आज की हमारी चर्चा पुनर्वसु नक्षत्र पर केंद्रित होगी । यह आकाशमण्डल में मौजूद सातवां नक्षत्र है जो ८० डिग्री से लेकर ९३.२० डिग्री तक गति करता है । पुनर्वसु नक्षत्र को आदित्य या सुरजननि नाम से भी जाना जाता है । पुनर्वसु नक्षत्र के स्वामी वृहस्पति, नक्षत्र देव अदिति देवी और राशि स्वामी बुद्ध तथा चंद्र देव हैं । यदि आपके कोई सवाल हैं अथवा आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट ( YourAstrologyGuru.Com ) पर विज़िट कर सकते हैं । आपके प्रश्नों के यथासंभव समाधान के लिए हम वचनबद्ध हैं ।
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पुनर्वसु नक्षत्र वैदिक ज्योतिष में – Punarvasu Nakshatra in Vedic Astrology :
पुनर्वसु नक्षत्र आकाशमण्डल में मौजूद चार तारों से मिलकर बना है । इसकी आकृति धनुषाकार है । इस नक्षत्र को आदित्य या सुरजननि नाम से भी जाना जाता है । पुनर्वसु नक्षत्र के स्वामी गुरु हैं और यह नक्षत्र २० अंश मिथुन राशि से ३.२० अंश तक कर्क राशि में गति करता है, इसलिए पुनर्वसु नक्षत्र के जातकों के जीवन पर गुरु, बुद्ध व् चंद्र का प्रत्यक्ष प्रभाव देखा जा सकता है ।
- नक्षत्र स्वामी : गुरु
- नक्षत्र देव : देवी अदिति
- राशि स्वामी : बुद्ध ( २० डिग्री से लेकर ३० डिग्री तक, तीन चरण ) चंद्र ( ० से ३.२० डिग्री तक, एक चरण )
- विंशोत्तरी दशा स्वामी : गुरु
- चरण अक्षर : के, को, ह, ही
- वर्ण : वैश्य
- गण : देव
- योनि : मार्जार
- नाड़ी : आदि
- प्रथम चरण : मंगल
- द्वितीय चरण : शुक्र
- तृतीय चरण : बुद्ध
- चतुर्थ चरण : चंद्र
- वृक्ष : वंश ( बांस )
पुनर्वसु नक्षत्र जातक की कुछ विशेषताएं व् जीवन- Punarvasu Nakshatra Jatak Characteristics & Life:
पुनर्वसु नक्षत्र के जातक आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी, मात्र पितृ भक्त, रीति रिवाज को अपनाकर चलने वाले, धार्मिक प्रवृत्ति से युक्त और अमानवीय अथवा अनैतिक कृत्यों का पुरजोर विरोध करने वाले होते हैं । ये बहुत मिलनसार व् प्रेमपूर्ण व्यवहार रखने वाले होते हैं और किसी भी किस्म का अन्याय बर्दाश्त नहीं करते । अन्य किसी की भी तुलना में अमानवीय कृत्यों का सबसे पहले विरोध करते हैं । जैसा की नाम से ही विदित है इन्हें किसी भी सामान्य काम के लिए दो बार प्रयास करना पड़ता है । बहुत कम मामलों में ऐसा होता है की ये प्रथम प्रयास में ही सफल हो जाएँ । इन्ह्ने सफलता दूसरे प्रयास में प्राप्त होती है चाहे वो करिअर सम्बन्धी प्रश्न हो, विवाह संबंधी या अन्य कोई महत्वपूर्ण विषय । ये जातक दूसरों की भलाई अथवा हितों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं । इन्हें समय समय पर दैवीय सहायता प्राप्त होती रहती है । इस नक्षत्र के अंतर्गत आने वाले कुछ जातक इस तथ्य से भली भांति परिचित भी होते हैं की इनके ईष्ट और अन्य देवीय शक्तियां इन जातकों से सम्बन्ध बनाये रहती हैं ।
पुनर्वसु नक्षत्र के जातक/ जातिका की मैरिड लाइफ Punarvasu jatak/jatika married life :
इस नक्षत्र के जातक का वैवाहिक जीवन सुखी नहीं कहा जा सकता है । अक्सर देखने में आता है की इस नक्षत्र में जन्मे जातक का पत्नी से वियोग हो जाता है और ये जातक फिर से विवाह करते हैं ।
गुरु फीमेल जातिकाओं के लिए विवाह का कारक होता है इसलिए इस नक्षत्र में जन्मी जातिकाओं का वैवाहिक जीवन सुखद रहता है ।
पुनर्वसु नक्षत्र जातक का स्वास्थ्य Punarvasu nakshtr jaataka health :
पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे जातक का स्वास्थ्य अधिकतर बहुत अच्छा रहता है । मुख्यतया खांसी, निमोनिया, सुजन, फेफड़ों में दर्द, कान से सम्बंधित रोग हो सकते हैं ।
पुनर्वसु नक्षत्र जातक शिक्षा व् व्यवसाय – Punarvasu Nakshatra jatak Education & business :
पुनर्वसु नक्षत्र के जातक आपको बहुत सारे प्रोफेशन में सफलतापूर्वक निर्वाह करते दिखाई देंगे । ये डॉक्टर्स भी हो सकते हैं, राइटर भी, अध्ययन कार्य में भी अच्छा करते हैं वहीँ बहुत अच्छे कलाकार सिंगर, एक्टर अथवा पेंटर भी होते हैं । ये जिस किसी भी प्रोफेशन में जाएँ सफलता इनके कदम चूमती है और इन्हे नाम, शोहरत दौलत आदि सभी कुछ प्राप्त होता है ।
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