तेरह पेढिया ऊपर म्हारे, श्याम को बंगलो,
सारे जग में राज करे है, म्हारो सेठ सावरों,
सेठ सावरों, जी म्हारो सेठ सावरों ॥
पहली पेढि पग धरताही, मिट जा सब संताप,
दूजी तीजी पेढि करदे, मैल मना का साफ़,
ओ चौथी पेढि चढ़ता भूल्या, दुनियादारी को रगड़ो,
सारे जग में राज करे है, म्हारो सेठ सावरों…
पांचवीं पेढि के ऊपर, नोबत जोर बजावां,
मिलने आ गया टाबरिया, यो डंको मार बतावां,
ओ छट्टी सातवीं पेढि चढ़कर, बोला जयकारो तगड़ो,
सारे जग में राज करे है, म्हारो सेठ सावरों…
आठवीं पेढि ऊपर सारी, तन की पीड़ा भागे,
नौंवी पेढि चढ़ता चढ़ता, सूती किस्मत जागे,
ओ दसवीं पेढि भेद मिटावे, झूठी माया को सगलो,
सारे जग में राज करे है, म्हारो सेठ सावरों…
ग्यारवी पेढि चढ़ता दिखे, खाटू रो सिरदार,
बारवीं पेढि पर होवे, अंतर की फुहार,
ओ ‘सरिता’ तेरहवी पेढि लागे, मोरछड़ी को फटको,
सारे जग में राज करे है, म्हारो सेठ सावरों…
तेरह पेढिया ऊपर म्हारे, श्याम को बंगलो,
सारे जग में राज करे है, म्हारो सेठ सावरों,
सेठ सावरों, जी म्हारो सेठ सावरों ॥