लेख सारिणी
भागवत गीता – Bhagwat Geeta
श्रीमद्भगवद्गीता (Bhagwat Geeta) वर्तमान में धर्म से ज्यादा जीवन के प्रति अपने दार्शनिक दृष्टिकोण को लेकर भारत में ही नहीं विदेशों में भी लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित कर रही है। भगवत गीता में (Bhagwat Geeta Hindi) निहित निष्काम कर्म का प्रबंधन गुरुओं को भी लुभा रहा है। महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से जो बातें कहीं थीं उनका महत्व आज भी है। भगवत गीता के उपदेश आज भी मनुष्य जाति के लिए उतने ही प्रासंगिक हैं जितने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन के लिए थे।
ऐसा माना जाता है कि इस दुनिया के सभी सवालों के जवाब भगवत गीता में छिपे हैं। जब भी कोई व्यक्ति अपने मार्ग से भटके या फिर उसे कोई रास्ता दिखाने वाला न मिले तो गीता के उपदेश अवश्य ही उसे रास्ता दिखाएंगे। श्रीमद्भगवद् गीता (Bhagwat geeta hindi) में कुल 18 अध्याय हैं, और 720 श्लोक हैं । गीता श्लोक श्री कृष्ण ने अर्जुन को उस समय सुनाये जब महाभारत के युद्ध के समय अर्जुन युद्ध करने से मना करते हैं तब श्री कृष्ण अर्जुन को गीता श्लोक सुनाते हैं और कर्म व धर्म के सच्चे ज्ञान से अवगत कराते हैं| श्री कृष्ण के इन्हीं उपदेशों को “भगवत गीता” नामक ग्रंथ में संकलित किया गया है |
सम्पूर्ण गीता शास्त्र का निचोड़ है जो बुद्धि को हमेशा सूक्ष्म करते हुए महाबुद्धि आत्मा में लगाये रखने तथा संसार के कर्म अपने स्वभाव के अनुसार सरल रूप से करते रहने पर जोर देती है। स्वभावगत कर्म करना सरल है और दूसरे के स्वभावगत कर्म को अपनाकर चलना कठिन है क्योंकि प्रत्येक जीव भिन्न भिन्न प्रकृति को लेकर जन्मा है, जीव जिस प्रकृति को लेकर संसार में आया है उसमें सरलता से उसका निर्वाह हो जाता है।
श्री भगवान ने सम्पूर्ण गीता शास्त्र में बार-बार आत्मरत, आत्म स्थित होने के लिए कहा है। स्वाभाविक कर्म करते हुए बुद्धि का अनासक्त होना सरल है अतः इसे ही निश्चयात्मक मार्ग माना है। यद्यपि अलग-अलग देखा जाय तो ज्ञान योग, बुद्धि योग, कर्म योग, भक्ति योग आदि का गीता में उपदेश दिया है परन्तु सूक्ष्म दृष्टि से विचार किया जाय तो सभी योग बुद्धि से श्री भगवान को अर्पण करते हुए किये जा सकते हैं इससे अनासक्त योग निष्काम कर्म योग स्वतः सिद्ध हो जाता है। श्रीमद्भगवद्गीता दुनिया के वैसे श्रेष्ठ ग्रंथों में है, जो न केवल सबसे ज्यादा पढ़ी जाती है, बल्कि कही और सुनी भी जाती है।
श्रीमद्भगवद् गीता के सभी अध्यायों को पढ़े – Bhagwat Geeta Hindi
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अर्जुनविषादयोग
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सांख्ययोग
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कर्मयोग
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ज्ञानकर्मसंन्यासयोग
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कर्मसंन्यासयोग
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आत्मसंयमयोग
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ज्ञानविज्ञानयोग
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अक्षरब्रह्मयोग
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राजविद्याराजगुह्ययोग
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विभूतियोग
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विश्वरूपदर्शनयोग
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भक्तियोग
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क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभागयोग
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गुणत्रयविभागयोग
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पुरुषोत्तमयोग
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दैवासुरसम्पद्विभागयोग
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श्रद्धात्रयविभागयोग
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मोक्षसंन्यासयोग
भगवत गीता के नाम से अन्य ग्रन्थ
- अष्टावक्र गीता – Ashtavakra gita
- अवधूत गीता – Avadhoot Geeta
- कपिल गीता – Kapil Geeta
- श्रीराम गीता – Shriram Geeta
- श्रुति गीता – Shruti Geeta
- उद्धव गीता – Udhhava Geeta
- वैष्णव गीता – Vaishnav Geeta
- कृषि गीता – Krashi Geeta
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