तेरे बिना श्याम, हमारा नहीं कोई रे ।
हमारा नहीं कोई रे, सहारा नहीं कोई रे ॥
गहरी-गहरी नदियाँ, नाव पुरानी ।
डूबन लागी नाव बचाया नहीं कोई रे ॥
तेरे बिना श्याम, हमारा नहीं कोई रे
अमवा की डाली पर, पिंजड़ा टँगाया ।
उड गया सूवा, पढ़ाया नहीं कोई रे ॥
तेरे बिना श्याम, हमारा नहीं कोई रे
भाई और बन्धु कुटुम्ब कबीला ।
बिगड़ी जो बात, बनाया नहीं कोई रे ॥
तेरे बिना श्याम, हमारा नहीं कोई रे
जब से तेरी शरण मै आया ।
तेरे जैसा लाड़ लड़ाया नहीं कोई रे ॥
तेरे बिना श्याम, हमारा नहीं कोई रे
कहत कबीर सुनो भाई साधो।
गुरु बिन ज्ञान, सिखाया नहीं कोई रे॥
तेरे बिना श्याम हमारा नहीं कोई रे
हमारा नहीं कोई रे, सहारा नहीं कोई रे
तेरे बिना श्याम हमारा नहीं कोई रे
तेरे बिना श्याम हमारा नहीं कोई रे
मैंने तुझ पर सब कुछ वारा,
तू मुझको प्राणों से प्यारा।
तेरे जैसा साथ, निभाया नहीं कोई रे॥
तेरे बिना श्याम हमारा नहीं कोई रे
घर-घर तेरा नाम जपाऊँ,
तेरी महिमा सबको सुनाऊँ।
तेरे जैसा प्रेम, दिखाया नहीं कोई रे॥
तेरे बिना श्याम हमारा नहीं कोई रे
तुम जैसा दातार न पाऊँ,
तुमको छोड़ मैं किस दर जाऊँ ।
तेरे जैसा मान, बढ़ाया नहीं कोई रे॥
तेरे बिना श्याम हमारा नहीं कोई रे
तेरे बिना श्याम हमारा नहीं कोई रे।