भारत देश में प्रचलित पौराणिक ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार मंगल देवताओं के सेनापती कहे जाते हैं । स्वभाव से क्रूर देव गृह मंगल मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी हैं जो कर्क में नीच व् मकर राशि में उच्च के माने जाते हैं । सिंह लग्न की कुंडली में मंगल चतुर्थेश, नवमेश होकर एक कारक गृह के रूप में मान्य हैं । यदि मंगल 1, 2, 4, 5, 7, 9, 10, 11 भाव में स्थित हों तो मंगल रत्न मूंगा धारण किया जा सकता है । आपको बताते चलें की जन्मपत्री के उचित विश्लेषण के बाद ही उपाय संबंधी निर्णय लिया जाता है की उक्त ग्रह को रत्न से बलवान करना है, दान से ग्रह का प्रभाव कम करना है , कुछ तत्वों के जल प्रवाह से ग्रह को शांत करना है याकी मंत्र साधना से उक्त ग्रह का आशीर्वाद प्राप्त करके रक्षा प्राप्त करनी है आदि । मंत्र साधना सभी के लिए लाभदायक होती है । आज हम सिंह लग्न कुंडली के १२ भावों में मंगल देव के शुभाशुभ प्रभाव को जान्ने का प्रयास करेंगे …
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सिंह लग्न – प्रथम भाव में मंगल- Singh Lagan – Mangal pratham bhav me :
यदि लग्न में मंगल हो तो जातक ऊर्जावान होता है । मंगल की महादशा में स्वास्थ्य अच्छा रहता है । रौबीला व्यक्तित्व होता है , सुख सुविधाएँ प्राप्त करने वाला पितृभक्त होता है, विदेश यात्रा करता है । साझेदारी के काम से लाभ प्राप्ति का योग बनता है । वैवाहिक जीवन सुखी रहता है ।
सिंह लग्न – द्वितीय भाव में मंगल – Singh Lagan – Mangal dwitiya bhav me :
ऐसे जातक को धन , परिवार कुटुंब का भरपूर साथ मिलता है । वाणी उग्र होती है । मंगल की महदशा में रुकावटों पर आसानी से विजय पा लेता है, पुत्र प्राप्ति कायोग बनाता है ।
सिंह लग्न – तृतीय भाव में मंगल – Singh Lagan – Mangal tritiy bhav me :
जातक बहुत परश्रमी होता है । बहुत परिश्रम के बाद जातक का भाग्य उसका साथ आवश्य देता है ।। छोटे भाई का योग बनता है । पिता से सम्बन्ध उत्तम रहते हैं ।जातक धार्मिक होता है । मुश्किलों पर विजय पाता है ।
सिंह लग्न – चतुर्थ भाव में मंगल – Singh Lagan – Mangal chaturth bhav me :
मंगल की महदशा में चतुर्थ भाव में मंगल होने से जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का पूर्ण सुख प्राप्त होता है । काम काज भी बेहतर स्थिति में होता है ।विदेश सेटलमेंट की सम्भावना बनती है । जातक थोड़ा उग्र बात करने वाला हो सकता है , माता का बहुत सम्मान करता है । दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है , दैनिकआय में वृद्धि होती है ।
सिंह लग्न – पंचम भाव में मंगल – Leo Lagna – Mars pancham bhav me :
अचानक लाभ की स्थिति बनती है । बड़े भाइयों बहनो से संबंध बहुत अच्छे रहते हैं , लाभ प्राप्ति का योग बनता है । स्वास्थ्य उत्तम रहता है , पुत्र प्राप्ति का योगबनता है । संतान प्राप्ति के बाद उन्नति निश्चय ही होती है । विदेश से लाभ की संभावना बनती है ।
सिंह लग्न – षष्टम भाव में मंगल – Singh Lagan – Mangal shashtm bhav me :
कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । प्रतियोगिता में बहुत मेहनत के बाद विजयश्री हाथ आती है । मंगल की महदशा में कोई नकोई टेंशन बानी रहती है । माता पिता को समस्याएँ आती हैं ।
सिंह लग्न – सप्तम भाव में मंगल – Singh Lagan – Mangal saptam bhav me :
जातक/ जातीका का वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। पति / पत्नी थोड़ा झगड़ालू प्रवृत्ति के हो सकती है । व्यवसाय व् साझेदारों से लाभ प्राप्ति का योग बनता है।प्रोफेशन उत्तम स्थिति में होता है , धन का आगमन होता रहता है ।
सिंह लग्न – अष्टम भाव में मंगल – Singh Lagan – Mangal ashtam bhav me :
यहां मंगल के अष्टम भाव में स्थित होने की वजह से जातक के हर काम में रुकावट आती है । मंगल की महादशा /अंतर्दशा में टेंशन बनी रहती है । लाभ में कमीआती है , कुटुंब का साथ नहीं मिलता है , धन की हानि होती है ।
सिंह लग्न – नवम भाव में मंगल – Leo Lagna – Mars navam bhav me :
जातक आस्तिक व् पितृ भक्त होता है । विदेश यात्रा करता है । छोटे भाई बहनो का साथ मिलता है । सुख सुविधाएं भोगता है ।
सिंह लग्न – दशम भाव में मंगल – Singh Lagan – Mangal dasham bhav me :
जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का पूर्ण सुख मिलता है । प्रोफेशनल लाइफ अच्छी होती है । काम काज बहुत अच्छा चलता है । पुत्र प्राप्ति का योग बनताहै ।
सिंह लग्न – एकादश भाव में मंगल – Singh Lagan – Mangal ekaadash bhav me :
यहां स्थित होने पर बड़े भाई बहनो से संबंध मधुर रहते है , लाभ मिलता है । पेट में छोटी मोटी बीमारी लगने की संभावना रहती है । पुत्र प्राप्ति का योग बनता है ।बुद्धि थोड़ी अग्रेसिव हो जाती है । मुश्किलें दूर होती हैं ।
सिंह लग्न – द्वादश भाव में मंगल – Singh Lagan – Mangal dwadash bhav me :
नीच राशि में आने से माता पिता से नहीं बनती है । मेहनत के परिणाम नहीं मिलते हैं । मन परेशान रहता है । कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना काभय बना रहता है । मंगल की महदशा में व्यर्थ का खर्च बना रहता है ।
कृपया ध्यान दें ….मंगल के फलों में बलाबल के अनुसार कमी या वृद्धि जाननी चाहिए । मंगल के ३,६,८,१२ भाव में स्थित होने पर किसी भी सूरत में मूंगा रत्न धारणन करें ( यदि ३,६,८,१२ भाव में मंगल अस्त हों तो मूंगा धारण किया जा सकता है । कुंडली का उचित विश्लेषण करवाने के उपरान्त ही किसी उपाय को अपनाएँ ।