जब हम अपने सपनो का घर बना लेते हैं, तो उसमे बड़ी तैयारी एवं अरमानों से उसमे प्रवेश (Housewarming) करते हैं। इसकी तैयारी हम काफी ज़ोरशोर से करते है। महंगे सामान, बहुत सारे नाते-रिश्तेदारों को बुलाते हैं।
कई लोग छोटा या बड़ा समारोह (Housewarming party) अपनी क्षमता के अनुसार आयोजित करते है। हर बात का ध्यान रखते हैं, किन्तु वास्तु नियमों को भूल जाते हैं। जिसकी वजह से आजीवन घर में समस्याओं का सामना करते हैं।
वास्तु शास्त्र हमको ग्रह प्रवेश के लिए नियम बताता है, ताकि हम अपने सपनों के घर में सुखी और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर जीवन व्यतीत कर पाते हैं।
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Before Housewarming | ग्रह प्रवेश के लिए वास्तु नियम
भवन निर्माण स्थल के चयन से लेकर भवन निर्माण तक की सभी प्रक्रियाओं का विवरण और दिशा-निर्देश वास्तु शास्त्र में हमको मिलते हैं।
गृह प्रवेश के लिए वास्तु नियम यानी नवनिर्मित घर में आपका पहला प्रवेश भी वास्तु-शास्त्र का महत्वपूर्ण अंग है।
भारतीय संस्कृति के अनुसार जब घर निर्माण के सभी चरण पूर्ण होने के बाद ज्योतिषीय आधार पर निर्धारित किसी शुभ मुहूर्त पर उस घर में रहना प्रारंभ किया जाता है।
शुभ मुहूर्त में घर में आपका पहला कदम गृह प्रवेश संस्कार कहलाता है। किसी भी नवनिर्मित घर के लिए घर को सकारात्मक ऊर्जा युक्त करना एक शुभ अवसर माना जाता है।
यह रिवाज इसलिए पूरा किया जाता है, ताकि बुरी ताकतों को नए घर में प्रवेश करने से रोका जा सके। भूमि अधिग्रहण के बाद भी, एक प्रार्थना संस्कार किया जाता है, जिसे भूमि पूजन कहा जाता है।
ग्रह प्रवेश प्रक्रिया के दौरान परिवार हर कमरे में हवन कुंड अग्नि लेकर जाता है। हवन से निकलने वाले धुएं में विभिन्न औषधीय तत्व भीतर की हवा को कीटाणुरहित और शुद्ध करते हैं।
घर को पूर्व दिशा की ओर से तीन बार धागे से बांधा जाता है, जो वास्तु अनुसार सबसे शुभ दिशा होती है। ये दोनों चीज़ें बुरे प्रभावों को दूर रखने के लिए घर के चारों ओर सुरक्षात्मक बंधन के रूप में काम करती हैं।
इस दौरान रक्षा मंत्र एवं पावन मंत्र पाठ तथा उच्चारण किए जाते हैं।घर की सीमा के दक्षिण-पूर्व कोने में एक गड्ढा खोदा जाता है , जिसके किनारे गाय के गोबर से लीपे गए होते हैं।
इस गड्ढे की पूजा इस क्रिया के अंतर्गत की जाती है। मकई, शैवाल और फूलों से युक्त एक ईंट के डिब्बे को गड्ढे में उतारा जाता है, जिसे बाद में भर दिया जाता है।
चूंकि मकई उर्वरता का प्रतीक है,इसलिए इसका प्रयोग इस क्रिया में किया जाता है। घर की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए घर के चारों ओर पवित्र जल छिड़का जाता है ,जो बुरी आत्माओं तथा नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखता है।
वास्तु शास्त्र में गृह्यसूत्र में इस बारे में विस्तृत निर्देश दिए गए हैं , कि घर या मंदिर के निर्माण के लिए किस प्रकार की भूमि का चयन किया जाना चाहिए, इसका मुख या प्रवेश स्थान किस दिशा में होना चाहिए।
प्रत्येक चरण में किए जाने वाले समारोह की जानकारी हमको मत्स्य पुराण में विस्तार से बताई गयी है। ग्रह निर्माण के दौरान कौन से चरण महत्वपूर्ण हैं, जैसे नींव रखना, और पहला दरवाजा उठाना।
यह बताता है कि इन चरणों में गृह प्रवेश पूजा की जानी चाहिए। भारत में यह समारोह अभी भी पारंपरिक तरीके से किया जाता है।
इस क्रिया में गणेश पूजा के बाद, पानी का घड़ा मकई के ढेर पर रखा जाता है, जो प्रजनन क्षमता का सार्वभौमिक प्रतीक है,जिससे घर में प्रवेश करने वालों के यहाँ पीढ़ी दर पीढ़ी संतान उत्त्पति होती रहे।
Types of housewarming | ग्रह प्रवेश प्रक्रियाएं
वास्तु शास्त्र में ग्रह प्रवेश के लिए तीन प्रक्रियाओं का उल्लेख किया गया है। ताकि आपको अपने नवीन घर में सभी प्रकार की सुख समृद्धि प्राप्त हो सके।
Apurva Grah Pravesh | अपूर्वा ग्रह प्रवेश
यदि आप नयी ज़मीन खरीद कर उसपर ग्रह निर्माण करते हैं, तो इस नवनिर्मित मकान में रहने के लिए प्रथम प्रवेश को अपूर्व (नया) गृह प्रवेश कहते हैं।
Sapurva Grah Pravesh | सपूर्वा ग्रह प्रवेश
यदि आप लम्बी विदेश यात्रा या अन्यत्र प्रवास के बाद अपने पुराने घर में रहने के लिए आते हैं। इस दशा में जो ग्रह प्रवेश प्रक्रिया संपन्न की जाती है,वह सपूर्व गृह प्रवेश कहा जाता है।
Dwadva Grah Pravesh | द्वादवा ग्रह प्रवेश
यदि आपका घर आग, बाढ़ के पानी, बिजली, हवा आदि से क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो उस घर के पुनर्निर्माण या नवीनीकरण के बाद उसमें रहने के लिए जो ग्रह प्रवेश प्रक्रिया संपन्न कराई जाती है। उसको द्वादवा (या पुराना) गृह प्रवेश कहा जाता है।
हमारे शास्त्रों में पंचांग के शुभ मुहूर्त में ग्रह प्रवेश की विधि तथा घर की पवित्रता बनाये रखने का विस्तृत वर्णन किया गया है।
Precautions before Housewarming | ग्रह प्रवेश से पूर्व सावधानियां
यदि किसी घर के दरवाजे में दरवाज़े नहीं लगे हैं, या छत को कवर नहीं किया गया है, तो ऐसे घर में ग्रह प्रवेश नहीं किया जाना चाहिए।
ग्रह प्रवेश के लिए वास्तु पुरुष की पूजा किय बिना या शुद्धि हवन किय बिना भी नए घर में प्रवेश नहीं किया जाना चाहिए।
ग्रह प्रवेश प्रक्रिया में ब्राह्मण भोज,निशक्तों को अन्न दान किये बिना भी इसका पूर्ण शुभ फल प्राप्त नहीं हो पाता है। बड़ों के आशीर्वाद,पूर्वजों को सम्मान दिय बिन अभी यह क्रिया पूर्ण नहीं हो पाती।
यदि कोई व्यक्ति गॉंव में कच्चे या घांस फूस से बने अपने नए घर में ग्रह प्रवेश करना चाहता है ,तो इसके लिए सप्ताह के किसी भी दिन का चयन किय अजा सकता है।
पक्के या ईंट, पत्थर, मिट्टी, सीमेंट आदि से बने घरों में ग्रह प्रवेश के लिए सूर्य के उत्तरायण होने पर प्रथम प्रवेश शुभ होता है।
जहां तक हो सके ग्रह प्रवेश दिन में ही करना चाहिए, इससे सकारात्मक ऊर्जा का अधिक से अधिक आव्हान हो पाता है।
गुरु (बृहस्पति) या शुक्र (शुक्र) का अस्त होना पुराने या पुनर्निर्मित घर में ग्रह प्रवेश के मामले में मायने नहीं रखता। ऐसे घर में आप कभी भी प्रवेश कर सकते हैं।
ग्रह प्रवेश के लिए शुभ महीनों के आधार पर आप निम्न प्रतिफल प्राप्त करते है –
माघ : धन की प्राप्ति
फाल्गुन : संतान और धन की प्राप्ति
वैशाख : धन और समृद्धि की वृद्धि
जेष्ठ : पुत्र और पशु की प्राप्ति।
इनके अलावा कार्तिक और मार्गशीर्ष के महीने मध्यम फल देते हैं। आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन पौष के महीनों में ग्रह प्रवेश अशुभ होता है।
यह निवास करने वालों को नुकसान, परेशानी अथवा पीड़ा या शत्रुओं का भय जैसी समस्याओं का सामना करवाता है।
वास्तु शास्त्र हमको ग्रह प्रवेश के लिए शुभ तिथियां भी बताता हैं। आपको अपने नवीन घर में हमेशा महीने की 4/ 9/ 14 या 30 तारीख को ग्रह प्रवेश करना चाहिए।
वास्तु अनुसार आपको अमावस्या के दिन ग्रह प्रवेश से हमेशा बचना चाहिए इसके साथ ही आपको कभी भी मंगलवार को ग्रह प्रवेश नहीं करना चाहिए।
यदि आप उपरोक्त वास्तु नियमों का पालन अपने नवीन घर में ग्रह प्रवेश प्रक्रिया संपन्न करने के लिए ध्यान में रखेंगे, तो आपको कभी भी किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना होगा।
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