लेख सारिणी
पितृ स्तोत्र – Pitra Stotra
अगर किसी व्यक्ति को पितृ दोष (Pitru Stotra) से मुक्ति चाहिए तो उसे इस पितृ स्तोत्र (Pitru Stotram) का रोज पाठ करना चाहिए. श्राद्ध पक्ष, अमावस्या या फिर पितरो की पुण्य तिथि पर ब्राह्मण भोजन के समय पितृ स्तोत्र का पाठ किया जाना चाहिए जिसे सुनकर पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
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अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ।।
मन्वादीनां मुनीन्द्राणां सूर्याचन्द्रमसोस्तथा ।
तान् नमस्याम्यहं सर्वान् पितृनप्सूदधावपि ।।
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।
देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान्।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येsहं कृताञ्जलि:।।
प्रजापते: कश्यपाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।
नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।
सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।
अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।
अग्नीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत:।।
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्निमूर्तय:।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण:।।
तेभ्योsखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतमानस:।
नमो नमो नमस्ते मे प्रसीदन्तु स्वधाभुज:।
Pitru Stotra in Hindi – पित्र स्तोत्र हिन्दी में
- रूचि बोले – जो सबके द्वारा पूजित, अमूर्त, अत्यन्त तेजस्वी, ध्यानी तथा दिव्यदृष्टि सम्पन्न हैं, उन पितरों को मैं सदा नमस्कार करता हूँ।
- जो इन्द्र आदि देवताओं, दक्ष, मारीच, सप्तर्षियों तथा दूसरों के भी नेता हैं, कामना की पूर्ति करने वाले उन पितरो को मैं प्रणाम करता हूँ।
- जो मनु आदि राजर्षियों, मुनिश्वरों तथा सूर्य और चन्द्रमा के भी नायक हैं, उन समस्त पितरों को मैं जल और समुद्र में भी नमस्कार करता हूँ।
- नक्षत्रों, ग्रहों, वायु, अग्नि, आकाश और द्युलोक तथा पृथ्वी के भी जो नेता हैं, उन पितरों को मैं हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ।
- जो देवर्षियों के जन्मदाता, समस्त लोकों द्वारा वन्दित तथा सदा अक्षय फल के दाता हैं, उन पितरों को मैं हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ।
- प्रजापति, कश्यप, सोम, वरूण तथा योगेश्वरों के रूप में स्थित पितरों को सदा हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ।
- सातों लोकों में स्थित सात पितृगणों को नमस्कार है। मैं योगदृष्टिसम्पन्न स्वयम्भू ब्रह्माजी को प्रणाम करता हूँ।
- चन्द्रमा के आधार पर प्रतिष्ठित तथा योगमूर्तिधारी पितृगणों को मैं प्रणाम करता हूँ। साथ ही सम्पूर्ण जगत् के पिता सोम को नमस्कार करता हूँ।
- अग्निस्वरूप अन्य पितरों को मैं प्रणाम करता हूँ, क्योंकि यह सम्पूर्ण जगत् अग्नि और सोममय है।
जो पितर तेज में स्थित हैं, जो ये चन्द्रमा, सूर्य और अग्नि के रूप में दृष्टिगोचर होते हैं तथा जो जगत्स्वरूप एवं ब्रह्मस्वरूप हैं, उन सम्पूर्ण योगी पितरो को मैं एकाग्रचित्त होकर प्रणाम करता हूँ। - उन्हें बारम्बार नमस्कार है। वे स्वधाभोजी पितर मुझपर प्रसन्न हों।
पितृ दोष निवारण – Pitru Dosh Nivaran
ज्योतिष शास्त्र मैं कई पितृ दोष निवारण मंत्र बताये गए हैं पर सबसे उत्तम पितृ दोष निवारण मंत्र ”ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मन्त्र बताया गया हैं. रोज १ माला इस मंत्र का जप करने से या मंत्र की 1008 आहुतियाँ देने से पितृ दोष निसंदेह दूर होता है।
यदि आपकी कुंडली में पित्र दोष है तो भगवान श्री शिव जी के सामने बैठ कर या उनके मंदिर जाकर नीचे दिए गये पितृ दोष गायत्री मंत्र को जपने से पितृ बाधा दूर हो जाती है इस मंत्र को आप सुबह या शाम को कर सकते हो। इस प्रकार है मंत्र – “ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात”
पितृ दोष निवारण मंत्र – Pitru Dosh NIvaran Mantra
- ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः
- ॐ प्रथम पितृ नारायणाय नमः
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
उपरोक्त पितर दोष निवारण मंत्र का पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ कम से कम १ माला रोज जाप करे पितृ दोष निवारण होगा ।