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पूज्य रमेश भाई ओझा- Ramesh Bhai Ojha ki Jivani

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रमेश भाई ओझा – Ramesh Bhai Ojha

रमेश भाई ओझा का जीवन परिचय – सांप्रत समयमें एक मानवतावादी एवं कर्मनिष्ठ व्यक्तित्वों पर याद करें तो श्रीरमेशभाई ओझा पूज्यभाईश्री का नाम जिह्वा पर सहज ही आ जाता है  श्रीरमेशभाई ओझाजी को लोग  अपनत्व के भाव से पूज्यभाईश्री  के नाम से पुकारते हैं ।

तेजस्वी ओजस्वी विचारों और सुलझे हुए व्यक्तित्व का नाम है पूज्यभाईश्री भागवतकथा, राम कथा, शिव चरित्र, गीता  पर प्रवचन आदि ग्रन्थों पर पूज्यभाईश्री की मजबूत पकड़ है । श्रीमद् भागवत कथा पर विशेष अधिकार रखतें हैं। इसलिए कईं विद्वज्जन उनको “भागवतभूषण” भागवतरत्न”  संबोधन से नवाजते हैं ।

श्री सोमनाथ संस्कृत युनिवर्सिटी के द्वारा  डी लिट्   की पदवी से सम्मानित हैं पूज्यभाईश्री। आपने कथाओं के माध्यम से देश विदेश में हजारों श्रोताओं में भक्ति ज्ञान की प्रतिष्ठा की है। आईए मेरी छोटी सी समझ से विराट व्यक्तित्व को जानने की चेष्टा करते हैं।

रमेश भाई ओझा जन्म

रमेश भाई ओझा जन्म गुजरात के राजूला तहसील के छोटे से गाँव में 31/08/1957 मे जन्म हुआ। माता-पिता के द्वारा बचपन से ही उदार धर्मवादी के संस्कार मिले। ओसत 3-4 साल की उम्र में ही धूल की यज्ञ वेदीका बनाकर साथी बच्चों के साथ स्वाहा- स्वाहा बोलकर धूल से ही होम करना उनका बाल सहज स्वभाव था। थोडे बड़े हुए स्कूल से घर आकर शाम को बच्चों के साथ संध्यावंदन करते। (किसने सिखाया होगा?)

आश्चर्य चकित घटना तब देखी गई  जब सिर्फ 11 साल की उम्र में  अपने सहपाठी बच्चों के पास से 20-20 पैसे इकठ्ठे किये घर में तखत सजवाया – व्यासपीठ बनाकर 2 -2 सत्र की 7  दिन का गीताप्रवचन का आयोजन पूज्यभाईश्री ने किया। शुरू शुरू में लोगों को हुआ कि बच्चे खेल रहे हैं पर, प्रवचन धारा प्रवाह में बहने लगा। अब तो पडोसी फिर गाँव के बड़े लोग आस पास के गाँव के लोग गीता प्रवचन में आने लगे ओर 7 दिन पूरे कथा चली बस इसी घटना ने लोगों के दिलों में  चहल पहल जगा दिया । सभी बुजुर्ग कहने लगे ये लड़का बडा होकर हमारे सनातनधर्म को जरूर आगे बढाएगा।

राजूला में पूज्य पांडुरंग दादाजी द्वारा संचालित तत्वज्योति पाठशाला में एक से डेढ़ साल संस्कृत अभ्यास किया ओर संस्कृत भाषा पर अल्प काल और अल्प वय में ही पकड़ जमाया। उनकी उच्चारण शुद्धि अद्भुत है, दिल्ही रेडियो पर संस्कृत समाचार पढ़ने वाले माननीय श्री बलदेवानंद सागरजी ने मंच पर से कहा था कि मैं समाचार देने से पहले पूज्यभाईश्री की शिवमाला स्तोत्रावली अवश्य सुनता हूँ। बारहों ज्योतिर्लिंग बजनेवाली सीडी शिवमाला है, शायद ही कोई ओर ऐसी स्तोत्रावली हीगी।

नैमिषारण्य में पूज्यभाईश्री की शिव माला सीडी सुनकर प्रॉ• डॉ अवस्थीजी ने पूज्यभाईश्री से भेंट की और भाईश्री की भागवत कथाओं का संकलन कर 1000 पेज का “भागवतभागीरथी ” नामक ग्रंथ बनाया। शिवमाला स्तोत्रावली सीडी सुनकर भारत भ्रमण पर आए इटली के संतगण पूज्यभाईश्री को मिलने 1998-99  में सान्दीपनि – पोरबंदर  पहूंचे।

12 तक सायन्स तक पढाई की और कॉलेज मे पढते पढते  18  साल की उम्र में भागवत कथा यात्रा शुरूहुई जो आज भी गंगा की भाँति अविरत बहती है। लम्बा कद,  ज्ञान से झगमगाता उन्नतभाल प्रदेश, गले में रूद्राक्ष की माला, ऋषित्व को याद दिलाने वाली हल्की सी दाढ़ी, कंधेपर साल दुशाला और हजारों की तादादमें भक्तिमय वातावरण में व्यासपीठ पर से ओजस्वी वाणीमें सिंहनाद से कोई कथा हो रहीहै तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो जरूर पूज्यभाईश्री हैं।

बिना खाये-पिये कईं घंटों कथा करना

मुंबई मे कथा दौरान कृष्ण जन्म प्रसंग पर 24 घंटों में से 15-16 घंटों कथा किया । ( जो शायद गीनीसबुक में नॉटकिया जा सकता है।) आज 62-63 वर्ष की उम्र में भी कृष्ण जन्मप्रसंग पर नॉनस्टॉप 7 से 9 घंटों की कथा चलतीहै। कथा एवं धर्म की सेवा मे वो इतना लीन हो गये कि 20 से 55 सालकी उम्र में कभी 4-5 घंटों से ज्यादा नींदनहीं लिया। कभी भी मांगना नहीं ये उनका व्रत है।

सनातनधर्म के प्रचार हेतु एवं उदार मानवतावादी कार्यों के लिए जहाँ जरूरत हो देश विदेशमें कथाओं के माध्यम से  कईं मंदिरों  अस्पतालों  स्कूलों एवं संस्थानों की स्थापना किया जो आज भी कार्यरत है।

सान्दीपनि विद्या निकेतन – पोरबंदर गुजरात उनकी प्रमुख संस्था है। जिस में 300  से अधिक ऋषिकुमार निःशुल्क  संस्कृत ( नव्य व्याकरण) पढ रहे हैं।  वो भी गणित, इंग्लिश , कम्प्यूटर और संगीत आदि आधुनिक विषयों के साथ।

इसी सान्दीपनि में गुजराती मिडियम एवं इंग्लिश मिडियम स्कूल में करीब 1500 से अधिक विद्यार्थी मामूली फीस पर पढ रहे हैं।

पूज्यभाईश्री जन्मभूमि देवका में “देवका विद्यापीठ” स्कूल- कॉलेज चल रही है, जिसमें सायंस कॉमर्स एवं आई टी आई की शिक्षा दी जाती है। सांदीपनि विद्यासंकुल सापूतारा गुजरात  में आदिवासी बच्चों के लिए निःशुल्क स्कूल पूज्यभाईश्री के माध्यमसे चल रही है।

कथाओं के माध्यम से जो भी व्यासप्रसाद आता है उसका संस्थाओं के माध्यम से त्याग होता है।कुदरती प्रकोप हो या अन्यकोई सामाजिक बात हो पूज्यभाईश्री त्वरित उपस्थित हो जाते हैं । चाहे वो कच्छ का भूकंप हो या लातूर का , या नेपाल का ( जिसकी नोट माननीय प्रधानमंत्री मोदीजी ने अपने ट्विटर के माध्यम से लिया था) कच्छ में भूकंप मे राधानगर  और माधवनगर गाँवों का निर्माण कईं स्कूलों  मंदिरों  समाजवाडी का निर्माण पूज्यभाईश्रीके द्वारा हुआ है।पोरबंदर   कंडला  झंझावत मे भी तुरंत योग्य सहायता पहुंची।सान्दीपनिविद्या निकेतन मे अनुष्ठान हो पेटोत्सव हो ओर कोई बडी पूजा साथ मे मैडिकल कैम्प बड़ेस्तर पर बिना किसी भेदभाव अवश्य होता है। कोई भी नात जात का भेदभाव पूज्यभाईश्री में नहीं है ईसलिए सभी समाज अपनत्व के भावसे भाईश्री के नाम से पुकारते हैं।

योग्य प्रतिभाओं को सान्दीपनि एवोर्ड से भाव पूजन कियाजाता है। पूज्यभाईश्री बचपन से स्वच्छता के आग्रही है उस दिशा मे अपने स्तर पर काम करते आए हैं। मोदीजी के स्वच्छता अभियान मे गुजरात के प्रतिनिधि हैं।

सादगी ऊनके जीवन का अंग है। पूज्यभाईश्री की कथा सुनना जीवन की धन्यता है। पूर्व राष्ट्रपति महोदय श्री शंकरदयालशर्मा जी दिल्ली में कथा होती और थोडा भी समय होता कथा सुनने की जरूर इच्छा करते। गुजरात के पूर्व गवर्नर महोदय नवलकिशोरजी भी कहीं जा रहे हैं और पूज्यभाईश्रीकी कथा चल रही है तो अवश्य पधारते। मेरे ईष्टदेव की प्रसन्नता के लिए संतगुरू की स्तुति ऊनके श्री चरणों में समर्पित।

श्री रमेश भाई लोगों को प्यार, अच्छाई और आध्यात्मिकता के रास्ते पर चलने के लिए हमेशा प्रेरित करते हैं। ख्यात संत रमेशभाई ओझा अपनी दिव्यवाणी और लोकरुचि वाली अभिव्यक्ति के लिए प्रभु प्रेमियों में आदर से सुने जाते हैं। जीवन के हर क्षेत्र पर भाईश्री का विश्लेषण अद्भुत और अनुकरणीय है। वे जीवन की समस्याओं का हल अपने प्रवचनों के माध्यम से सहजता से देते हैं। भक्ति, परमात्मा प्राप्ति और ज्ञानार्जन के विषय में उनके दिए सूत्र अद्वितीय हैं।

जय श्री कृष्ण। – रमेश भाई ओझा के आश्रम में कार्यरत श्री प्रवीण दवे से प्राप्त हुआ

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