आज की हमारी चर्चा भरनी नक्षत्र पर केंद्रित होगी । भरनी नक्षत्र के स्वामी शुक्र हैं, नक्षत्र देव यम, राशि स्वामी मंगल, वर्ण वैश्य, गण मनुष्य, योनि गज, नाड़ी मध्य होती है । इस नक्षत्र से सम्बंधित वृक्ष आंवला है । आगे इन तथ्यों पर थोड़ा विस्तार से बात की जायेगी । यदि आपके कोई सवाल हैं अथवा आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट ( YourAstrologyGuru.Com ) पर विज़िट कर सकते हैं । आपके प्रश्नों के यथासंभव समाधान के लिए हम वचनबद्ध हैं ।
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भरणी नक्षत्र वैदिक ज्योतिष में – Bharni Nakshatra in Vedic Astrology
भरनी मेष राशि का दूसरा नक्षत्र है । यह १३.२० डिग्री से लेकर २६.40 डिग्री तक गति करता है । इस नक्षत्र को आकाशमण्डल में त्रिभुज की आकृति के रूप में देखा जा सकता है । यह आकृति तीन तारों से बनती है । यम देव को इस नक्षत्र के देवता कहा गया है । इस नक्षत्र के जातक का गण मनुष्य, योनि गज और नाड़ी मध्य है । इसके चार चरण होते हैं, मेष राशि में आते हैं, जिनके स्वामी इस प्रकार है :
- नक्षत्र स्वामी : शुक्र
- नक्षत्र देव : यम
- राशि स्वामी : मंगल ग्रह
- विंशोत्तरी दशा स्वामी : शुक्र
- चरण अक्षर : ली, लू, ले, लो
- वर्ण : वैश्य
- गण : मनुष्य
- योनि : गज
- नाड़ी : मध्य
- प्रथम चरण : सूर्य
- द्वितीय चरण : बुद्ध
- तृतीय चरण : शुक्र
- चतुर्थ चरण : मंगल
- वृक्ष : वृष वृक्ष ( आंवला )
भरणी नक्षत्र जातक की कुछ विशेषताएं व् जीवन- Bharni Nakshatra Jatak Characteristics & Life:
भरनी नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक मध्यम कद-काठी के, आकर्षक मुखाकृति, सुन्दर आँखों वाले, तराशे हुए दांत, छोड़ा माथा, कोमल ह्रदय, शांत व् निश्छल स्वभाव के होते हैं । ये सौंदर्यप्रिय होते हैं, लुक्सरियस लाइफ को पसंद करते हैं, इनके सम्बन्ध बहुत सी सुन्दर स्त्रियों से भी रहते हैं । ये न तो चालबाज़ी करते हैं और न ही इन्हे ऐसे चरित्र पसंद आते हैं । ये किसी किस्म की राजनीति नहीं करते, साफ़ सीधी बात कहते हैं और इनकी यही खूबी इन्हें दूसरों से अलग कर देती है । इनके डिप्लोमेट ना होने की वजह से कभी कभी ये अकेले पड़ जाते हैं । अपने ज़मीर की आवाज़ को दबाकर कुछ भी करना इन्हें गवारा नहीं होता । यही मुख्य वजह रहती है की इनके मित्रों की संख्या बहुत कम होती है । इनके न झुकने या साफगोई की वजह से इनके आसपास के लोग इन्हें अड़ियल भी समझते हैं ।
इस नक्षत्र में जन्मी जातिका बहुत सुन्दर व् आकर्षक, छोटी उम्र से ही अपनी स्किल की बदौलत कमाई करने वाली, पति की प्रिय होती हैं । भरनी नक्षत्र के जातक/जातिका दोनों ही बहुत महत्वकांक्षी भी होते हैं यही बात दोनों में छोटे मोटे विवाद की वजह बनती है ।
भरनी नक्षत्र में जन्मे जातक को इनकी सौम्यता की वजह से कभी कभार कमजोर समझ लिया जाता है जिसका नुक्सान शत्रुओं को बहुत बुरी तरह चुकाना पड़ता है । यूँ तो इनका कोई शत्रु होता नहीं है लेकिन यदि परिस्थिति वश ऐसा हो जाए तो शायद ही कोई ऐसी शक्ति हो जो इनके शत्रुओं को बचा ले । भरनी नक्षत्र का जातक अपने शत्रु को सबक सिखाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है । जरूरी नहीं है की ऐसा हो ही, लेकिन ऐसे जातक अपनी पर आ जाएँ तो फायदे नुक्सान को भूलकर शत्रुता निभाते हैं, और ब्लैक मैजिक तक का सहारा भी ले सकते हैं । भरनी नक्षत्र के जातक आमतौर पर किसी को परेशां नहीं करते, साथ ही परेशान होना भी नहीं चाहते । हमारा यही सुझाव है की इन्हें कमजोर समझने की भूल में बिलकुल न पड़ें, अपने काम से काम रख्खें, बिना वजह से इनसे उलझकर मुसीबत मोल न लें । जन्म के समय इस नक्षत्र पर पापी ग्रहो का प्रभाव जातक को धोखेबाज भी बना देता है । भरनी के जातक सोच समझ के साथ पूरी शक्ति से अचानक हमला कर अपने दुश्मन को चौंका देते हैं । ये दैत्य गुरु शुक्राचार्य के गुण अपने साथ लिए होते हैं, किसी भी कीमत पर अपने मान से समझौता नहीं करते । इनके मित्रों को भी इनके एक्शन्स की जानकारी नहीं होती ।
भरनी नक्षत्र जातक शिक्षा व् व्यवसाय – Bharni Nakshatra jatak Education & business
शुक्र का प्रभाव होने से भरनी नक्षत्र में जन्मे जातकों का आकर्षण सहज ही नृत्य, गायन, वादन, साहित्य आदि ललित कलाओं में होता है । ये बहुत उम्दा कलाकार होते हैं । राजसीय गुणों से युक्त ऐसे जातक करीब करीब पूरी तरह भौतिकवादी होते हैं, बहुत अधिक उन्नति करते हैं YourAstrologyGuru.Com पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार ।