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महामृत्युंजय मंत्र – शिवालय में दीपदान के साथ करे महामृत्युंजय का जाप

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महामृत्युंजय मंत्र – महामृत्युंजय मंत्र इन हिंदी

महामृत्युंजय मंत्र की महिमा अति भारी है क्योकि दुर्घटना-घटना, प्राणान्तक शस्त्र प्रहार, घात, छल आदि से अकाल मृत्यु से किसे भय नहीं लगता, कौन चाहेगा कि किन्हीं कारणों से ऐसा ‘अकाल मृत्यु योग‘ उसके जीवन को समाप्त कर दें? एक्सीडेंट, अपने ही किसी वाहन या बस, रेल, विमान दुर्घटना से शरीर क्षतिग्रस्त, अंग-भंग होते उसी क्षण अथवा अस्पताल में आपातकालीन चिकित्सा के दौरान अंतिम सांस आए? क्या कोई ऐसी साधना, ऐसा मांत्रिक प्रयोग, किसी दिव्य मंत्र शक्ति से यह सम्भव नहीं कि पूर्व में ही ऐसी घटना आदि का आभास हो जाएं, ऐसा आंतरिक संकेत मिल जाए या दुर्घटना के बाद भी प्राणान्त न हो? हर आपात स्थिति में सुरक्षित रहा जा सके?

ऐसा सम्भव है। तैंतीस कोटि देवी-देवों में, मुख्यतः तीन सर्वोच्च महादेवों ब्रह्मा-विष्णु-महेश में एक मात्र देवाधिदेव महेश, यानी महादेव भगवान शिव के मंत्र में ऐसी शक्ति है जिसकी रचना मार्कण्डेय ऋषि ने पुष्कर में की थी। दीपावली पर्व पर एक ओर जहां देवी लक्ष्मी, श्री गणेश, देवी सरस्वती, देव कुबेर की पूजा करें, अनेकों दीपक जलाएं, वही शिव मंदिर में दीपकों का प्रकाशन करना, उनकी पूजा, वंदना न करना कतई उचित नहीं होगा। फिर ऐसे समय उनके चमत्कारी, रक्षक, रोगनाशक प्रिय महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर लिया जाएं तो कोई दुर्घटना, ‘अकाल मृत्यु योग‘ से बच भी सकते हैं, यह मंत्र ‘सुरक्षा कवच‘ बन सकता है।

महामृत्युंजय मंत्र लिखा हुआ

ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ 

महा मृत्युंजय मंत्र जाप के फायदे

पुराणों के अनुसार कई ऋषि, मुनि, राजा दक्ष की पुत्री सती तथा स्वयं दक्ष के श्राप से ग्रसित चन्द्रमा धीरे-धीरे अपना बल खोने लगे, निस्तेज, अशक्त, मरणासन स्थिति में आने लगे तब दक्ष कन्या सती के आग्रह पर ऋषि मार्कण्डेय ने इस मंत्र को रचा जिसके प्रभाव से चन्द्रमा की प्राण रक्षा सम्भव हो पायी, साथ ही वह पुनः धवल प्रकाशपूर्ण, बलयुक्त हो पाये। इसी के मुख्य प्रभाव स्वरूप भगवान् शिव ने इन्हें अपने मस्तक पर धारित कर लिया।

महामृत्युंजय मंत्र लिखा हुआ
महामृत्युंजय मंत्र लिखा हुआ

महामृत्युंजय मंत्र की विशेषता

दूसरी ओर यह भी माना जाता है कि यह सर्वोत्तम बीज मंत्र स्वयं भगवान् शिव ने ऋषि कहोल को दिया था, जिन्होंने बाद में यह मंत्र शुक्राचार्य को सिखाया। समयोपरांत शुक्राचार्य ने इसे ऋषि दाधीच को तथा उन्होंने महाराज कष्व को इस मंत्र का ज्ञान दिया जिसके कारण यह मंत्र शिवपुराण तक पहुंचा। यह मंत्र शारीरिक, मानसिक तथा आत्मिक स्वास्थ्य के लिए अति लाभदायक माना जाता है, इसके अलावा यह मंत्र दीर्घायु को भी सिद्ध करता है। अमरता असंभव है, जन्म है तो मृत्यु भी निश्चित है, पर असमय, अकाल मृत्यु, दुर्घटना एक्सीडेंट, अग्नि या ढहते मकान में दबकर अथवा तलवार-चाकू, पिस्तोल, बम विस्फोट आदि से अति दुखद-अति पीड़ित क्षत-विक्षत स्थिति में प्राणान्त जिसे ज्योतिष की दृष्टि में ‘अकाल मृत्यु योग कहते हैं- होने से सुरक्षित रहा जा सकता है।

महा मृत्युंजय मंत्र का उद्देश्य जीवन रक्षा है

एक ओर गायत्री मंत्र आत्मिक शुद्धि तथा मार्गदर्शन की इच्छा से किया जाता है, वहीं महामृत्युंजय मंत्र का उद्देश्य जीवन की रक्षा हे, रोग मुक्ति है। यदि पूरी श्रद्धा, समर्पण तथा आस्था के साथ महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं, विश्वास है, निष्ठा है, भगवान शिव के प्रति समर्पण, वंदनीत भाव है तो इसका प्रभाव, अदृश्य रक्षा कवच रूप में उपलब्ध हुआ समझिये।

दीपदान से शिवालय को करे रोशन

विशेषतः दीपोत्सव पर्व के समय जिस तरह अपने निवास को दीपकों के प्रकाश से जगमगा रहे हैं, वैसे ही शिव मंदिर में अन्दर-बाहर कम से कम 101, अधिकाधिक 1001 दीपक प्रज्जवलित कीजिए। शिव मूर्ति या शिवलिंग के समक्ष मुख्य दीपक शुद्ध घी का तथा अन्य दीपक शुद्ध तिल्ली के तेल के हों। इनके जलने पर लगे जैसे पूरा शिव मन्दिर इनके प्रकाश से आलोकित हो रहा है। दीपावली के पांचों दिनों में मुख्यतः रूप नरक चतुर्दशी, गौविरात्र, मास शिवरात्रि तथा दीपावली की अमावस्या की रात्रि को दीप जलाने के साथ मंदिर में पूर्वाभिमुख बैठकर भगवान् शिव को सच्चे हृदय से स्मरण करें, अपने दाहिने हाथ से पास में भरे जल पात्र (कलश अथवा लोटा) को ढक कर 1008 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। जप पूर्ण होने के बाद इस जल को पूरे घर में छिड़कें, समस्त परिवारजनों को प्रसाद स्वरूप दें।

महामृत्युंजय मंत्र में छिपा है हर समस्या का समाधान

मुंगेर (बिहार) स्थित दुनिया के पहले योग विश्वविद्यालय में 500 से अधिक वैज्ञानिकों के दल ने मंत्रों की ऊर्जा मापने के लिए तैयार की गई क्वांटम मशीन में महामृत्युंजय मंत्र के जाप से इतनी तेज ऊर्जा उत्पन्न हुई कि क्वांटम मीटर का कांटा अंतिम बिंदु पर पहुंचकर बार-बार टकराने लगा था। यदि इसे बंद न करते तो मीटर टूटकर बिखर सकता था। दीपोत्सव, असंख्य जलते दीपकों की प्रकाशमयी आभा से एक अलग निर्मल वातावरण बनता है, इसके साथ मंत्र जाप से उत्पन्न होने वाली किरणें एक पवित्र वातावरण बनाती हैं, एक सशक्त ऊर्जा का प्रवाह चलता है, जीवनदायिनी शक्ति उभरती है। जिससे नकारात्मक प्रभाव तथा बुरी भावनाएं दूर होती हैं, सकारात्मक तथा मानसिक शक्ति का विकास होता है। जो अन्ततः व्यक्ति की प्रतिद्वंदिता को मजबूत करता है।

महामृत्युंजय मंत्र का जाप कब करना चाहिए

यदि हम महामृत्युंजय मंत्र के जप को दैनिक पूजा-पाठ का भाग बना लें तो हम कई बुरे हादसों, दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों, समस्याओं तथा अकाल मृत्यु से भी बच सकते हैं। कोई प्रियजन रोगग्रस्त है अथवा गहन पीड़ा को भुगत रहा है तो उसकी शांति के लिए आप उसके निकट बैठकर इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।

दीपावली के पांचों दिनों में कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी, अमावस्या कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को शिवमंदिर को अपने परिवार के साथ दीपकों को जलाकर प्रकाशित करना न भूलें।

महामृत्युंजय मंत्र इन हिंदी

इस मंत्र का मतलब है कि हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो हर श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं और पूरे जगत का पालन-पोषण करते हैं।

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