथुन लग्न – षष्टम भाव में गुरु – Mithun Lagan – Guru shashtm bhav me :
यहां गुरु शुभ फल प्रदान नहीं करते हैं । कोर्ट केस, हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । प्रोफेशनल लाइफ खराब होती जाती है । परिवार का साथ नहीं मिलता है । धन हानि होती है ।
मिथुन लग्न – सप्तम भाव में बृहस्पति – Mithun Lagan – Guru saptam bhav me :
दाम्पत्य जीवन सुखी होता है, साझेदारों से लाभ प्राप्ति का योग बनता है । बड़े भाई बहन से लाभ मिलता है । जातक बुद्धिमान होने के साथ साथ मेहनती होता है, छोटे भाई बहन से प्रेम भाव रखता है।
मिथुन लग्न – अष्टम भाव में गुरु – Mithun Lagan – Guru ashtam bhav me :
यहां गुरु के अष्टम भाव में स्थित होने की वजह से जातक के हर काम में रुकावट आती है । गुरु की महादशा में टेंशन बनी रहती है । बुद्धि साथ नहीं देती है । फिजूलखर्चा होता है , परिवार का साथ नहीं मिलता है । सुख सुविधाओं का अभाव रहता है । विदेश सेटेलमेंट हो सकती है ।
मिथुन लग्न – नवम भाव में बृहस्पति – Mithun Lagan – Guru navam bhav me :
जातक बुद्धिमान, धार्मिक, पितृ भक्त व् परिश्रमी होता है । विदेश यात्रा होती है, छोटे भाई बहन से प्रेम भाव रखने वाला होता है । पुत्र प्राप्ति का योग बनता है ।
मिथुन लग्न – दशम भाव में गुरु – Mithun Lagan – Guru dasham bhav me :
जातक को भूमि, मकान, वाहन का पूर्ण सुख मिलता है । माता से बहुत लगाव रखने वाला होता है । काम काज बेहतर स्थिति में आ जाता है । परिवार साथ देता है , धन का अभाव नहीं रहता है । कोर्ट केस में जीत होती है ।
मिथुन लग्न – एकादश भाव में गुरु – Mithun Lagan – Guru ekaadash bhav me :
यहां स्थित होने पर बड़े भाई बहनो का स्नेह बना रहता है , लाभ मिलता है। छोटे भाई बहनों से लाभ, पुत्र प्राप्ति का योग बनता है । बृहस्पति की महादशा में अचानक धनलाभ की संभावना बनती है । पत्नी साझेदारों से भी लाभ मिलता है ।
मिथुन लग्न – द्वादश भाव में बृहस्पति – Mithun Lagan – Guru dwadash bhav me :
पेट में बीमारी लगने की संभावना रहती है । मन परेशान रहता है । कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । कम्पटीशन , कोर्ट केस में असफलता हाथ लगती है , भूमि, मकान , वाहन का सुख नहीं मिलता है । माता के सुख में कमी आती है । सभी कार्यों में रूकावट आती है और टेंशन-डिप्रेशन बना रहता है ।
गुरु के फलों में बलाबल के अनुसार कमी या वृद्धि जाननी चाहिए । गुरु के 3, 6, 8, 12 भाव में स्थित होने पर पुखराज धारण न करें ।