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भाई दूज की कहानी – भाई और बहन के अनमोल रिश्ते की गाथा

भाई दूज की कहानी – Bhai Dooj Ki Kahani

भाई दूज का त्यौहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, इस दिन बहनें व्रत, पूजा और कथा आदि करके भाई की लंबी आयु और समृद्धि की कामना करते हुए माथे पर तिलक लगाती हैं, भैया दूज का त्यौहार भाई बहन के प्यार व एक दूसरे के प्रति स्नेह को दर्शाता है. मान्यता है कि भाई दूज के दिन पूजा करने के साथ ही भैया दूज की कथा और भइया दूज की कहानी भी जरूर सुननी और पढ़नी चाहिए. और अपने आने वाली जेनेरशन को इस कथा से अवगत कराना भी हमारा ही दायित्व है सो आप भी पढ़े और आगे भी शेयर करे

भाई दूज की कहानी – Bhai Dooj Story

एक बार की बात है एक बूढ़ी औरत जिसके सात पुत्र एक पुत्री थी। उस बूढ़ी औरत के सातों बेटों पर सर्प की कुदृष्टि थी। जैसे ही उसके किसी भी बेटे की शादी होती उसका सातवाँ फेरा होता तो सर्प उसे डंस लेता और वो मृत्यु को प्राप्त हो जाता था। वो बूढ़ी औरत दुखी हो गयी थी। बेटी की शादी पहली की जा चुकी थी। इसी तरह छ: बेटों की मृत्यु हो गयी थी उस बूढ़ी औरत पर बहुत बुरा समय आ गया था। जिसकी वजह से उसने सातवे की शादी करने के लिए मना कर दिया था। छ: बेटों के मरने के दुख में बूढ़ी औरत अंधी हो गयी थी।

लेकिन कभी न कभी तो उसकी शादी भी करनी पड़ती ही। बूढ़ी औरत किसी भी तरह जोखिम नहीं उठा सकती थी। भाई दूज का समय आ गया था। सातवें बेटे ने कहा माँ में दीदी के घर जाने वाला हूँ भाई दूज आ गया है। माँ ने कहा है ध्यान से जा और जल्दी आ। भाई के आने की खुशी में बहन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। भाई की खातिरदारी के लिए अच्छा पकवान बनाने के लिए बहन ने सोचा की पड़ोसन की मदद लेनी पड़ेगी।

खुशी में बहन ने पड़ोसन से मदद मांगी और पूछा दीदी मीरा भाई आ रहा है मैं क्या करूँ? उसे क्या बना के खिलाऊँ ? पड़ोसन उससे चिड़ती थी उसने कहा की “दूध से रसोई लेप, और घी से चावल पका।” अब भाई की खुशी में पागल बहन ने सोचा की हाँ ऐसा ही करूंगी।

भाई को आते रास्ते में साँप मिला। साँप उसे काटने को आगे बड़ा तो उसने बोला की भाई आपका मैंने क्या बिगाड़ा है मुझे क्यों काटना चाहते हो ? साँप ने कहा की मै तुम्हारा काल हूँ और तुम्हें यमराज के पास पहुँचाने के लिए आया हूँ। भाई ने रोते हुए कहा की भैया आप मुझे मत काटो मेरी बहन मेरा इंतजार कर रही है। मैं ही उसका आखिरी भाई हूँ उसका और कोई भी भाई नहीं बचा है। अगर मैं उसके पास नहीं गया और उसे पता चला की मैं भी मर गया हूँ। तो वो भी मर जाएगी।

सांतवे भाई के रोने से साँप ने कहा की तुझे क्या लगता की तू मुझे बेवकूफ बना के चला जाएगा। लड़के ने कहा की तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है। तो तुम मेरे झोले में बैठ जाओ जब मेरी बहन भैया दूज बना ले उसके बाद तुम मुझे मार देना। भाई बहन के घर पहुंचा। भाई को देखकर बहन की आँखों से आँसू निकल आए। भाई ने बहन से बोला दीदी भूख लग रही है खाना दो जल्दी।

बहन ने पड़ोसन के कहने पर रसोई को दूध से धोया था और घी में चावल पकाने की कोशिश की थी। भाई ने पूछा की क्या हुआ दीदी इतना समय क्यों लग रहा है। दीदी ने सारी बात बताई की पड़ोसन ने मुझे ऐसे ऐसे करने को कहा। भाई ने हंसते हुए कहा की दीदी कहीं सुना है आपने की दूध से कभी रसोई लिपि गयी हो और घी में कभी चावल पके है। गोबर से रसोई लीपों और दूध में चावल पकाओ।

खाना खाने के बाद भाई को नींद आने लगी और वो सोने लगा। इतने में बहन के बच्चे आ गए और उन्होने मामा मामा कह कर बोला की मामा हमरे लिए क्या लेकर आए। तब उसने कहा बेटा मै कुछ नहीं लाया लूँ। मना करने के बावजूद भी बच्चों ने उस थेले को उठा लिया जिसमे साँप था और खोल कर देखने लगे। लेकिन उसमे बच्चों को हीरे का हार मिला। दीदी ने बोला की तू ये मेरे लिए लेकर आया है। भाई ने बोला की तुम्हें अच्छा लगा तो तुम रख लो। अगले दिन भाई ने बहन से अपने घर जाने की इजाजत मांगी। बहन ने अपने भाई के लिए लड्डू बना के रखे थे। बहन ने लड्डू भाई को दिये।

भाई ने बहन से अलविदा लिया और आगे चल दिया। थोड़ी दूर जा कर थक कर एक पेड़ के नीचे सोने लगा। इधर बहन के बच्चों ने कहा माँ खाना दे दो भूख लगी है। उनकी माँ ने कहा की अभी खाना नहीं बना है समय लगेगा तब बच्चों ने कहा जो मामा को लड्डू दिये थे हमें भी दे दो हम खा लेंगे।

माँ ने कहा जाओ चक्की पर रखे है बचे हुए लड्डू जा कर खा लो। बच्चों ने जा कर देखा तो पता चला की वहाँ सांप की हड्डियाँ पड़ी है। अब बहन की हालत खाराब हो गयी और वो बाहर की तरफ भागी, लोगों से पूछने पर पता चला की एक पेड़ के नीचे एक व्यक्ति सो रहा था।

बहन को लगा की वही उसका भाई है। वो भागती हुई गयी उसके पास और उसे उठाने लगी। उसने भाई को उठाया और पूछा कहीं तूने लड्डू तो नहीं खाये। भाई ने कहा क्या दीदी क्या हुआ। ये रहे तुम्हारे लड्डू नहीं खाये मैंने। बहन को लगा की कुछ अच्छा नही हो रहा है। उसने बोला की मैं भी अब तेरे साथ घर चलूँगी तुझे अकेले नहीं छोड़ूँगी।

भाई ने बोला की तुम्हारी मर्जी। चलते हुए बहन को प्यास लगी, भाई से बोला की मुझे प्यास लगी है पानी पीना है। भाई ने चारों तरफ नजर फैलाई और एक तरफ चील ऊढ़ रही थी। बहन ने बोला की तू यहीं रुक मै अभी आ रही हूँ। बहन पानी पी कर आ रही थी की उसने देखा की एक जगह जमीन में 6 शिलाएँ गढ़ी हैं और एक बिना गढ़ी हुई रखी है। बहन ने वहाँ से गुजर रही एक बुढ़िया से पूछा की ये सब क्या है।

उस बुढ़िया ने बताया की किसी एक औरत के सात बेटे है जिनमे छ: की शादी के समय साँप काटने से मृत्यु हो गयी थी। अब जब सातवें की शादी होगी तब ये आखिरी शीला भी बाकियों की तरह जमीन में गढ जाएगी। बहन ने जब ये सुना तो उसके होश ऊढ़ गए। वो समझ गयी थी की ये सब उसके भाइयों के लिए किया गया है। बहन ने उस बूढ़ी औरत से पूछा की मैं क्या करूँ कुछ बताओ। बूढ़ी औरत ने उसे सब बता दिया की वो अपने भाई की जान कैसे बचा सकती है।

भाई की जान बचाने के लिए बहन कुछ भी करने को तैयार हो गयी। बूढ़ी औरत के कहने पर बहन ने अपने बालों को खोल लिया और अपने भाई के पास गयी और ज़ोर ज़ोर से बोलने लगी “तू तो जलेगा, कटेगा, मरेगा। भाई ने बहन की ये हालत देख कर सोचा की दीदी को ये क्या हो गया है ? दीदी तो पानी पीने गयी थी लगता है की कोई चुड़ैल दीदी पर आ गयी है।

किसी तरह भाई अपनी दीदी को लेकर अपनी माँ के पास आया और माँ को सब बताया। कुछ समय बाद भाई की सगाई का समय आ गया था। बूढ़ी माँ ने सातवे बेटे की शादी की मंजूरी दे दी थी। भाई को जब सेहरा पहनने की बारी आई तो बहन ने कहा की ये नहीं सेहरा में पहनुंगी ये तो जलेगा मरेगा, कुटेगा। सेहरे में साँप था। बहन ने उस साँप को निकाल दिया इसी तरह साँप ने बहुत कोशीश की और बहन ने अपने भाई की रक्षा की।

हार कर साँपों का राजा खुद आया, गले की वरमाला में छुप कर लेकिन बहन ने उस साँप को एक लौटे में एक थाली से टंक कर बंद कर दिया। अब ये देखती हुई, साँप की पत्नी वहाँ आ गयी और बोलने लगी की मेरे पति का दम घुट रहा है। उसे छोड़ दो लेकिन बहन ने कहा की तेरे पति को छोड़ देंगे पहले तू मेरे भाई से अपनी कुदृष्टि हटा और अपने रास्ते जा।

नागिन ने ऐसा ही किया। बहन के इशारे पर नयी दुल्हन ने कहा की में तेरे पति को छोड़ दूँगी पहले मुझे मेरे एक जेठ को छोड़ कोई तो होना चाहिए घर में जिससे में लड़ा करूँ। ऐसे ही बहाने बना कर नयी दुल्हन ने सभी छ: जेठों को छुड़ा लिया। उधर रो रो कर भूड़ी माँ का हाल बुरा था। बुढ़िया को लग रहा था की अब उसका सातवा बेटा भी नहीं रहेगा।

किसी ने बताया की आपके सभी बेटे और बहुएँ आ रही है। अब माँ की आँखों से आँसू आने लगे और खुशी में भगवान से कहा की अगर ये सच है तो मेरी आँखें ठीक हो जाए और मेरे सिने से दूध की धार बहने लगे। बूढ़ी औरत के साथ ऐसा ही हुआ जैसा उसने भगवान से बोला था। अपने बच्चों को देख कर वो बहुत खुश हुई। बूढ़ी औरत को अपनी बेटी की शक्ति और बेटी का अपने भाइयों से प्यार देख कर उसके आँसू आ गए।

सभी अपनी बहन को ढूँढने लगे लेकिन देखा की वो तो भूसे की कोठरी में सो रही थी। उठने के बाद वो अपने घर को चली फिर उसके साथ लक्ष्मी माँ भी जाने लगी। बूढ़ी माँ ने कहा की बेटी पीछे मूढ़ कर देख क्या सारी लक्ष्मी अपने साथ ही ले जाएगी।

बहन ने पीछे मूड कर देखा और हँसते हुए कहा “जो भी कुछ माँ ने अपने हाथों से दिया वह मेरे साथ चल और बाकी बचा हुआ मेरे भाई भाभी के साथ रुक जाए।” बहन ने अपने भाई भाभी की जिंदगी संवार दी।

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