Loading...

299 Big Street, Govindpur, India

Open daily 10:00 AM to 10:00 PM

Rawan Sanhita Mantra- रावन सहिंता के धन अभाव निवारण हेतु अचूक मंत्र

Uncategorized

Rawan Sanhita – रावण संहिता के चमत्कार

Ravan Sahita Pdf – लंकापति रावण (Ravan Samhita) को दुनिया एक बुरा और सबसे नकारात्मक रूप में मानती है। रामायण काल में रावन (Ravan Sahita in Hindi) की सबसे बड़ी भूल थी सीता हरण, लेकिन रावन एक विद्वान पंडित होने के साथ ही विद्वान तांत्रिक और ज्‍योतिषी भी था। माना जाता है कि सौरमंडल के सभी ग्रह रावण के ही इशारे पर चलते थे। कोई भी ग्रह रावण की इच्‍छा के विरुद्ध कार्य नहीं कर सकता था।


मेघनाद के जन्‍म के समय रावन ने सभी ग्रहों को आदेश दिया था कि वे सभी एक निश्चित स्थिति में बने रहे ताकी उसका पूत्र महान योद्धा और यशस्‍वी हो। सभी ग्रहों ने रावण के निर्देशानुसार कार्य किया, लेकिन आयु के कारक कहे जाने वाले शनि ग्रह ने ठीक उसी समय अपनी स्थिति को परिवर्तित कर लिया जब मेघनाद जन्म लेने वाला था। इस वजह से वह यशस्वी, महान पराक्रमी, अविजित योद्धा तो बना लेकिन वह अल्पायु हो गया।

Rawan Sanhita PDF – रावण संहिता डाउनलोड करे 

रावन भगवान शिव का परम भक्त भी था और रावन ने ही शिव तांडव स्‍त्रोत की रचना की थी। तो आईए जानते है रावन के द्वारा रचित तांत्रिक मंत्र जो बहुत ही प्रभावशाली होने के साथ बहुत सरल भी है।

Ravan Samhita Mantra – रावण संहिता के मंत्र

ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवाणाय, धन धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा॥

जिस किसी को धन का अभाव रहता है या धन आता है और किसी करण से वह वापस चला भी जाता है चाहे वह बीमारी के कारण हो या किसी अन्‍य कारण से अगर इस कुबेर मंत्र का पूरी श्रदा के साथ प्रतिदिन 108 बार जाप करने के बाद अपने कार्य में लगता है उसे कभी धन की कमी नहीं रहती है।

यह मंत्र रावन ने स्‍वंय बनाया था और इसी मंत्र से रावन के पास सभी प्रकार की शक्तियां और एर्श्‍वय था। इस मंत्र को विजयादशमी के दिन रावन दहन के समय 108 बाद जाप किया जाए तो यह सिद्ध हो जाता है और ठीक रावन की भांति ही सभी सुखों को प्राप्‍त करता है। ऐसा रावन संहिता में लिखा है।


 लां लां लां लंकाधिपतये लीं लीं लीं लंकेशं लूंलूंलूं लोह जिव्‍हां, शीघ्रं आगच्‍छ आगच्‍छ चद्रंहास खडेन मम शश्रुन विरदारय विदारय मारय मारय काटय काटय हूं फट स्‍वाहा ॥

इस मंत्र को जितेन्द्रिय होकर बेल वृक्ष पर चढ़कर एक मास पर्यन्त प्रतिदिन एक हजार बार जपें। मंत्र जाप पूर्ण होने के बाद ब्राह्मणों और कुमारी कन्याओं को भोजन करवान चाहिए। ऐसा करने से धन की समस्‍या दूर होती है।

ॐ क्लीं ह्रीं ऐं ओं श्रीं महा यक्षिण्ये सर्वैश्वर्यप्रदात्र्यै नमः॥
इमिमन्त्रस्य च जप सहस्त्रस्य च सम्मितम्।
कुर्यात् बिल्वसमारुढो मासमात्रमतन्द्रितः॥

रावन ने अपनी सहिंता में अनेक वनस्पति से भी मंत्र सिद्ध किए जाते है ऐसा उलेख मिलता है। आषाढ़ की पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त्त में बिल्वपत्र के नीचे बैठकर भगवान शिव की षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए और श्रावण मास में प्रतिदिन कुबेर की पूजा करके निम्नलिखित कुबेर मंत्र का 108 बार मंत्र का जाप करना चाहिए।

ॐ यक्षराज नमस्तुभ्यं शंकर प्रिय बांधव।
एकां मे वशगां नित्यं यक्षिणी कुरु ते नमः॥

मंत्रों की एक अलग ही दुनिया होती है। मंत्र एक उर्जा है। मंत्रों के साथ तंत्रों का भी प्रयोग किया जाता है। जैसे रूद्राक्ष माला का प्रयोग यह एक तंत्र है। तो आईए जानते है मंत्रों के साथ तंत्रों का प्रयोग।

  • प्रात: काल स्नान करने के पश्चात किसी वट वृक्ष के नीचे किसी शांत स्थान पर चमड़े का आसन बिछाकर उस पर बैठना चाहिए और रूद्राक्ष की माला से ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं नम: ध्व: ध्व: स्वाहा मंत्र का जाप करने से धन-प्राप्ति की इच्‍छा पूरी होती है और कभी धनाभाव नही होता है। इस क्रिया को 21 दिनों तक लगातार करना आवश्यक है।
  • ॐ सरस्वती ईश्वरी भगवती माता क्रां क्लीं, श्रीं श्रीं मम धनं देहि फट् स्वाहा।‘ इस मंत्र का जाप सवा माह तक एक ही स्‍थान पर एक ही समय करने से अनेक प्रकार से धन की आवक होने लगती है।
  • ॐ नमो विघ्नविनाशाय निधि दर्शन कुरु कुरु स्वाहा।‘ इस मंत्र की रचना भी रावन ही कि थी और इस मंत्र के प्रभाव से आपका खोया हुआ धन वापस लौट आता है। इस मंत्र का जाप सवा माह में 10,000 की संख्‍या में करना चाहिए।
  • ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्मी, महासरस्वती ममगृहे आगच्छ-आगच्छ ह्रीं नम: इस मंत्र का किसी भी शुभ अवसर जैसे अक्षय तृतीयादीपावलीहोली आदि की मध्यरात्रि में यह उपाय विशेष फलदायी रहता है। इस मंत्र को कुमकुम के द्वारा थाली पर लिखना चाहिए और जाप करना चाहिए इस मंत्र के जाप से धनाभाव की समस्‍या का नाश होता है।
  • ॐ नमो भगवती पद्म पदमावी ऊँ ह्रीं ऊँ ऊँ पूर्वाय दक्षिणाय उत्तराय आष पूरय सर्वजन वश्य कुरु कुरु स्वाहा रावन सहिंता के अनुसार दीपावली की रात पूरे विधि-विधान से महालक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए और विश्राम करना चाहिए। अगले दिन सुबह उठने के बाद और पलंग से उतरने से पहले आपको 108 बार इस मंत्र का जाप करना चाहिए और दसों दिशाओं में दस-दस बार फूंक मारना चाहिए। ऐसा करने से चारों और से धनागमन होता है।

महाज्ञानी रावन ने रावन सहिंता में पेड़-पौधों के साथ भी तांत्रिक प्रयोगों किए जाते इसका वर्णन किया है।

  • बिल्व यक्षिणी- ॐ क्ली ह्रीं ऐं ॐ श्रीं महायक्षिण्यै सर्वेश्वर्यप्रदात्र्यै ॐ नमः श्रीं क्लीं ऐ आं स्वाहा। इस यक्षिणी की साधना से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
  • निर्गुण्डी यक्षिणी- ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः। इस मंत्र से विद्या-लाभ होता है।
  • अर्क यक्षिणी- ॐ ऐं महायक्षिण्यै सर्वकार्यसाधनं कुरु कुरु स्वाहा। इस मंत्र जाप से सभी प्रकार के कार्य सम्‍पन होते है।
  • श्वेतगुंजा यक्षिणी-  ॐ जगन्मात्रे नमः। इस मंत्र के जाप से शांति की प्राप्ति होती है।
  • तुलसी यक्षिणी- ॐ क्लीं क्लीं नमः। राजनिती के सुख के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • कुश यक्षिणी-  ॐ वाड्मयायै नमः। वाकसिद्धि हेतु इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • पिप्पल यक्षिणी-  ॐ ऐं क्लीं मे धनं कुरु कुरु स्वाहा। पुत्र प्राप्ति प्रतिदिन इस मंत्र का जाप करना उचित रहता है।
  • उदुम्बर यक्षिणी – ॐ ह्रीं श्रीं शारदायै नमः। विद्या की प्राप्ति के निमित्त इस यक्षिणी की साधना करें।
  • अपामार्ग यक्षिणी – ॐ ह्रीं भारत्यै नमः। इस यक्षिणी की साधना करने से परम ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  • धात्री यक्षिणी-  ऐं क्लीं नमः। इस मंत्र जाप करने से जीवन की सभी अशुभताओं का निवारण हो जाता है।
  • सहदेई यक्षिणी-  ॐ नमो भगवति सहदेई सदबलदायिनी सदेववत् कुरु कुरु स्वाहा। इस मंत्र जाप करने से धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है, मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
  • बिजौरा नींबू या बिल्व पत्र को बकरी के दूध के साथ पीसकर अपने माथे पर तिलक लगाने से समाज में मान- सम्मान मिलता है।

रावण एक असुर था, लेकिन वह सभी शास्त्रों का जानकार और प्रकाण्ड विद्वान था। रावण ने ज्योतिष और तंत्र शास्त्र संबंधी ज्ञान के लिए रावण संहिता की रचना की थी। रावण संहिता में ज्योतिष और तंत्र शास्त्र के माध्यम से भविष्य को जानने के कई रहस्य बताए गए हैं। इस संहिता में बुरे समय को अच्छे समय में बदलने के लिए भी चमत्कारी तांत्रिक उपाय बताए हैं। जो भी व्यक्ति इन तांत्रिक उपायों को अपनाता है उसकी किस्मत बदलने में अधिक समय नहीं लगता है।

नोट- मंत्र केवल अपने गुरू की आज्ञा और उन्‍ही के सानिध्‍य में करना चाहिए क्‍योंकि यह मंत्र बहुत ही उग्र है।

Written by

Your Astrology Guru

Discover the cosmic insights and celestial guidance at YourAstrologyGuru.com, where the stars align to illuminate your path. Dive into personalized horoscopes, expert astrological readings, and a community passionate about unlocking the mysteries of the zodiac. Connect with Your Astrology Guru and navigate life's journey with the wisdom of the stars.

Leave a Comment

Item added to cart.
0 items - 0.00