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लघु रुद्राभिषेक पूजा – Laghu Rudrabhishek

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रुद्राभिषेक – Laghu Rudrabhishek

लघु रूद्र पूजा (Rudrabhishek) का सामान्य सा अर्थ यही होता है कि शिव की ऐसी पूजा जो व्यक्ति के सभी दुखों का नाश कर देती है. आपको बता दें कि यजुर्वेद में कई बार इस शब्द का उल्लेख किया गया है. भगवान शिव के रूद्र रूप की पूजा से व्यक्ति को विशेष लाभ होता है ऐसा शास्त्रों में बताया गया है. शिव के इस रूप की पूजा से इंसान के कई जन्मों के कर्म भी साफ हो जाते हैं.


भगवान शिव का एक नाम रुद्र भी है। रुद्र शब्द की महिमा का गुणगान धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। यजुर्वेद में कई बार इस शब्द का उल्लेख हुआ है। रुद्राष्टाध्यायीको तो यजुर्वेद का अंग ही माना जाता है। रुद्र अर्थात रुत् और रुत् का अर्थ होता है दुखों को नष्ट करने वाला यानि जो दुखों को नष्ट करे वही रुद्र है अर्थात भगवान शिव क्योंकि वहीं समस्त जगत के दुखों का नाश कर जगत का कल्याण करते हैं।

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रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारे पटक-से पातक कर्म भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है। रूद्रहृदयोपनिषद में शिव के बारे में कहा गया है कि-

“सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका” – अर्थात् सभी देवताओं की आत्मा में रूद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रूद्र की आत्मा हैं। वैसे तो रुद्राभिषेक किसी भी दिन किया जा सकता है परन्तु त्रियोदशी तिथि,प्रदोष काल और सोमवार को इसको करना परम कल्याण कारी है | श्रावण मास में किसी भी दिन किया गया रुद्राभिषेक अद्भुत व् शीघ्र फल प्रदान करने वाला होता है | आइये आपको बताते हैं लघु रुद्र पूजा के बारे में कि क्या होती है लघु रुद्र पूजा, यह कैसे की जाती है और इस लघु रुद्र पूजा के करने से क्या लाभ मिलता है।

क्या होती है लघु रुद्र पूजा – Laghu Rudrabhishek Mantra

रुद्राष्टाध्यायी को यजुर्वेद का अंग माना जाता है। वैसे तो भगवान शिव अर्थात रुद्र की महिमा का गान करने वाले इस ग्रंथ में दस अध्याय हैं लेकिन चूंकि इसके आठ अध्यायों में भगवान शिव की महिमा व उनकी कृपा शक्ति का वर्णन किया गया है। इसलिये इसका नाम रुद्राष्टाध्यायी ही रखा गया है। शेष दो अध्याय को शांत्यधाय और स्वस्ति प्रार्थनाध्याय के नाम से जाना जाता है। रुद्राभिषेक करते हुए इन सम्पूर्ण 10 अध्यायों का पाठ रूपक या षडंग पाठ कहा जाता है।

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वहीं यदि षडंग पाठ में पांचवें और आठवें अध्याय के नमक चमक पाठ विधि यानि ग्यारह पुनरावृति पाठ को एकादशिनि रुद्री पाठ कहते हैं। पांचवें अध्याय में “नमः” शब्द अधिक प्रयोग होने से इस अध्याय का नाम नमक और आठवें अध्याय में “चमे” शब्द अधिक प्रयोग होने से इस अध्याय का नाम चमक प्रचलित हुआ। दोनों पांचवें और आठवें अध्याय पनरावृति पाठ नमक चमक पाठ के नाम से प्रसिद्ध हैं। एकादशिनि रुद्री के ग्यारह आवृति पाठ को लघु रूद्र कहा जाता है। वहीं लघु रुद्र के ग्यारह आवृति पाठ को महारुद्र तो महारुद्र के ग्यारह आवृति पाठ को अतिरुद्र कहा जाता है। रुद्र पूजा के इन्हीं रुपों को कहता है यह श्लोक-

रुद्रा: पञ्चविधाः प्रोक्ता देशिकैरुत्तरोतरं ।
सांगस्तवाद्यो रूपकाख्य: सशीर्षो रूद्र उच्च्यते ।।
एकादशगुणैस्तद्वद् रुद्रौ संज्ञो द्वितीयकः ।
एकदशभिरेता भिस्तृतीयो लघु रुद्रकः।।

रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र  – अर्थात् भगवान शिव सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं। सबसे बड़ा और अहम कारण रुद्र पूजा का यही है कि इससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। रुद्रार्चन से मनुष्य के पातक एवं महापातक कर्म नष्ट होकर उसमें शिवत्व उत्पन्न होता है और भगवान शिव के आशीर्वाद से साधक के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

लघु रुद्र पूजा विधि – Laghu Rudra Puja Vidhi

इसमें में रुद्राष्टाध्यायी के एकादशिनि रुद्री के ग्यारह आवृति पाठ किया जाता है। इसे ही लघु रुद्र कहा जाता है। यह पंच्यामृत से की जाने वाली पूजा है। इस पूजा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रभावशाली मंत्रो और शास्त्रोक्त विधि से विद्वान ब्राह्मण द्वारा पूजा को संपन्न करवाया जाता है। इस पूजा से जीवन में आने वाले संकटो एवं नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता है।

लघु रुद्राभिषेक कैसे करे 

जल से अभिषेक

  • हर तरह के दुखों से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव का जल से अभिषेक करें
  • भगवान शिव के बाल स्वरूप का मानसिक ध्यान करें
  • ताम्बे के पात्र में ‘शुद्ध जल’ भर कर पात्र पर कुमकुम का तिलक करें
  • ॐ इन्द्राय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
  • पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
  • शिवलिंग पर जल की पतली धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करें
  • अभिषेक करेत हुए ॐ तं त्रिलोकीनाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करें
  • शिवलिंग को वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें

दूध से अभिषेक

शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करें, भगवान शिव के ‘प्रकाशमय’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें

अभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी अन्य धातु के बर्तन का उपयोग करना चाहिए। खासकर तांबे के बरतन में दूध, दही या पंचामृत आदि नहीं डालना चाहिए। इससे ये सब मदिरा समान हो जाते हैं। तांबे के पात्र में जल का तो अभिषेक हो सकता है लेकिन तांबे के साथ दूध का संपर्क उसे विष बना देता है इसलिए तांबे के पात्र में दूध का अभिषेक बिल्कुल वर्जित होता है।

क्योंकि तांबे के पात्र में दूध अर्पित या उससे भगवान शंकर को अभिषेक कर उन्हें अनजाने में आप विष अर्पित करते हैं। पात्र में ‘दूध’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें –

लघु रुद्राभिषेक मंत्र 

  • ॐ श्री कामधेनवे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
  • पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
  • शिवलिंग पर दूध की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें.
  • दूध से अभिषेक करते हुए लघु रुद्राभिषेक मंत्र  ॐ सकल लोकैक गुरुर्वै नम: मंत्र का जाप करें
  • शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें

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फलों का रस

  • अखंड धन लाभ व हर तरह के कर्ज से मुक्ति के लिए भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करें
  • भगवान शिव के ‘नील कंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें
  • ताम्बे के पात्र में ‘गन्ने का रस’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें
  • ॐ कुबेराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
  • पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
  • शिवलिंग पर फलों का रस की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें
  • अभिषेक करते हुए -ॐ ह्रुं नीलकंठाय स्वाहा मंत्र का जाप करें
  • शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें

सरसों के तेल से अभिषेक

  • ग्रहबाधा नाश हेतु भगवान शिव का सरसों के तेल से अभिषेक करें
  • भगवान शिव के ‘प्रलयंकर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें
  • ताम्बे के पात्र में ‘सरसों का तेल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें
  • ॐ भं भैरवाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
  • पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
  • शिवलिंग पर सरसों के तेल की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें.
  • अभिषेक करते हुए ॐ नाथ नाथाय नाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करें
  • शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें

चने की दाल

  • किसी भी शुभ कार्य के आरंभ होने व कार्य में उन्नति के लिए भगवान शिव का चने की दाल से अभिषेक करें
  • भगवान शिव के ‘समाधी स्थित’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें
  • ताम्बे के पात्र में ‘चने की दाल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें
  • ॐ यक्षनाथाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
  • पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
  • शिवलिंग पर चने की दाल की धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें
  • अभिषेक करेत हुए -ॐ शं शम्भवाय नम: मंत्र का जाप करें
  • शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें

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काले तिल से अभिषेक

  • तंत्र बाधा नाश हेतु व बुरी नजर से बचाव के लिए काले तिल से अभिषेक करें
  • भगवान शिव के ‘नीलवर्ण’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें
  • ताम्बे के पात्र में ‘काले तिल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें
  • ॐ हुं कालेश्वराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
  • पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
  • शिवलिंग पर काले तिल की धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें
  • अभिषेक करते हुए -ॐ क्षौं ह्रौं हुं शिवाय नम: का जाप करें
  • शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें

शहद मिश्रित गंगा जल

  • संतान प्राप्ति व पारिवारिक सुख-शांति हेतु शहद मिश्रित गंगा जल से अभिषेक करें
  • भगवान शिव के ‘चंद्रमौलेश्वर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें
  • ताम्बे के पात्र में ” शहद मिश्रित गंगा जल” भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें
  • ॐ चन्द्रमसे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
  • पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
  • शिवलिंग पर शहद मिश्रित गंगा जल की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें
  • अभिषेक करते हुए -ॐ वं चन्द्रमौलेश्वराय स्वाहा’ का जाप करें
  • शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें

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घी शहद

  • रोगों के नाश व लम्बी आयु के लिए घी व शहद से अभिषेक करें
  • भगवान शिव के ‘त्रयम्बक’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें
  • ताम्बे के पात्र में ‘घी व शहद’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें
  • ॐ धन्वन्तरयै नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
  • पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
  • शिवलिंग पर घी व शहद की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें.
  • अभिषेक करते हुए -ॐ ह्रौं जूं स: त्रयम्बकाय स्वाहा” का जाप करें
  • शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें

कुमकुम केसर हल्दी

  • आकर्षक व्यक्तित्व का प्राप्ति हेतु भगवान शिव का कुमकुम केसर हल्दी से अभिषेक करें
  • भगवान शिव के ‘नीलकंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें
  • ताम्बे के पात्र में ‘कुमकुम केसर हल्दी और पंचामृत’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें – ‘ॐ उमायै नम:’ का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
  • पंचाक्षरी मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
  • पंचाक्षरी मंत्र पढ़ते हुए पात्र में फूलों की कुछ पंखुडियां दाल दें-‘ॐ नम: शिवाय’
  • फिर शिवलिंग पर पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें.
  • अभिषेक का मंत्र-ॐ ह्रौं ह्रौं ह्रौं नीलकंठाय स्वाहा’
  • शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें

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