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मंगलवार व्रत कथा | Mangalvar Vrat Katha

मंगलवार व्रत कथा  Mangalvar Vrat Katha

Mangalvar Vrat Katha-मंगलवार व्रत कथा एक ऐसी कथा है जो हिंदू धर्म में मंगलवार के दिन व्रत करने के लिए कहानियों का संग्रह है। यह व्रत भगवान हनुमान जी को समर्पित होता है और मंगलवार के दिन इसे करने से भगवान हनुमान जी की कृपा प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से लोग अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकते हैं और भगवान हनुमान जी की कृपा से उनके जीवन में सुख-शांति आती है।

मंगलवार व्रत कथा के अनुसार, एक बार एक राजा ने अपने राज्य में एक बड़ा विपदा आने की भयंकर संभावना देखी थी। उसने अपने राज्य के ब्राह्मणों से पूछा कि उन्हें क्या करना चाहिए। ब्राह्मणों ने उसे मंगलवार के दिन भगवान हनुमान की पूजा करने की सलाह दी। राजा ने उनकी सलाह का पालन किया और उसने मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा की। उसके बाद से राजा के राज्य में सुख शांति आ गयी थी।

मंगलवार व्रत कथा का महत्व -Mangalvar Vrat Katha ka Mahatav

मंगलवार व्रत कथा का महत्व बहुत अधिक होता है। मंगलवार को भगवान हनुमान जी का दिन माना जाता है और इस दिन को व्रत रखने से भगवान हनुमान जी की कृपा मिलती है।

मंगलवार व्रत कथा को सुनने से मनुष्य की समस्याओं से छुटकारा मिलता है और उन्हें आरोग्य, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है।

मंगलवार को व्रत रखने से भगवान हनुमान जी व्यक्ति को अपनी कृपा से नहीं छोड़ते हैं और उन्हें संभवतः सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

मंगलवार व्रत कथा क्या है- Mangalvar Vrat Katha Kya Hai

एक समय की बात है एक ब्राह्मण दंपत्ति की कोई संतान नहीं थी, जिस कारण वह बेहद दुःखी थे। एक समय ब्राह्मण वन में हनुमान जी की पूजा के लिए गया। वहाँ उसने पूजा के साथ महावीर जी से एक पुत्र की कामना की।

घर पर उसकी स्त्री भी पुत्र की प्राप्ति के लिए मंगलवार का व्रत करती थी। वह मंगलवार के दिन व्रत के अंत में हनुमान जी को भोग लगाकर ही भोजन करती थी।

एक बार व्रत के दिन ब्राह्मणी ना भोजन बना पाई और ना ही हनुमान जी को भोग लगा सकी। उसने प्रण किया कि वह अगले मंगलवार को हनुमान जी को भोग लगाकर ही भोजन करेगी।

वह भूखी प्यासी छह दिन तक पड़ी रही। मंगलवार के दिन वह बेहोश हो गई। हनुमान जी उसकी निष्ठा और लगन को देखकर प्रसन्न हुए। उन्होंने आशीर्वाद स्वरूप ब्राह्मणी को एक पुत्र दिया और कहा कि यह तुम्हारी बहुत सेवा करेगा।

बालक को पाकर ब्राह्मणी अति प्रसन्न हुई। उसने बालक का नाम मंगल रखा। कुछ समय उपरांत जब ब्राह्मण घर आया, तो बालक को देख पूछा कि वह कौन है?

पत्नी बोली कि मंगलवार व्रत से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने उसे यह बालक दिया है। ब्राह्मण को अपनी पत्नी की बात पर विश्वास नहीं हुआ। एक दिन मौका देख ब्राह्मण ने बालक को कुएं में गिरा दिया।

घर पर लौटने पर ब्राह्मणी ने पूछा कि, मंगल कहां है? तभी पीछे से मंगल मुस्कुरा कर आ गया। उसे वापस देखकर ब्राह्मण आश्चर्यचकित रह गया। रात को हनुमानजी ने उसे सपने में दर्शन दिए और बताया कि यह पुत्र उसे उन्होंने ही दिया है।

ब्राह्मण सत्य जानकर बहुत खुश हुआ। इसके बाद ब्राह्मण दंपत्ति प्रत्येक मंगलवार को व्रत रखने लगे।

जो मनुष्य मंगलवार व्रत कथा को पढ़ता या सुनता है,और नियम से व्रत रखता है उसे हनुमान जी की कृपा से सब कष्ट दूर होकर सर्व सुख प्राप्त होता है, और हनुमान जी की दया के पात्र बनते हैं।

प्रसिद्ध भजन पढ़ें- हनुमान जी के भजन

मंगलवार व्रत कथा के लाभ – Mangalvar Vrat Katha ke Labh

मंगलवार व्रत कथा करने से बहुत से लाभ होते हैं। इस व्रत को करने से व्यक्ति को अधिक धन, स्वास्थ्य और समृद्धि मिलती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें शांति भी मिलती है।

इस व्रत को करने से व्यक्ति को अनेक बीमारियों से छुटकारा मिलता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को अधिक ऊर्जा मिलती है और उनकी सोच और व्यवहार भी सकारात्मक होते हैं।

इस व्रत को करने से व्यक्ति का जीवन सफलता से भरा होता है और वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को नकारात्मकता से छुटकारा मिलता है और उन्हें सकारात्मक सोचने की शक्ति मिलती है।

 

मंगलवार व्रत कथा के नियम और विधि- Mangalvar Vrat Katha ke Niyam Or Vidhi

मंगलवार व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह व्रत भगवान हनुमान जी की पूजा करने से किया जाता है। इस व्रत का उद्देश्य भगवान हनुमान जी की कृपा प्राप्त करना होता है। इस व्रत का पालन करने से मनोकामना पूर्ति होती है और सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।

मंगलवार व्रत के नियम और विधि निम्नलिखित हैं:

  • इस व्रत को सम्पूर्ण भक्ति और निष्ठा से किया जाना चाहिए।
  • व्रत के दिन भोजन में अन्न एवं तम्बूल नहीं खाना चाहिए।
  • व्रत के दिन उषा काल से पहले नहाना चाहिए।
  • व्रत के दिन सम्पूर्ण दिन भगवान हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए।
  • व्रत के दिन आपको एक बार भोजन करना चाहिए।
  • व्रत के दिन नींद नहीं करनी चाहिए।
  • व्रत के दिन विशेष रूप से लाल वस्त्र, लाल फूल, लाल चंदन और लाल फल उपयोग में लाना चाहिए।

इस प्रकार, मंगलवार व्रत के नियम और विधि बहुत सरल हैं। इस व्रत का पालन करने से भगवान हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।

मंगलवार व्रत कथा के बाद क्या करें- Mangalvar Vrat Katha ke Baad Kya Kare

मंगलवार व्रत कथा से जुड़े लोग व्रत के समापन के बाद विभिन्न चीजें करते हैं। उन्हें अपने व्रत के फल को प्राप्त करने के लिए अन्य चीजों का भी ध्यान रखना चाहिए।

कुछ लोग व्रत के समापन के बाद अपने घर में दान देते हैं जैसे कि अन्न, कपड़े, धन आदि। इससे वे अपने व्रत के फल को बढ़ाते हैं।

व्रत के समापन के बाद लोग अपने घर को साफ-सुथरा रखते हैं और उसे दीपों से सजाते हैं। वे घर में दीप जलाते हैं जो उन्हें सकारात्मक ऊर्जा देते हैं।

कुछ लोग व्रत के समापन के बाद भगवान की पूजा करते हैं और उन्हें धन, स्वास्थ्य और सफलता की प्राप्ति होती है।

मंगलवार की संध्या आरती क्या है- Mangalvar Sandhya Arti Kya Hai

मंगलवार के व्रत में संध्या आरती अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। संध्या आरती एक प्रकार का पूजा अर्चना होती है जो श्री हनुमान जी को समर्पित होती है। यह आरती श्रद्धालुओं के द्वारा श्री हनुमान जी को ध्यान में लाकर उनसे आशीर्वाद लेने का एक उत्कृष्ट तरीका होता है।

संध्या आरती में गाये जाने वाले भजन और दोहे श्री हनुमान जी के गुणों का वर्णन करते हैं और उन्हें आराधना के लिए प्रेरित करते हैं। इसके अलावा, आरती में दीपक जलाकर भक्ति का अनुभव किया जाता है।

इस व्रत में संध्या आरती को करने से श्री हनुमान जी अपनी कृपा बरसाते हैं जो श्रद्धालु के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाती है।

मंगलवार की संध्या आरती के लाभ

मंगलवार के व्रत में संध्या आरती का बहुत महत्व होता है। संध्या आरती करने से व्रत का फल दोगुना होता है।

संध्या आरती के दौरान जो आरती गाई जाती है, उससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे घर का माहौल शुद्ध होता है और सभी सदस्य खुश और संतुष्ट रहते हैं।

संध्या आरती करने से श्री हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और वह अपनी शक्ति से सभी संकटों से मुक्ति दिलाते हैं। इससे घर में सुख और समृद्धि की विभिन्न प्रकार की वस्तुएं आती हैं।

मंगलवार की संध्या आरती कैसे करें

मंगलवार व्रत के दौरान संध्या आरती करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसे करने से व्रत का फल दोगुना होता है। संध्या आरती करने से पूर्व व्रती को स्नान करना चाहिए। यदि संध्या आरती करने के लिए व्रती घर से बाहर जाते हैं, तो उन्हें पूजा करने के लिए एक शुद्ध स्थान ढूंढना चाहिए।

संध्या आरती के लिए निम्नलिखित चीजें आवश्यक होती हैं:

  • दिया और दिया स्थान
  • अगरबत्ती
  • फूल
  • आरती की थाली
  • गंगाजल या जल
  • आरती

संध्या आरती के लिए व्रती को अपने घर के मंदिर में जाना चाहिए। उन्हें दिया और अगरबत्ती जलाने के लिए उपलब्ध कराना चाहिए। उन्हें फूल और आरती की थाली भी देनी चाहिए।

अब व्रती को गंगाजल या जल से अपने हाथों को धोना चाहिए। फिर उन्हें आरती की थाली लेकर दिया और अगरबत्ती के सामने बैठना चाहिए। उन्हें आरती के गाने गाने चाहिए और आरती की थाली को दिया के चारों ओर घुमाना चाहिए।

आरती के बाद, व्रती को फूलों को प्रणाम करना चाहिए और फिर उन्हें खाने की वस्तुओं का भोग चढ़ाना चाहिए। संध्या आरती के बाद व्रती को खुशहाली मिलती है और उन्हें अधिक उत्स

मंगलवार की संध्या आरती के नियम और विधि

मंगलवार व्रत के दौरान संध्या आरती करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस आरती को करने से व्रत की विधि और नियमों को पूरा करने में मदद मिलती है। इसके अलावा इस आरती को करने से व्रत के फल भी बढ़ते हैं।

इस आरती को करने के लिए कुछ नियम होते हैं जो निम्नलिखित हैं:

  • आरती का समय संध्या के बाद होता है।
  • आरती करते समय आपको एक थाली में दिया, फूल और अर्घ्य रखना होता है।
  • आरती करते समय आपको अपने दोनों हाथों में दीपक लेना होता है।

आरती करने की विधि निम्नलिखित है:

  1. आरती करते समय आपको दीपक को जलाना होता है।
  2. फिर आपको दीपक को थाली में रखना होता है।
  3. फिर आपको अपने दोनों हाथों को जोड़कर आरती करनी होती है।
  4. आरती करते समय आपको आरती के गाने गाने होते हैं।
  5. आरती के बाद आपको अर्घ्य देना होता है।

मंगलवार की संध्या आरती के बाद क्या करें

मंगलवार के व्रत में संध्या आरती बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस व्रत में संध्या आरती के बाद व्रत के नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है।

व्रत के नियमों के अनुसार, संध्या आरती के बाद व्रती को भोजन करना नहीं चाहिए। उसे अन्न नहीं खिलाना चाहिए जो उसके व्रत से विरत हैं। इसके अलावा, व्रती को अपने मन को शुद्ध रखना चाहिए और विषयों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।

व्रत के नियमों का पालन करने के साथ-साथ, व्रती को अपने दोषों को समझना चाहिए और उन्हें दूर करने के लिए प्रयास करना चाहिए। वह अपने अच्छे कर्मों को बढ़ावा देने के लिए भी प्रयास कर सकता है।

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