Loading...

299 Big Street, Govindpur, India

Open daily 10:00 AM to 10:00 PM

Bhojpur Historical Temple | भोजपुर शिवलिंग

Culture, Dharma, India, Religion

भारत की धार्मिक विभिन्नता में एकता ही भारत की असली पहचान है। भारत में हमेशा सभी धर्मों का सम्मान एवं स्वागत खुले दिल से किया जाता रहा है। 

इसका सजीव प्रमाण यहाँ की धार्मिक इमारतें हैं जैसे मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे एवं चर्च। भारत में आपको हिन्दू धर्म से संबंधित बहुत सारे मंदिर एवं मठ देखने को मिलेंगे, जो अपने अपने सम्प्रदाय एवं मान्यता का प्रतिनिधित्व करते हैं। 

हर एक मंदिर के साथ उसके निर्माण की कथा कहानियां जुड़ी हुई हैं। जो उस मंदिर या धर्म की ही नहीं उसके निर्माणकर्ता के वैभव को जग ज़ाहिर करती हैं। 

ऐसे ही मंदिरों की श्रृंखला में एक अत्यंत प्रसिद्ध शिव मंदिर है, भोजपुर का शिव मंदिर (Bhojpur Historical Temple ) जो भारत के मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल के पास भोजपुर में स्थित है। 

12वीं शताब्दी का यह मंदिर न केवल इस क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ मंदिरों में से एक है, बल्कि यह उस युग की निर्माण प्रक्रिया में एक अनूठी अंतर्दृष्टि भी प्रदान करता है।

भोजपुर के इस शिव मंदिर को पूर्व का सोमनाथ मंदिर भी कहा जाता है। इसका निर्माण भगवान शिव की भक्ति एवं आराधना के लिए कराया गया था। 

इस मंदिर का डिज़ाइन एवं स्थापत्य कला न केवल उस समय की आधुनिकता एवं वास्तुकला की निपुणता को प्रदर्शित करती है, अपितु इसको अन्य मंदिरों से श्रेष्ठ भी बनाती है। 

History of Bhojpur Temple | भोजपुर मंदिर का इतिहास 

भोजपुर शहर की उत्पत्ति का श्रेय राजा भोज को दिया जा सकता है, जिन्होंने 11 वीं शताब्दी ईस्वी में भोपाल रियासत की स्थापना की थी।

history-of-bhojpur-temple

हालांकि भोजपुर को उसी रूप में विकसित नहीं किया गया जैसा कि  भोपाल को किया गया था। फिर भी भोजपुर के मंदिर के निर्माण ने इस जगह को भारत की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा बना दिया। 

राजा भोज ने सन 1010-1055 ई. के आसपास भोजपुर मंदिर का निर्माण कराया, लेकिन वह इसे कभी पूरा नहीं करवा सके। मंदिर के अधूरा रहने के पीछे बहुत सारी  कहानियां प्रचलित हैं। 

कुछ लोग कहते हैं कि उन्होंने अपना ध्यान एवं निर्माण संसाधनों को सोमनाथ मंदिर की ओर स्थानांतरित कर दिया, जिस पर मेहमूद ग़ज़नवी द्वारा लगातार हमला किया जा रहा था। 

समय के साथ  इस मंदिर  के निर्माण का कार्य पूरी तरह से पिछड़ गया तथा निर्माण पूरा करने से पहले ही राजा भोज का  निधन हो गया।

कुछ लोगों का कहना है, कि राजा भोज  एक दिन में इस मंदिर का निर्माण करना चाहते थे, किन्तु दिन भर के काम के बाद भी यह मंदिर अधूरा रह गया। 

एक अन्य कहानी के अनुसार कहा जाता है, कि राजा भोज को एक बार कोढ़ हो गया, काफी इलाज के बाद भी उनको आराम नहीं मिला। 

उनको बेतवा नदी के किनारे एक भव्य शिव मंदिर का निर्माण करना होगा। शिवरात्रि के दिन 40 नफ़ियों के जल से शिव लिंग का जलाभिषेक करना होगा। 

उसी जल से राजा भोज को स्नान करने से कोढ़ से मुक्ति प्राप्त हो पायेगी। राजा भोज ने तुरंत मंदिर का निर्माण प्रारम्भ कर दिया। 

राजा भोज स्वयं 40 नदियों का जल एकत्र करने निकल पड़े। उन्होंने सोचा पहले दूर- दूर के तीर्थ स्थानों की नदियों से जल एकत्र कर लेना चाहिए। 

जब शिवरात्रि का दिन आया, तो मंदिर तो बन गया किन्तु उस पर छत्र नहीं चढ़ सका न ही समय से पूर्व राजा भोज बेतवा नदी का जल एकत्र कर सके। इसी कारण वश भोजपुर का यह मंदिर आज भी अधूरा ही है। 

ऐसे ही भारत के एक और अद्भुत स्थान शांगरिला ( Shangri-La) के रहस्यों के बारे में पढ़े। कहा जाता है, चीन ने इसी स्थान को पाने के लिए भारत पर हमला किया था।

भारत के उत्तराखंड में एक झील है, जो आश्चर्य जनक रूप से कंकालों से भरी है। जिसमे समय समय पर कंकाल सतह पर आते रहते है। यह झील रूपकुंड की रहस्य्मयी झील (Roop kund lake) के नाम से प्रसिद्द है।

प्राचीन, चमत्कारिक एवं दिव्य मंदिरो की श्रेणी में दिव्य कामाख्या देवी का भी विशेष महत्त्व है। इन्हे जानने के लिये कामाख्या देवी मंदिर (Kamakhya) पढ़े।

Architecture of temple | भोजपुर मंदिर की वास्तुकला 

भोजपुर शहर की स्थापना राजा भोज के द्वारा की गयी थी। इस जगह के आसपास की नैसर्गिक प्राकृतिक सुंदरता इस शहर की एवं मंदिर की शोभा बढ़ जाती है। 

architecture-of-temple

भोजेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इसके गर्भगृह में एक विशाल अखंड शिवलिंग है। यह भव्य मंदिर अधूरा होने के बाद भी अपने डिजाइन एवं मूर्तियों की एक महान स्थापत्य गुणवत्ता को दर्शाता हैं।

भोजपुर मंदिर के पास के प्रांगण में जैन मंदिर भी स्थित है,किन्तु बहुत कम ही लोग जानते हैं,कि यह जैन मंदिर भी अधूरा है। 

इसका मुख्य कारण शाह के भोजपुर पर हमला था, क्योंकि राजा भोज युद्ध में व्यस्त हो गए। बाद में उनकी मृत्यु की वजह से सभी मंदिर अधूरे रह गए। 

भोजपुर के लगभग 900 साल पुराना होने के बाद भी इसकी स्थापत्य कला के अवशेष आज भी इसकी भव्यता को दर्शाता है। 

इस मंदिर के अलावा आसपास की ऐतिहासिक इमारतें एवं मंदिर परमार वंश के स्वर्णिम युग को बहुत विस्तार से आपको बताते है। 

इस मंदिर के गर्भगृह में स्थित राजसी शिवलिंग 17.8 फीट ऊंचा है एवं न केवल  भारत में बल्कि संसार में सबसे बड़े अखंड लिंग में से एक है।

मंदिर का निर्माण एक विशाल चबूतरे पर किया गया है। मंदिर के गर्भग्रह में जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। 

भोजेश्वर मंदिर के ठीक सामने एक गुफा है, जिसे पार्वती गुफा के नाम से जाना जाता है। कुछ लोग इसको सीता गुफा के नाम से भी संबोधित करते हैं। 

मान्यता के अनुसार सीता जी एवं लव-कुश को जब राम जी ने त्याग दिया था, तब सीता जी ने इसी गुफा में अपना समय व्यतीत किया। 

इस गुफा में ग्यारहवीं शताब्दी की बहुत सारी मूर्तियां एवं  स्थापत्य कला के अवशेष देखने को मिलते हैं। जो लोग भोजपुर जाते हैं वह इस गुफा को भी देखने जाते हैं। 

भोजपुर मंदिर के आसपास कई अधूरे जैन मंदिर भी हैं। इन मंदिरों में भगवान शांतिनाथ की एक लंबी मूर्ति तथा भगवान पार्श्वनाथ एवं भगवान सुप्रसानाथ की दो मूर्तियां हैं।

जैन मंदिर के प्रांगण में एक चट्टान है, जिसको लेकर एक कथा प्रचलित है,कि इसी चट्टान पर बैठकर मतङ्ग मुनि ने भक्ताम्बर स्त्रोत की रचना की थी। 

राजा भोज ने जब भोजपुर की स्थापना कि तो उस क्षेत्र के पूरे विकास एवं विस्तार की परियोजनाओं का खाका तैयार किया। किसी भी शहर या क्षेत्र के विस्तार में जल व्यवस्था सही होना अति आवश्यक होती है। 

इसी बात का ध्यान रखते हुए राजा भोज ने बेतवा नदी पर पानी को रोकने के लिए दो बांधों का निर्माण कराया था। वर्षा के पानी को संगृहीत करने के लिए भी उसने कई झीलों एवं तालाबों का निर्माण भी करवाया। 

राजा भोज के द्वारा बनवाये गए मंदिर,बांध एवं अन्य स्थापत्य शिल्प के अवशेष आज  भी आप भोजपुर मंदिर के आसपास देख सकते हैं। 

Why is Temple not finished? | भोजपुर मंदिर के अधूरा होने को लेकर तर्क 

इस मंदिर के अधूरा होने को लेकर अक्सर अलग-अलग कहानियां एवं तर्क आपको सुनने को मिल सकते हैं। किन्तु सही कारण का सत्य अभी तक अधूरा ही है। 

unfinished-bhojpur-temple

इतिहासकारों के अनुसार इसके पीछे बहुत सारे तत्कालीन कारण हो सकते हैं, जैसे प्राकृतिक आपदा, युद्ध धन आभाव।

मंदिर के आसपास चारों और आपको अधूरी कलाकृतियां एवं अवशेष देखने को मिलते हैं, जो इसके अधूरे होने की कहानी को चरितार्थ करते है।  

साल 2006-2007 के दौरान किये गए पुरातात्विक खोजों के दौरान ऐसे पत्थर के अवशेष मिले हैं, जिन  के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मंदिर के छत्र का वज़न बहुत अधिक था। 

छत्र का अधिक वज़न मंदिर की छत सेहन न कर सकी,और ढह गयी। जिसका दोबारा निर्माण तात्कालिक कारणों की वजह से नहीं हो सका। 

एक अन्य पत्थर पर उल्लेखित नक़्शे एवं लेख के आधार पर यह कहा जा सकता है कि जिस मंदिर की कल्पना राजा भोज द्वारा की गयी थी वह अत्यंत विशाल था। 

यदि भोजपुर का मंदिर पूर्ण हो जाता तो यह भारत का सबसे बड़ा एवं भव्य शिव मंदिर होता। इसकी भव्यता के सामने अन्य कोई मंदिर न टिक पाता। 

क्योंकि इस मंदिर का अखंड एवं विशाल शिवलिंग इसकी भव्यता की कहानी को सत्य सिद्ध करता है। विश्व में यह अकेला इतना बड़ा शिवलिंग है। 

यदि आप भोजपुर मंदिर के दर्शन करना चाहते है, तो आप भोपाल से यहाँ आसानी से सड़क मार्ग से पहुँच सकते हैं। 

इसके लिए लोकल ट्रांसपोर्ट की सहायता या आपके निजी वहां का सहारा लिया जा सकता है। 

किन्तु मंदिर एवं उसके आसपास के सभी मंदिरों एवं स्थापत्य अवशेषों को देखने के लिए आपको प्रातः जल्दी निकलना होगा, तभी आप यहाँ की चीज़ों को देख एवं समझ सकते हैं। 

मंदिर के पास जैन मंदिरों के प्रांगण में आपको सात्विक भोजन का आनंद लेने का अवसर भी प्राप्त होगा। यहाँ का भोजन सात्विक भोजन के सर्वश्रेष्ठ स्वाद से आपका परिचय कराएगा। 

भारतीय समाज के इतिहास, विकास, भाषाओ, विविधताओं और उससे विभिन्न कलाओ पर पड़ने वाले प्रभाव को विस्तृत रूप से जानने के लिए भारतीय संस्कृति (Indian culture) पर जाये।

फैशन, संस्कृति, राशियों अथवा भविष्यफल से सम्बंधित वीडियो हिंदी में देखने के लिए आप Your Astrology Guru यूट्यूब चैनल पर जाये और सब्सक्राइब करे।

हिन्दी राशिफ़ल को Spotify Podcast पर भी सुन सकते है। सुनने के लिये Your Astrology Guru पर क्लिक करे और अपना मनचाही राशि चुने। टेलीग्राम पर जुड़ने हेतु हिन्दीराशिफ़ल पर क्लिक करे।

Written by

Your Astrology Guru

Discover the cosmic insights and celestial guidance at YourAstrologyGuru.com, where the stars align to illuminate your path. Dive into personalized horoscopes, expert astrological readings, and a community passionate about unlocking the mysteries of the zodiac. Connect with Your Astrology Guru and navigate life's journey with the wisdom of the stars.

Leave a Comment

Item added to cart.
0 items - 0.00