लेख सारिणी
पितरों को मोक्ष प्रदान करती है फाल्गुनी अमावस्या
फाल्गुन मास जो कि अल्हड़पन और मस्ती के लिये जाना जाता है और हिंदू वर्ष का अंतिम मास है। फाल्गुन माह में पड़ने वाली अमावस्या ही फाल्गुन या कहें फाल्गुनी अमावस्या कहलाती है। यह हिंदू वर्ष की अंतिम अमावस्या भी होती है। अमावस्या से पहले दिन यानि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी भगवान शिवशंकर भोलेनाथ की आराधना के पर्व महाशिवरात्रि के रूप में मनाई जाती है।
फाल्गुन अमावस्या का महत्व
हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के लिये वैसे तो प्रत्येक मास की अमावस्या का महत्व होता है लेकिन फाल्गुनी अमावस्या का अपना विशेष माहात्म्य है। अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिये किये जाने वाले दान,तर्पण, श्राद्ध आदि के लिये यह दिन बहुत ही भाग्यशाली माना जाता है।
मान्यता है कि मृत्यु पर्यन्त दिंवगत आत्माएं पितृ लोक पंहुचती हैं। यह उनका एक प्रकार से अस्थाई निवास होता है और जब तक उनके भाग्य का अंतिम फैसला नहीं होता उन्हें वहीं रहना पड़ता है। इस दौरान उन्हें भूख और प्यास की अत्यंत पीड़ा सहन करनी पड़ती है क्योंकि वे स्वयं कुछ भी ग्रहण करने में समर्थ नहीं होते। उनकी इस पीड़ा का निवारण तभी होता है जब भू लोक से उनके सगे-संबंधि, परिचित या कोई भी उन्हें मानने वाला उनके लिये श्राद्ध दान तर्पण करता है।
हालांकि श्राद्ध हमेशा उसी तिथि को किया जाता है जिस तिथि को दिंवगत आत्मा इह लोक से पर लोक गमन करती है लेकिन यदि यह संभव न हो और किसी कारण वह तिथि मालूम न हो तो प्रत्येक मास में आने वाली अमावस्या को यह किया जा सकता है। साल में 12 अमावस्याएं आती हैं यदि निरंतरता में प्रत्येक अमावस्या को आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो कुछ अमावस्याएं विशेष तौर पर सिर्फ श्राद्ध कर्म के लिये शुभ मानी जाती हैं। फाल्गुन अमावस्या उन्हीं में से एक है। कालसर्प दोष के निवारण के लिये पूजा भी अमावस्या के दिन विशेष रूप से की जाती है।
फाल्गुन अमावस्या के दिन कैसे करें तर्पण-
- फाल्गुन अमावस्या के दिन तर्पण के लिए सूर्योदय के समय उठकर स्नान करना चाहिए।
- इसके बाद सूर्य को जल अर्पण करते समय मंत्र बोलें।
- इसके बाद तर्पण के लिए आसन पर बैठ जाएं।
- पितरों के तर्पण में तिल का विशेष महत्व होता है।
- तर्पण में तिल मिला हुआ जल का इस्तेमाल करना चाहिए।
- तर्पण पूरा होने के बाद किसी गरीब या जरूरतमंद को दान या भोजन कराएं।
- भोजन के बाद दक्षिणा देना चाहिए।
फाल्गुन अमावस्या पर क्या करें
- इस दिन सुबह किसी पवित्र नदी में स्नान करें, अगर ऐसा संभव नहीं हो तो घर में ही साफ जल से स्नान करना चाहिए।
माता-पिता और बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें। - किसी जरुरतमंद या गरिब व्यक्ति की मदद जरुर करें।
- फाल्गुन अमावस्या के दिन दान- पुण्य जरुर करना चाहिए, ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
- अगर आर्थिक समस्याएं चल रही हैं तो इस दिन भगवान शिव को खीर का भोग लगाएं। ऐसा करने से ये समस्याएं दूर हो जाएंगी।
फाल्गुन अमावस्या पर क्या न करें
- फाल्गुन अमावस्या के दिन किसी भी व्यक्ति या बड़ों का अपमान ना करें।
- अमावस्या के दिन गुस्से पर कंट्रोल करें।
- इस दिन मांस-मदिरा का सेवन करने से बचना चाहिये।
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