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रत्न धारण करने की विधि

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रत्न धारण करने की विधि – Ratna Dharan Karne ki Vidhi

Opal Ratna Dharan Vidhi, Manik Ratna Dharan Vidhi, Nilam Ratna Dharan Vidhi, Moti Ratna Dharan Vidhi in Hindi :  किसी भी रत्न को अंगूठी में जड़वाते समय इन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए। जिस अंगूठी में आप रत्न को जड़वाना चाहते हैं,उसका नीचे का तला खुला होना चाहिए तथा आपका रत्न उस खुले तले में से हलका सा नीचे की तरफ निकला होना चाहिए|

जिससे कि वह आपकी उंगली को सही प्रकार से छू सके तथा अपने से संबंधित ग्रह की उर्जा आपकी उंगली के इस सम्पर्क के माध्यम से आपके शरीर में स्थानांतरित कर सके।

इसलिए अपने रत्न से जड़ित अंगूठी लेने पहले यह जांच लें कि आपका रत्न इस अंगूठी में से हल्का सा नीचे की तरफ़ निकला हुआ हो। अंगूठी बन जाने के बाद सबसे पहले इसे अपने हाथ की इस रत्न के लिए निर्धारित उंगली में पहन कर देखें ताकि अंगूठी ढीली अथवा तंग होने की स्थिति में आप इसे उसी समय ठीक करवा सकें।

रत्न शुद्धिकरण कैसे करे

अंगूठी को प्राप्त कर लेने के पश्चात इसे धारण करने से 24 से 48 घंटे पहले किसी कटोरी में गंगाजल अथवा कच्ची लस्सी में डुबो कर रख दें। कच्चे दूध में आधा हिस्सा पानी मिलाने से आप कच्ची लस्सी बना सकते हैं किन्तु ध्यान रहे कि दूध कच्चा होना चाहिए अर्थात इस दूध को उबाला न गया हो।


गंगाजल या कच्चे दूध वाली इस कटोरी को अपने घर के किसी स्वच्छ स्थान पर रखें। उदाहरण के लिए घर में पूजा के लिए बनाया गया स्थान इसे रखने के लिए उत्तम स्थान है। किन्तु घर में पूजा का स्थान न होने की स्थिति में आप इसे अपने अतिथि कक्ष अथवा रसोई घर में किसी उंचे तथा स्वच्छ स्थान पर रख सकते हैं। यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि इस कटोरी को अपने घर के किसी भी शयन कक्ष में बिल्कुल न रखें। रत्न धारण करने के इस चरण को रत्न के शुद्धिकरण का नाम दिया जाता है।

इसके पश्चात इस रत्न को धारण करने के दिन प्रात उठ कर स्नान करने के बाद इसे धारण करना चाहिए। वैसे तो प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व का समय रत्न धारण करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है किन्तु आप इसे अपने नियमित स्नान करने के समय पर भी धारण कर सकते हैं। स्नान करने के बाद रत्न वाली कटोरी को अपने सामने रख कर किसी स्वच्छ स्थान पर बैठ जाएं तथा रत्न से संबंधित ग्रह के मूल मंत्रा , बीज मंत्र अथवा वेद मंत्र का 108 बार जाप करें।

इसके बाद अंगूठी को कटोरी में से निकालें तथा इसे अपनी उंगली में धारण कर लें। उदाहरण के लिए यदि आपको माणिक्य धारण करना है तो रविवार की सुबह स्नान के बाद इस रत्न को धारण करने से पहले आपको सूर्य के मूल मंत्र, बीज मंत्र अथवा वेद मंत्र का जाप करना है।

नवरत्नों को धारण करने की विधि और उसके लाभ हानि के प्रभावो को जानने के लिए यहाँ क्लिक करे 

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रत्न धारण करने के लिए किसी ग्रह के मूल मंत्र का जाप माननीय होता है तथा आप इस ग्रह के मूल मंत्र का जाप करने के पश्चात रत्न को धारण कर सकते हैं। किन्तु अपनी मान्यता तथा समय की उपलब्धता को देखकर आप इस ग्रह के बीज मत्र या वेद मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। रत्न धारण करने के इस चरण को रत्न की प्राण-प्रतिष्ठा का नाम दिया जाता है। नवग्रहों में से प्रत्येक ग्रह से संबंधित मूल मंत्र, बीज मत्र तथा वेद मंत्र जानने के लिए नवग्रहों के मंत्र नामक लेख पढ़ें।

इन विशेष रत्नो को धारण दिन में करे

कुछ ज्योतिषि किसी विशेष रत्न जैसे कि नीलम को रात के समय धारण करने की सलाह देते हैं किन्तु रत्नों को केवल दिन के समय ही धारण करना चाहिए। कई बार कोई रत्न धारण करने के कुछ समय के बाद ही आपके शरीर में कुछ अवांछित बदलाव लाना शुरू कर देता है तथा उस स्थिति में इसे उतारना पड़ता है।

दिन के समय रत्न धारण करने से आप ऐसे बदलावों को महसूस करते ही इस रत्न को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान पहुंचाने से पहले ही उतार सकते हैं किन्तु रात के समय रत्न धारण करने की स्थिति में अगर यह रत्न ऐसा कोई बदलाव लाता है तो सुप्त अवस्था में होने के कारण आप इसे उतार भी नहीं पाएंगे तथा कई बार आपके प्रात: उठने से पहले तक ही यह रत्न आपको कोई गंभीर शारीरिक नुकसान पहुंचा देता है। इसलिए रत्न केवल सुबह के समय ही धारण करने चाहिएं |

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