पंचमहापुरुष योग (Panchmahapurush yoga) की श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए आज हम तुला लग्न की कुंडली में बनने वाले पंचमहापुरुष योग के बारे में जानेंगे । अभी तक आप जान ही चुके है की यह योग बनाने के लिए मंगल, बुद्ध, गुरु, शनि व् शुक्र पांच ग्रहों में से किसी एक गृह का बलाबल के साथ केंद्र में स्वराशिस्थ अथवा उच्चराशिस्थ होना परम आवश्यक है । सूर्य, चंद्र, राहु व् केतु पंचमहापुरुष योग नहीं बनाते हैं । प्रस्तुत आर्टिकल से जानने का प्रयास करते हैं की तुला लग्न की कुंडली में किन स्थितियों में बनता है यह योग और क्या हो सकते हैं इस योग के संभावित लाभ……
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तुला लग्न की कुंडली में पंचमहापुरुष योग Panchmahapurush yoga in Libra/Tula lgna kundli :
मालव्य योग Malvy yoga :
तुला लग्न की जन्मपत्री में लग्नेश शुक्र एक अत्यंत शुभ गृह होते हैं । इस लग्न कुंडली में शुक्र को पहले तथा आठवें भाव के स्वामित्व प्राप्त है । यदि शुक्र लग्न में अपनी ही राशि तुला में स्थित हो जाएँ तो मालव्य नाम का पंचमहापुरुष योग बनाते हैं । जिस भी जातक की जन्मपत्री में यह योग होता है उसे ऐशो आराम के सभी साधन सहज ही प्राप्त होते हैं । लग्नेश का ताकतवर होना जातक को स्वस्थ व् सुन्दर देह प्रदान करता है । ऐसा जातक पहले व् सातवें भाव सम्बन्धी सभी लाभ प्राप्त करता है । शुक्र के सातवीं दृष्टि से सप्तम भाव को देखने की वजह से जातक को बहुत सुन्दर व् आकर्षक जीवनसाथी मिलता है । वहीँ दैनिक आय में दिन बदिन खूब बढ़ौतरी होती है । ऐसे जातक के बिज़नेस पार्टनर्स के साथ भी मधुर सम्बन्ध होते हैं, पार्टनरशिप से लाभ प्राप्त होता है । शुक्र की महादशा में खूब धन,मान, यश प्राप्त करता है । समाज में प्रतिष्ठित होता है । यदि किसी मारक गृह की दशा चल रही हो और जातक परेशानियां झेल रहा हो तो भी शुक्र की अन्तर्दशा में जातक पुनः उन्नति की और अग्रसर हो जाता है । तुला लग्न की कुंडली में आठवें भाव में वृष राशि आती है जो शुक्र देव की स्वयं की राशि है । यह दर्शाता है की जातक परेशानियों से पार पाने की पूर्ण क्षमता अपने अंदर लिए होता है ।
शश योग Sasa yoga :
तुला लग्न की कुंडली में शनि देव को चौथे व् पांचवें भाव का स्वामित्व प्राप्त है । यदि शनि देव चौथे भाव में अपनी साधारण राशि में विराजमान हों तो जातक को सुख समृद्धि के सभी साधन प्राप्त होते हैं । माता से जातक का विशेष लगाव होता है । अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से जातक को बहुत लाभ प्राप्त होता है । ऐसा जातक मकान, वाहन, भूमि, संपत्ति का सुख प्राप्त करता है । राज्य से सम्मान प्राप्त करता है । संतान सुख प्राप्त करता है । यदि न्यायप्रिय रहे तो अचानक लाभ प्राप्त करता है यानी उसे ऐसे लाभ भी प्राप्त होते हैं जिनके बारे में उसने कभी सोचा भी न हो । यदि किसी से अन्याय करे या न्यायोचित तरीके से काम न करे तो शनि देव से मिलने वाले लाभों में कमी तो आती ही है साथ ही साथ साढ़ेसाती के समय में उसे दंड भी अवश्य भोगना पड़ता है । ध्यान रखें की शनि देव अन्याय करने वाले को किसी भी सूरत में नहीं बक्शते तो सावधान रहें अन्यथा परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें ।
मंगल इस कुंडली में एक मारक गृह बनते हैं इसलिए कोई योग नहीं बनाते और चंद्र तो पंचमहापुरुष योग बनाते ही नहीं हैं ।
ध्यान देने योग्य है की पंचमहापुरुष योग बनाने वाला गृह यदि अस्त हो जाए अथवा बलाबल में कमजोर हो तो उपर्लिखित परिणाम प्राप्त नहीं होते । पंचमहापुरुष योग बनाने वाले गृह का बल जिस अनुपात में होता है फल भी उसी अनुपात में प्राप्त होते हैं ।
आशा है की आज का विषय आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा । आदियोगी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो ।( YourAstrologyGuru.Com ) पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।