Loading...

299 Big Street, Govindpur, India

Open daily 10:00 AM to 10:00 PM

योगिनी एकादशी व्रत कथा – Yogini Ekadashi Vrat Katha

Uncategorized

योगिनी एकादशी – Yogini Ekadashi

भगवान विष्णु की पूजा उपासना को समर्पित सभी एकादशी में से योगिनी एकादशी का विशेष महत्व है। Yogini Ekadashi का व्रत करने से व्रती को पापकर्मों के पाश से मुक्ति मिल जाती है। आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की यह योगिनी एकादशी देह की समस्त आधि-व्याधियों को नष्ट कर सुंदर रुप, गुण और यश देने वाली होती है। आइए जानते हैं इस व्रत की कथा, पूजा विधि के बारे में…

एकादशी व्रत के नियम – Yogini Ekadashi Vrat Niyam

एकादशी के व्रत को रखने के लिए सबसे प्रथम यह नियम होता है कि हमें एक व्रत के एक दिन पहले से बिना प्‍याज लहसुन का सात्विक करना प्रारंभ कर देना चाहिए। यह व्रत दशमी तिथि की रात्रि से लेकर द्वादशी तिथि की सुबह दान कर्म करने के साथ ही समाप्‍त होता है। इसलिए व्रती को दशमी से ही तामसिक भोजन करना बंद कर देना चाहिए। पुराणों में इस व्रत का विशेष महत्‍व इसलिए है कि इस एकादशी तक भगवान विष्‍णु जागृत अवस्‍था में रहते हैं। इसके बाद जो एकादशी आती है उसे देवशयनी एकादशी कहते हैं। उसके बाद श्रीहरि 4 महीने के लिए दीर्घ शयन पर चले जाते हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्‍य मिलता है।

योगिनी एकादशी की पूजा विधि – Yogini Ekadashi Vrat Vidhi

  • एकादशी से एक दिन पहले यानी कि दशमी तिथि से व्रत के नियमों का पालन करें.
  • दशमी तिथि को सादा भोजन ग्रहण करें और ब्रह्मचार्य के नियमों का पालन करें.
  • योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर में साफ-सफाई करें.
  • इसके बाद स्‍नान करें और स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण कर व्रत का संकल्‍प लें.
  • घर के मंदिर में भगवान विष्‍णु की प्रतिमा, फोटो या कैलेंडर के सामने दीपक जलाएं.
  • इसके बाद विष्‍णु की प्रतिमा को अक्षत, फूल, मौसमी फल, नारियल और मेवे चढ़ाएं.
  • विष्‍णु की पूजा करते हुए तुलसी के पत्ते अवश्‍य रखें.
  • साथ में भगवान विष्‍णु के मंत्र का भी जप करते रहें।

मम सकल पापक्षयपूर्वक कुष्ठादिरोग।
निवृत्तिकामनया योगिन्येकादशीव्रतमहं करिष्ये।।

  • इसके बाद धूप दिखाकर श्री हरि विष्‍णु की आरती करें.
  • अब पीपल के पेड़ की पूजा करें.
  • एकादशी की कथा सुनें या पढ़े.
  • इस दिन दान करना कल्‍याणकारी माना जाता है.
  • रात के समय भगवान के भजन-कीर्तन करना चाहिए.
  • अगले दिन पारण के समय किसी ब्राह्मण या गरीब को यथाशक्ति भोजन कराएं और दक्षिणा दें.
  • इसके बाद अन्‍न और जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें.

योगिनी एकादशी व्रत कथा – Yogini Ekadashi Ki Katha

भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिर को बताते हैं कि स्वर्गधाम की अलकापुरी नामक नगरी में कुबेर नाम का एक राजा रहता था। वह शिव भक्त था और प्रतिदिन शिव की पूजा किया करता था। हेम नाम का एक माली पूजन के लिए उसके यहां फूल लाया करता था। हेम की विशालाक्षी नाम की सुंदर स्त्री थी। एक दिन वह मानसरोवर से पुष्प तो ले आया लेकिन कामासक्त होने के कारण वह अपनी स्त्री से हास्य-विनोद तथा रमण करने लगा।

इधर राजा उसकी दोपहर तक राह देखता रहा। अंत में राजा कुबेर ने सेवकों को आज्ञा दी कि तुम लोग जाकर माली के न आने का कारण पता करो, क्योंकि वह अभी तक पुष्प लेकर नहीं आया। सेवकों ने कहा कि महाराज वह पापी अतिकामी है, अपनी स्त्री के साथ हास्य-विनोद और रमण कर रहा होगा। यह सुनकर कुबेर ने क्रोधित होकर उसे बुलाया।

हेम माली राजा के भय से काँपता हुआ उपस्थित हुआ। राजा कुबेर ने क्रोध में आकर कहा- ‘अरे पापी! नीच! कामी! तूने मेरे परम पूजनीय ईश्वरों के ईश्वर श्री शिवजी महाराज का अनादर किया है, इस‍लिए मैं तुझे श्राप देता हूं कि तू स्त्री का वियोग सहेगा और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होगा।’ कुबेर के श्राप से हेम माली का स्वर्ग से पतन हो गया और वह उसी क्षण पृथ्वी पर गिर गया। भूतल पर आते ही उसके शरीर में श्वेत कोढ़ हो गया। उसकी स्त्री भी उसी समय अंतर्ध्यान हो गई। मृत्युलोक में आकर माली ने महान दु:ख भोगे, भयानक जंगल में जाकर बिना अन्न और जल के भटकता रहा।

विचरण करते हुए एक दिन वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंच गया। उसे देखकर मार्कण्डेय ऋषि बोले कि तुमने ऐसा कौन-सा पाप किया है, जिसके प्रभाव से यह हालत हो गई। हेम माली ने सारा वृत्तांत कह सुनाया। यह सुनकर ऋषि बोले- निश्चित ही तूने मेरे सम्मुख सत्य वचन कहे हैं, इसलिए तेरे उद्धार के लिए मैं एक व्रत बताता हूं। यदि तू आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करेगा तो तेरे सब पाप नष्ट हो जाएंगे। हेम माली ने मुनि के कथनानुसार विधिपूर्वक योगिनी एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से अपने पुराने स्वरूप में आकर वह अपनी स्त्री के साथ सुखपूर्वक रहने लगा।

यह भी पढ़े – 

Written by

Your Astrology Guru

Discover the cosmic insights and celestial guidance at YourAstrologyGuru.com, where the stars align to illuminate your path. Dive into personalized horoscopes, expert astrological readings, and a community passionate about unlocking the mysteries of the zodiac. Connect with Your Astrology Guru and navigate life's journey with the wisdom of the stars.

Leave a Comment

Item added to cart.
0 items - 0.00