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हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार नाखूनों के गुण और अवगुण
हाथ की उंगलियों, पोरूवों आदि की तरह नाखनों का भी अपना अलग महत्व होता है। इनके रंग-रूप वर्ग-आकार आदि की देखकर कई प्रकार की बीमारियों व्याधियों इत्यादि का पता चल जाता है । प्रत्येक उंगली के नाखून का भी अलग महत्व समझा जाता है । महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों के नाखून अधिक चैड़े होते हैं। ये कई प्रकार के होते हैं, जैसे वर्गाकार, अंग्रेजी के ‘वी‘ (ट) के आकार के चौड़े, छोटे व संकीर्ण ।
1. ‘वी‘ आकर के नाखून – ऐसे नाखून स्नायुदौर्बल्यता और गले के रोगों के सूचक होते है। यदि सभी उंगलियों पर इस प्रकार के नाखून पाएं जाएं तो समझना चाहिए की व्यक्ति की रीड़ की हडडी में गिरने चोट लगने आदि के कारण कठिनाई उत्पन्न हो गई है।
2. संकीर्ण नाखून – एसे नाखून विलासजन्य क्रोध भड़काते हैं। इसी कारण से शारीरिक गठन की दुर्बलता के द्योतक समझे जाते हैं। इस प्रकार के नाखनों का रंग पीला, सफेद, गुलाबी या हल्का नीला होता है। इन नाखूनों पर इन्हीं रंगों के चन्द्र पाये जाते हैं जिनमें गहरी झलक होती है।
3. वर्गाकार नाखून – ऐसे नाखून आकार में छोटे हैं। ये लम्बे हाथों या उगलियों में अधिक पाए जाते हैं। इन्हें हद्य रोग का द्योतक समझाना चाहिए। यदि इन नाखूनों के मूल में नीला रंग दिखाई दे तो दुर्बल हदय और अल्प रक्त संचार का सूचना समझना चाहिए।
विशेष
ऐसे नाखूनों को 42 और 46 वर्ष की आयु में अवश्य चैक कर लेना चाहिए। यदि इनमें नीलापन दिखाई दे तो व्यक्ति के रक्त-संचार में बाधा पड़ने लगी। यदि मूल मे नीला रंग दिखाई दे तो इस समय किसी अच्छे चिकित्सक के स्वास्थ्य की जाँच अवश्य करा लेनी चाहिए।
4. छोटे नाखून – यदि ऐसे नाखून छोटी उंगलियों में उपस्थित हों तो ये आलोचनात्मक प्रकृति और जल्दी में फैसला करने के स्वभाव को प्रकट करते हैं। इस प्रकार के नाखून वाले व्यक्तियों के पास प्रतिभा होती है। यदि ऐसे नाखून ही छोटे आकर के हों तो वह व्यक्ति कौतूहल पसन्द प्रकृति का होता है और दूसरों के कार्यों में बाधा बनता है ।
5. चौड़े नाखून – ऐसे नाखून स्पष्ट और सही निर्णय के सूचक होते है। इनसे व्यक्ति के ह्ष्ट-पुष्ट स्वास्थ्य का भी पता चलता है। ऐसे नाखून प्रायः गुलाबी रंग के होते हैं ।
नाखूनों के गुण-अवगुणों द्वारा स्वास्थ्य की जांच
- स्वच्छ, चमकदार, लाल, कोमल नाखून स्वास्थ्य और सफलता के सूचक होते है। विपरीत परिस्थितियों में इनका रंग व सब बदल जाता हैं।
- नाखूनों की कठोरता, खुश्की, चटखना इस तथ्य का प्रमाण हैं कि व्यक्ति का स्नायुदोष वृद्धि कर रहा हैं।
- पीले रंग के नाखून जो सूखे पते की तरह टूट जाते हैं, नपुसंकता के सूचक होते हैं।
- नाखूनों का रंग यदि गुलाबी या मूॅंगे जैसा हो तो उसे शुभ कहा जाता हैं। मूॅूंगा समृद्विकारक होता है।
- यदि नाखूनों पर धारिया, रूक्षता, तेजहीनता और माॅंस से अलग हटने के लक्षण हैं तो वाह व्यक्ति निश्चित रूप से स्नायु-विकार से ग्रसित हैं।
- लम्बाई में कम, चैड़ाई में अधिक, चपटे, तीन और से त्वचा द्वारा आवरित नाखून वाले व्यक्ति अतिवादी, बेकार की बातें करने वाले होते हैं।
- जड़ की ओर पत्तले और ऊपर की ओर चैड़े नाखून हृदय रोग के सूचक होते हैं। यदि इनमें पीलापन और अर्धचन्द्र का चिन्ह्न हो, तब भी यह समझना चाहिए।
- टेडे़े-मेड़े और रेखायंयुक्त नाख़ून दरिद्रता की सूचना देते हैं।
- कर्मपृष्ठाकार नाखून केवल चार उंगलियों के लिए शुभ रहते हैं। अंगूठे का नाखून यदि ऐसा हो तो वह व्यक्ति को भाग्यहीन, निर्धन, असफल और पीड़ित बनाता है।
- बड़ें कुरूप, अस्वाभाविक रूप में छोटे, फटे, गन्दे, धारीदार नाखूनों को अशुभ समझना चाहिए।
- धब्बेदार, कुरूप नाखून दास वृत्ति के परिचायक होते हैं।
- जो व्यक्ति दांतों से नाखून काटता हो, उसका कभी विश्वास नहीं करना चाहिए और न ही ऐसे व्यक्ति से मित्रता करनी चाहिए।