लेख सारिणी
साईं बाबा की कथा और साईं व्रत पूजा विधि तथा महामंत्र
साईं बाबा की सच्ची पूजा करनी है, तो असहाय की मदद करने का संकल्प लें । उनका संदेश ही है कि गरीबों और मजबूरो की हमेशा मदद करो, सुखी रहोगे ।
विश्व के सभी अवतार पुरुषों में साईं बाबा का नाम प्रमुखता से लिया जाता है । आधुनिक युग में साईं बाबा को हर दुख के निवारण का माध्यम माना जाता है । श्रद्धा और सबूरी दो शब्द उनके साथ जुड़े हुए हैं और उनके प्रति आस्था व्यक्त करने वाले हर व्यक्ति के अंतर्मन में यह भावना आती है । नासिक के शिरडी गांव के नीम वृक्ष के तट पर आज भी उसी तरह भक्तों को साईं बाबा के प्रकट होने का एहसास होता है । भक्त भी मानते हैं कि यहां साईं का चमत्कार हमेशा होता है ।
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साईं बाबा की कथा
माना जाता है कि शिरडी गांव में नीम के वृक्ष के पास बालक के रूप में बाबा प्रकट हुए थे । जिस तरह संतों का धर्म दया और शांति होता है, ठीक उसी तरह साईं बाबा का स्वभाव था । श्री साईं बाबा खुद भक्तों के कल्याण हेतु धरती पर अवतरित हुए थे । उस समय पूर्ण रूप से ब्रह्मज्ञानी माने जाते थे । साईं बाबा का संदेश यह है कि जो मनुष्य निर्धन एवं मजबूर लोगों की मदद करते हैं, उन पर साईं कृपा सदैव बनी रहती है ।
बाबा का निवास एक मस्जिद थी, जो जीर्ण-शीर्ण अवस्था में थी, जिसे वह द्वारिका माई कहते थे । उनका कहना था कि राम हिंदुओं के ईश्वर हैं और मुसलमान अल्लाह को मानते हैं । पर ये दोनों एक ही रूप है और हर किसी के लिए उनकी कृपा बराबर होती है । वह लोगों के यहां भिक्षाटन करके अपना गुजारा चलाते थे और हर गुरुवार को गरीबों को भोजन कराते थे। उनके दरबार में ना तो कोई छोटा था, ना कोई बड़ा । जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा से उनकी भक्ति करते है, उनकी सफलता में बाधाएं नहीं आती । इसलिए हर गुरुवार को उनका व्रत करने की बात कही जाती है ।
साईं व्रत विधि
साईं बाबा के पूजन व साईं बाबा व्रत कथा के लिए गुरुवार का दिन उत्तम है। यह एक ऐसा व्रत है जिसे कोई भी कर सकतें हैं। चाहे बच्चा हो या बुजुर्ग या महिला या किसी भी जाति के लोग, साईं बाबा उनमें कोई भेद नहीं करते। यह व्रत सभी कर सकते हैं। शिर्डी वाले साईं बाबा का मानना था कि ईश्वर एक हैं और वही सबके मालिक हैं। जात पात तो लोगों द्वारा बनाया गया भ्रम है ।
सबसे पहले अपनी हथेली के आकार का सफेद कपड़ा लेकर उसे गीली हल्दी से रंगकर सुखा लें । गुरुवार को प्रातःकाल या सायंकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें । अब पूर्व दिशा में आसन बिछाकर उसपर साईं बाबा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें । इसके बाद चंदन या कुमकुम का तिलक लगाएं । ताजे फूलों की माला समर्पित करें और घी का दीपक व अगरबत्ती जलाएं ।
अब उनके सामने आसन लगाकर बैठ जाए और हल्दी वाले सूखे पीले वस्त्र में एक सिक्का रखकर जिस प्रयोजन के लिए व्रत कर रहे हैं, उसे पूरा करने के लिए प्रार्थना करते हुए उस बस्त्र को बांध दे और साईं बाबा के चरणों में समर्पित कर दे । आप चाहे तो अपनी इच्छा अनुसार पांच, सात, नौ, ग्यारह अथवा इक्कीस गुरुवार तक ब्रत व पूजन का संकल्प ले सकते हैं । हर गुरुवार को पूजन के साथ उनके अष्टोत्तरशत नामावली का भी पाठ करें । आरती करने के बाद प्रसाद के रूप में खिचड़ी या मिठाई अथवा फल बांटे । ब्रत पूरा होने के बाद आप उसका उद्यापन भी करें । इसके लिए निश्चित संख्या में गरीबों को भोजन भी कराएं ।
साईं बाबा के महामंत्र
श्री साईं बाबा के 108 नाम भी साईं महामंत्र के रूप में काम में लिए जा सकते है . साईं बाबा के 108 नाम को हम साईं बाबा नामवाली कहते है . साईं बाबा के मंत्र उच्चारण से हम साईं बाबा के करीब पहुच सकते है क्योकि हर मंत्र चमत्कारी और शक्तिशाली होते है जिनमे ईश्वर के करीब तक जाने की शक्ति होती है
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साईं बाबा महामंत्र
- ॐ साईं राम
- जय जय साईं राम
- सबका मालिक एक है
- ॐ साईं देवाय नमः
- ॐ साईं गुरुवाय नमः
- ॐ शिरडी देवाय नमः
- ॐ सर्व देवाय रूपाय नमः
- ॐ समाधिदेवाय नमः
- ॐ अजर अमराय नमः
- ॐ मालिकाय नमः
- ॐ फखिरदेवाय नमः
- ॐ शिरडी वासाय विद्महे सच्चिदानंदाय धीमहि तनो साईं प्रचोदयात
- ॐ सर्वज्ञा सर्व देवता सवरूप अवतारा , सत्य धर्म शांति प्रेमा स्वरूप अवतारा, सत्यम शिवम् सुन्दरम स्वरुप अवतारा , अनंत अनुपम ब्रह्म स्वरूप अवतारा ,
- ॐ परमानंद श्री शिर्डी नाथाय नमः