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Shadi ke vastu upay | शादी के वास्तु उपाय

Astrology, Marriage

विवाह योग्य लड़को, लड़कियों के विवाह में विलम्ब जैसी समस्याएं माता-पिता के लिए एक बड़े तनाव का कारण बनते है। अतः शादी के वास्तु उपाय (Shadi ke vastu upay) सहायक हो सकते है। 

शादी एक सामाजिक संस्कार है, जो नए जीवन की शुरुआत, प्रेम, समर्थन और पहचान के रूप में उपलब्धियां देती है। हमारे प्राचीन शास्त्रों ने शादी को एक पवित्र बंधन के रूप में परिभाषित किया है।

जिसमें दोनों भागीदारों के लिए अलग-अलग कर्तव्यों को निश्चित किया है। सर्वशक्तिमान ईश्वर ने पुरुष एवं महिला को एक-दूसरे से प्यार करने और आनंद से भरपूर, शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए बनाया है।

वास्तु शास्त्र के सिद्धांत परिवार के सभी सदस्यों के बीच प्यार और स्नेह को बढ़ाते हैं। वास्तु नियमों का पालन करने से पति-पत्नी में रोमांस व  प्रेम की गहरी भावनाओं को प्रज्वलित करने में सहायता मिलती है। 

यह रिश्ते को और अधिक सुखद और फलदायी बनाने में मदद करता है। वास्तु एक चुंबकीय प्रकार की ऊर्जा है, जो रहने के स्थान में स्वस्थ संबंध बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होती है। 

अविवाहित लड़कियों के कमरे का वास्तु

कभी भी उनका कमरा घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए। दक्षिण पश्चिम क्षेत्र दिशा का कमरा कुंवारी कन्या को घर में स्थिरता देता है। 

जिसकी वजह दे लड़की को आसानी से शादी नहीं होने देता है। इनके लिए सबसे अच्छी दिशा  घर के उत्तर-पश्चिमी दिशा होती हैं। यदि इस दिशा में कमरा उपलब्ध नहीं है,तो पश्चिमी दिशा भी अच्छी रहती हैं।

अविवाहित लड़कों के कमरे का वास्तु

अविवाहित लड़कों के कमरे के लिए सबसे अच्छी जगह घर की चरम दक्षिण तथा पश्चिमी दिशा सबसे बेहतर रहती है। 

अगर विवाह योग्य  लड़का घर में सबसे बड़ा है, एवं  परिवार का मुखिया भी है, तो दक्षिण-पश्चिम दिशा उसके कमरे के लिए  सबसे उपयुक्त होती है।

शादी में देरी और वास्तु

कई बार हमारे बच्चों में सभी खूबियों के बाद भी उनके विवाह में देरी होती है। हमारे अथक प्रयासों के पश्चात् भी हमको सफलता नहीं मिल पाती, जिसकी वजह से कई युवा अविवाहित ही रह जाते है। 

इसके पीछे  हमारे घर के वास्तु दोष के दुष्प्रभाव होते हैं।  जिनकी वजह से हमारे बच्चों को आजीवन अविवाहित होने का दुःख सहना पड़ सकता है। 

घर के दक्षिण-पश्चिम भाग में बनी भूमिगत पानी की टंकियां बच्चों के विवाह में देरी का एक बड़ा कारण बन सकता है। 

यदि आपके घर के दक्षिण-पश्चिम भाग में नीची या  हल्की ऊँचाई वाली सीढ़ी भी विवाह सम्बन्धों में देरी और रुकावट का एक अन्य कारण बन सकता है।

विशेष रूप से जिन लड़कियों की शादी नहीं हो रही है, उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि घर दक्षिण-पश्चिम कोने वाले कमरे को अपने शयनकक्ष के रूप में इस्तेमाल न करें। 

इसी के साथ कभी भी अविवाहित लड़कियों के  कमरे का दरवाजा भी कमरे के दक्षिण-पश्चिमी कोने में नहीं होना चाहिए।

विवाह योग, कब, कहा और कैसे आदि प्रश्नो से सम्बंधित समाधान के लिये Marriage लेख पढ़े और अपनी जिज्ञासा को विराम दे।

दांपत्य जीवन में तलाक एवं झगड़े

सुखी वैवाहिक जीवन के लिए विवाहित जोड़ों  के मध्य  शांति एवं प्रेम का होना आवश्यक होता है। इसके लिए आपको अपने शयनकक्ष के स्थान की जांच करना चाहिए। 

यदि आपका शयनकक्ष घर के दक्षिण-पूर्वी कोने में रखा गया है, तो दाम्पत्य जीवन में आपसी संघर्ष की संभावना अधिक हो जाती है। 

शादीशुदा जोड़ों के मध्य इन संघर्षों से तलाक और अलगाव भी हो सकता है। घर की दक्षिण-पूर्व दिशा में अग्नि तत्व का प्रभुत्व होता है। 

जो दाम्पत्य जीवन में जलन और क्रोध का कारण बनता है। इसलिए घर के इस स्थान पर विवाहित जोड़े अपना शयनकक्ष बनाने से बचें। 

जब शादी और प्यार ( Pyar ) की बात आती है। तब इस बात का महत्व और अधिक बढ़ जाता है, कि राशि के आधार पर उन दोनों के बीच सामंजस्य कैसा और कितना रहेगा।

गर्भाधान संबंधी समस्याएं

यदि आपके घर में उत्तर पूर्व दिशा एक दुसरे के समानांतर है। तो ऐसे में विवाहित जोड़ों को गर्भाधान में देरी के समस्या का सामना करना पड़ सकता है। 

इस अवस्था में आपको ईशान कोण की पहचान करनी चाहिए, इसका मतलब है कि उन्हें अपना शयनकक्ष यहाँ बनाना चाहिए। 

उनके शयनकक्ष का मुख्य द्वार अंदर से बाईं ओर खुलना चाहिए। ऐसा करना सकारात्मक ऊर्जा को  स्वतंत्र रूप से कमरे में आने देता है।

 वास्तु नियमों का पालन करने से विवाहित जोड़ों के बीच एक अटूट बंधन विकसित करने में मदद मिलती है। जो लोग प्रेम जीवन में सफल होना चाहते है।

उनके लिए वास्तु सिद्धांतों के सभी नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है। निजी संबंधों में ताजगी और जीवन शक्ति लाना जरूरी है।

 वास्तु के अनुसार घर में कुछ स्थानों को पुनर्गठित करने और चीजों के स्थान को बदलकर प्रेम या विवाह संबंधों को आसानी से सुधारा जा सकता है। 

अपने प्रेम जीवन को उज्जवल करने और अपने साथी के असीम प्यार के सागर का आनंद लेने के लिए वास्तु सुझावों का पालन करें।

Shadi ke vastu upay | वास्तु टिप्स

अपने विवाहित जीवन को सुखमय बनाने के लिए आपको कुछ विशेष वास्तु सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। इससे आपको वैवाहिक सुख तथा प्रेम की प्राप्ति होगी। 

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1 अपने विवाहित तथा प्रेम जीवन में शांति बनाए रखने के लिए घर का दक्षिण-पश्चिम कोना मास्टर बेडरूम के लिए सबसे अच्छा स्थान होता है।

2 घर के दक्षिण-पूर्व कोने में शयनकक्ष हमेशा दुर्भाग्य लाता है ,तथा जोड़ों की अंतरंगता को खराब करता है। इस क्षेत्र की  गर्मी या अग्नि तत्व सकारात्मक ऊर्जा को भंग करके मन में तनाव और बेचैनी उत्पन्न करती है। 

3 उत्तर-पूर्वी कोने में बेडरूम किसी भी नवविवाहित जोड़े के लिए पूरी तरह से अनुपयुक्त होता हैं। अक्सर इस दिशा के शयनकक्ष में सोने वाले जोड़े निःसंतान होते हैं।

4 भले ही धातु के पलंग फैशन का हिस्सा हो ,लेकिन वास्तु के अनुसार कभी भी विवाहित जोड़ों को इस प्रकार के धातु के पलंग पर नहीं सोना चाहिए। लकड़ी के पलंग सोने के लिए उपयुक्त होते है। 

5 बेहतर वैवाहिक सुख के लिए पलंग को शयन कक्ष के दक्षिण-पश्चिम कोने में रखना चाहिए।बेडरूम के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्र में स्थित बिस्तर मानसिक तनाव उत्पन्न करता है। 

6 विवाहित जोड़ों को ध्यान रखना चाहिए, कि वो किसी भी प्रकार के नुकीले कोनों के  सीधे संरेखण में न सोएं। यह आपके तंत्रिका तंत्र में तनाव पैदा कर सकता है।

नुकीले कोनों वाले कमरे में आप कभी भी शांति का अनुभव नहीं कर पाएंगे। यदि किसी कारणवश आपको इस प्रकार के कमरे का प्रयोग करना पड़ता है,तो कोई पौधा उसके सामने रख सकते है। 

7 बेडरूम का दरवाजा कम से कम नब्बे डिग्री खुला होना चाहिए, ताकि आपके कक्ष में सकारात्मक ऊर्जा  पूरी तरह से प्रवाहित हो सके। 

ऐसा इसलिए है क्योंकि आपके शयनकक्ष का दरवाजा उन अवसरों का प्रतीक है जो जीवन आपको प्रदान करता है। एक दरवाजा जो पूरी तरह से नहीं खुल सकता है, वह समर्थन और संभावनाओं को सीमित कर देगा।

जो जीवन साथी आपको प्रदान करता है। जब आप अपने शयनकक्ष में प्रवेश करते हैं, तो सबसे पहली चीज जो आप देखते हैं, वह आपको शांति एवं सुख की अनुभूति देती है।

ऐसी भावनाओं को एक तस्वीर, प्रेरक उद्धरण, पेंटिंग, मूर्तिकला या फूलों से भी बढ़ाया जा सकता है। इन चीजों को ऐसी जगह लगाएं कि जैसे ही आप अपने शयनकक्ष में प्रवेश करें, आपकी नजर उन पर पड़े।

8 पति और पत्नी के बीच एक सुखद और प्रेमपूर्ण रिश्ते के लिए बेडरूम में भगवान कृष्ण को बालरूप के चित्र को लगाने की सलाह वास्तु शास्त्र में दी जाती है।इससे संतान प्राप्ति की सम्भावना बढ़ जाती है। 

बेडरूम को सुखदायक प्रभाव देने के लिए बेडरूम की दीवारों को पेंट करने के लिए हल्का हरा, हल्का गुलाब या नीला रंग किया जाना चाहिए।  ऐसा करना प्रेम सम्बन्ध प्रगाढ़ करता है।

9 विवाहित जोड़ों को रात्रि वस्त्रों में लाल रंग का प्रयोग उनके बीच संबंधों को उत्तेजित करता है। आप अपने शयनकक्ष में लाल पुष्प भी लगा सकते हैं। 

10 रात की अच्छी नींद के लिए बेड रूम में अव्यवस्था या अवांछित, अनुपयोगी वस्तुओं के संग्रह से बचना चाहिए।

एक अच्छे और स्वस्थ रिश्ते के लिए, अव्यवस्था को दूर करने के लिए विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि वे प्यार के प्रवाह को प्रतिबंधित करते हैं।

11 बेडरूम में दर्पण कभी भी पलंग के सामने नहीं रखने चाहिए। आपके बिस्तर का प्रतिबिंबित नहीं दिखना चाहिए। दर्पणों को दक्षिण और पश्चिम की दीवारों में बिना पलंग की ओर मुंह किए लगाया जा सकता है।

12 सोने वाले कमरे में कंप्यूटर और टीवी का होना उचित नहीं है। अगर आपके बेडरूम में टीवी और कंप्यूटर है, तो रात को सोते समय उन्हें कपड़े से ढक दें।

13 मृत्यु, झगड़े, हिंसा या जीवन के किसी भी नकारात्मक पहलू को दर्शाने वाले चित्र शयन कक्ष में नहीं होने चाहिए। ये आपके विवाहित जीवन में नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ा देते हैं। 

विवाह हॉल के लिए वास्तु

मैरिज हॉल में शादी समारोह मनाने का चलन दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है, हालांकि इसके लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता होती है। किन्तु लोग उस मैरिज हॉल के वास्तु पर ध्यान नहीं देते। 

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1 उचित दिशा में उचित खंड पर मैरिज हॉल का निर्माण होना चाहिए। वास्तु बताता है, कि मैरिज हॉल को किस स्थान पर बनाना चाहिए। 

2 विवाह कक्ष में मंच पश्चिम दिशा में होना चाहिए, ताकि उस पर बैठे युगल का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। हॉल का प्रवेश द्वार पूर्व या उत्तर दिशा में होना अच्छा रहता है।

3 प्लॉट सही आकार में होना चाहिए, उदाहरण के लिए वर्गाकार या आयत। जबकि सिर्फ सजावट के लिए गोल या अंडाकार आकार के बैंक्वेट हॉल से बचें।

4 डांस फ्लोर, म्यूजिक सिस्टम, यहां तक ​​कि ट्रांसफार्मर सहित बिजली के उपकरण दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित होने चाहिए। विवाह समारोह के लिए खाना पकाने की व्यवस्था भी दक्षिण-पूर्व दिशा में ही होनी चाहिए।

5 समारोह में आने वालों के लिए पार्किंग का निर्माण उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए। भोजन तथा नाश्ते की व्यवस्था उत्तर-पश्चिम या उत्तर दिशा की ओर होनी चाहिए।

6 मेहमानों के बैठने की व्यवस्था दक्षिण-पश्चिम दिशा में होनी चाहिए या यह उत्तर दिशा में भी हो सकती है। विवाह के लिए मंडप ईशान कोण में होना चाहिए। वहीँ ईशान कोण पवित्र स्थान होने के कारण दक्षिण-पूर्व कोने में हवन कुंड बनाना चाहिए।

7 हॉल में शौचालय उत्तर-पश्चिम या पश्चिम दिशा  में बनवाना चाहिए। मैरिज हॉल मालिक का कमरा  दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनवाना चाहिए। सीढ़ियां वास्तु के अनुसार दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में हो सकती हैं।

8 यदि आप ऊपर बताए गए वास्तु नियमों का पालन विवाह जैसे पवित्र बंधन के लिए करते हैं, तो आपका शादी शुदा जीवन खुशियों से भर सकता है। 

प्रेम विवाह के योग एवं प्रेम विवाह की सफलता के विषय में जानने के लिये Love Marriage पर जाये। अपने और प्रेमी से विवाह सम्बंधित शंकाओ के बारे में जाने। 

वास्तु सम्बंधित अन्य जानकारियों के वीडियो देखने हेतु हमारे यूट्यूब चैनल पर वास्तु परिचय भी अवश्य देखे।

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