शरद पूर्णिमा का महत्व | sharad purnima in hindi
शरद पूर्णिमा,आश्चिन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। ज्योतिष के अनुसार, शरद ऋतु की पूर्णिमा काफी महत्वपूर्ण तिथि है। इसी तिथि से शरद ऋतु का आरंभ होता है। इस दिन चन्द्रमा सभी सोलह कलाओं से युक्त होता है। इस दिन चन्द्रमा से अमृत की वर्षा होती है जो धन, प्रेम और स्वास्थ्य तीनों का लाभ देती है। शरद पूर्णिमा को कोजोगार पूर्णिमा व्रत और रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को कहते हैं।
शरद पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है | when is sharad purnima
हिन्दू धर्म में इसको कौमुदी व्रत भी कहते हैं। इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। मान्यता है इस रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत झड़ता है। तभी इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रात भर चाँदनी में रखने का विधान है। इस दिन चंद्रमा की सोलह कलाओं की शीतलता देखने लायक होती है। यह पूर्णिमा सभी बारह पूर्णिमाओं में सर्वश्रेष्ठ मानी गयी गई है।
इस दिन श्रीसूक्त, लक्ष्मीस्तोत्र का पाठ करके हवन करना चाहिए। इस विधि से कोजागर व्रत करने से माता लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं तथा धन-धान्य, मान-प्रतिष्ठा आदि सभी सुख प्रदान करती हैं।
शरद पूर्णिमा की तिथि | sharad purnima post
अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा तिथि रविवार, 09 अक्टूबर 2022 को सुबह 03 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी। पूर्णिमा तिथि अगले दिन सोमवार, 10 अक्टूबर 2022 को सुबह 02 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी।
शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी अपनी सवारी उल्लू पर सवार होकर धरती पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों की समस्याओं को दूर करने के लिए वरदान देती हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, इसी दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए धन प्राप्ति के लिए भी ये तिथि सबसे उत्तम मानी जाती है।
शरद पूर्णिमा की कहानी – sharad purnima vrat katha
इसी दिन भगवान् कृष्ण महारास रचाना आरम्भ करते हैं। देवीभागवत महापुराण में कहा गया है कि, गोपिकाओं के अनुराग को देखते हुए भगवान् कृष्ण ने चन्द्र से महारास का संकेत दिया, चन्द्र ने भगवान् कृष्ण का संकेत समझते ही अपनी शीतल रश्मियों से प्रकृति को आच्छादित कर दिया। उन्ही किरणों ने भगवान् कृष्ण के चहरे पर सुंदर रोली कि तरह लालिमा भर दी। फिर उनके अनन्य जन्मों के प्यासे बड़े बड़े योगी, मुनि, महर्षि और अन्य भक्त गोपिकाओं के रूप में कृष्ण लीला रूपी महारास ने समाहित हो गए।
भगवान कृष्ण की वंशी की धुन सुनकर अपने अपने कर्मो में लीन सभी गोपियां अपना घर-बार छोड़कर भागती हुईं वहाँ आ पहुचीं। कृष्ण और गोपिकाओं का अद्भुत प्रेम देख कर चन्द्र ने अपनी सोममय किरणों से अमृत वर्षा आरम्भ कर दी जिसमे भीगकर यही गोपिकाएं अमरता को प्राप्त हुईं, और भगवान् कृष्ण के अमर प्रेम का भागीदार बनीं। इस दिन चन्द्रमा कि किरणों से अमृत वर्षा होने की किवदंती प्रसिद्ध है। इसी कारण इस दिन खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखकर अगले दिन प्रात: काल में खाने का विधि-विधान है।
शरद पूर्णिमा खीर | significance of sharad purnima kheer
चंद्र किरणें अमृत बरसाती हैं। चंद्रमा कि सोममय रश्मियां जब पेड़ पौधों और वनस्पतियों पर पड़ीं तो उनमे भी अमृत्व का संचार हो गया। इसीलिए इस दिन खीर बना कर खुले आसमान के नीचे मध्य रात्रि में रखने का विधान है। रात में चन्द्र कि किरणों से जो अमृत वर्षा होती है, उसके फल स्वरुप वह खीर भी अमृत सामान हो जाती है। उसमें चंद्रमा से जनित दोष शांति और आरोग्य प्रदान करने क्षमता स्वतः आ जाती है। यह प्रसाद ग्रहण करने से प्राणी मानसिक कष्टों तथा अनेक प्रकार के रोगों से मुक्ति पा लेता है।
क्या कहता है विज्ञान
शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा हमारी धरती के बहुत करीब होता है। इसलिए चंद्रमा के प्रकाश में मौजूद रासायनिक तत्व सीधे-सीधे धरती पर गिरते हैं। खाने-पीने की चीजें खुले आसमान के नीचे रखने से चंद्रमा की किरणे सीधे उन पर पड़ती है जिससे विशेष पोषक तत्व खाद्य पदार्थों में मिल जाते हैं जो हमारी सेहत के लिए अनुकूल होते हैं।
अमृत वाली खीर खाने का तरीका
- शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी नारायण की उपासना की जाती हैं।
- भगवान के पूजन के बाद उनको खीर का भोग लगाया जाता हैं।
- रात्रि होने पर खीर को चन्द्रमा की रोशनी अथार्त चांदनी में रखना चाहिए।
- शरद पूर्णिमा की रात में मनुष्य को जाग कर ईश्वर की आराधना करनी चाहिए। मान्यता है कि इस रात देवी लक्ष्मी धरती पर आकर अपने भक्तों पर कृपा करती हैं।
- शरद पूर्णिमा के अगले दिन चन्द्रमा की रोशनी में रखी खीर खाएं।
- इस रात सभी को चन्द्रमा के दर्शन कर चांदनी में बैठना चाहिए।
- इस दिन हल्दी का प्रयोग नहीं किया जाता है।
- संभव हो तो खीर को चांदी के पात्र में बनाना चाहिए क्योकि चांदी में प्रतिरोधकता अधिक होती है।
शरद पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए
- शरद पूर्णिमा के दिन किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन ना करें। इस दिन लहसुन, प्याज का सेवन भी निषेध माना गया है। उपवास रखें तो ज्यादा बेहतर होगा।
- शरीर के शुद्ध और खाली रहने से आप ज्यादा बेहतर तरीके से अमृत की प्राप्ति कर पाएंगे।
- इस दिन काले रंग का प्रयोग न करें। और न ही काले रंग के कपड़े पहनें। चमकदार सफेद रंग के वस्त्र धारण करें तो ज्यादा अच्छा होगा।
- शरद पूर्णिमा पर चांद की रोशनी में रखी खीर खाने का विशेष महत्व बताया गया है। खीर को कांच, मिट्टी या चांदी के पात्र में ही रखें। अन्य धातुओं का प्रयोग न ही करें।
- शरद पूर्णिमा के दिन घर में किसी तरह का झगड़ा और आपसी कलह नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से घर में दरिद्रता का वास होने लगता है।
उत्तम स्वास्थ्य के लिए उपाय | sharad purnima benefits
रात के समय स्नान करके गाय के दूध में घी मिलाकर खीर बनाएं। खीर भगवान को अर्पित करके विधिवत भगवान कृष्ण की पूजा करें। मध्य रात्रि में जब चंद्रमा पूर्ण रूप से उदित हो जाए तो चंद्रदेव की उपासना करें। चन्द्रमा के मंत्र “ॐ सोम सोमाय नमः” का जाप करें। खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखें। सुबह जितनी जल्दी इस खीर का सेवन करें उतना ही उत्तम होगा।
धन की प्राप्ति के लिए उपाय | Sharad Purnima Remedies For Money Problems
- रात के समय माँ लक्ष्मी जी के सामने घी का दीपक जलाये
- इसके बाद उन्हें गुलाब के फूलो की माला अर्पित करें
- साथ ही सफेद मिठाई व गुलाब का इत्र अर्पित करें
- इसके साथ ही इस मंत्र की ११ माला जाप करें
- ॐ ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्म्ये नमः
- अब अर्पित किये हुए इत्र को रोज़ स्वयं प्रयोग करें
- इस उपाय से धन अभाव कभी नहीं होगा।