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Feng shui vs Vastu | वास्तु और फेंगशुई

Astrology

वास्तु और फेंगशुई (Feng shui vs Vastu) के प्रयोग द्वारा सकारात्मक ऊर्जा उत्सर्जन को लेकर काफी चर्चा होती है। लेकिन ज्यादातर लोग अक्सर इन दोनों के बीच के अंतर को लेकर भ्रमित हो जाते हैं, जिससे दोनों में से किसी एक का भी लाभ नहीं उठा पाते हैं।

वास्तु शास्त्र निश्चित रूप से फेंगशुई के साथ कुछ सिद्धांतों या नियमों को साझा अवश्य करता है।  लेकिन दोनों कुछ मायनों में एक दूसरे से नाटकीय रूप से विपरीत तरीके से काम करते हैं।

वास्तु के नियमों को आदर्श रूप से एक ऐसे घर पर प्रयोग किया जा सकता है, जिसे नया बनाया जा रहा है। वहीं  फेंगशुई एक सरल सिद्धांत विद्या हैं। 

 जिसका उपयोग आप घर पर किसी भी समय सकारात्मक ऊर्जा संचरण के लिए कर सकते हैं। या आसानी से प्रयोग में आने वाली कला है। 

Feng shui vs Vastu | वास्तु शास्त्र तथा फेंगशुई क्या है

इन दोनों शास्त्रों या विद्याओं के अंतर को समझने के लिए सबसे पहले हमें इन दोनों के अर्थ को समझना होगा। तभी हमको इनका अंतर समझना आसान हो पायेगा। 

वास्तु का अर्थ है “निवास”  शास्त्र का अर्थ है “विज्ञान” जबकि, फेंग का अर्थ “वायु” और शुई का अर्थ है “पानी”। इन दोनों कलाओं का यह अर्थ ही इनके मध्य के अंतर को सिद्ध कर देते हैं। 

वास्तु शास्त्र या वास्तुकला की पारंपरिक भारतीय प्रणाली है, जो हमको घर निर्माण का डिजाइन, लेआउट, माप, भूखंड की स्थिति, और स्थानिक ज्यामिति के लिए नियम या सिद्धांत बताता है। 

फेंग शुई, जिसे चीनी भू-विज्ञान कला  के रूप में भी जाना जाता है, एक प्राचीन चीनी प्रणाली है, जो हमे हमारे आसपास के वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए सकारात्मक ऊर्जा का सही उपयोग करने का तरीका  बताती है।

Similarities | समानताएं

वास्तु शास्त्र व फेंगशुई में कुछ समानताएं भी होती हैं जो इन दोनों प्राचीन कलाओं को एक दुसरे का प्रतिबिम्ब बनाती हैं। 

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Time of Origin | उत्पत्ति या जन्म काल

एक ओर जहाँ वास्तु शास्त्र की उत्पत्ति फेंगशुई से हजारों साल पहले होने के प्रमाण मिलते है। वहीं फेंगशुई का जन्म वास्तु शास्त्र से काफी बाद हुआ है। 

एक तरह से हम कह सकते है, कि वास्तु शास्त्र के नियमों के आधार पर ही फेंगशुई का जन्म हुआ है। यह बात दोनों कलाओं को एक दुसरे से जोड़ती है। 

Same Law | नियमों का समान आधार

वास्तु शास्त्र और फेंगशुई दोनों ही विद्याओं का अभ्यास शक्तिशाली ब्रह्मांडीय ऊर्जा पर आधारित होता हैं। दोनों विद्याओं के प्रयोग में प्रमुख तत्वों में से एक यह है, कि इनके नियम गणितीय गणनाओं द्वारा निष्पादित होता  है।

Do and Don’t | क्या करें और क्या न करें

ये दोनों विद्याएं  घर की  ऊर्जा में सुधार के लिए वस्तुओं और उपकरणों के सही रखरखाव द्वारा उपचार प्रदान करने में विश्वास करती हैं। जैसे वास्तु शास्त्र में घर से बिना इस्तेमाल की वस्तुओं को दूर करना। 

जैसे, फेंगशुई में बुद्ध की मूर्तियाँ रखना, विंड चाइम्स लटकाना वगैरह। घर के चारों ओर अव्यवस्था या गंदगी एक ऐसी चीज है, जिससे दोनों प्रथाएं स्पष्ट रूप से मना करती हैं।

Chi and Prana | ची और प्राण

फेंगशुई के नियमों के पालन के लिए ऊर्जा के सही प्रवाह के लिए आसपास की सकारात्मक ऊर्जा का प्रयोग होता है, जिसे चीनी संस्कृति में ची तथा  वास्तु शास्त्र या हिंदू संस्कृति में प्राण (जीवन) कहा जाता है।

Energy Points | ऊर्जा क्षेत्र

दोनों विद्याओं का मानना ​​​​है, कि घर का केंद्र वह स्थान है, जहां सभी ऊर्जाएं आपस में मिलती हैं। इस प्रकार, यह घर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बनती है। 

वास्तु शास्त्र और फेंगशुई दोनों, स्थान और वास्तुकला को निर्धारित करने के लिए आठ कम्पास दिशाओं और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए पांच तत्वों का उपयोग करते हैं।

Differences | अंतर

जिस प्रकार उपरोक्त दोनों विद्याओं में कुछ समानताएं होती हैं ,उसी प्रकार इनके कुछ सिद्धांत एक दुसरे से  विपरीत होते हैं। 

Base of Principal | सिद्धांतों का आधार 

एक ओर जहां वास्तु शास्त्र पूरी तरह विज्ञान पर आधारित सिद्धांतों या नियमों का पालन करता है। वहीं फेंगशुई के सिद्धांत भौगोलिक विचारों पर अधिक आधारित होते है।

Life Style vs Architecture | जीवन शैली बनाम स्थापत्य कला

जहां फेंग शुई जीवन के सकारात्मक तरीके को बढ़ावा देता है। इसी आधार घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाता है। वहीं वास्तु शास्त्र घर बनाने के बारे में  सिद्धांत बताता है, जो स्थापत्य कला पर आधारित होते है। 

Positive Directions | शुभ दिशा सिद्धांत

वास्तु के अनुसार उत्तर सबसे शुभ दिशा है, क्योंकि यह चुंबकीय ऊर्जा का स्रोत होता है। जबकि फेंगशुई में दक्षिण दिशा को शुभ माना गया है। क्योंकि यह इस तथ्य का लाभ उठाता है कि सूर्य पूर्व से पश्चिम की ओर चलता है।

Color Theory | रंगों का सिद्धांत

जब रंगों की बात आती है, तो वास्तु शास्त्र स्पष्ट रूप से कहता है कि दीवारों को लाल जैसे चमकीले रंगों में रंगा जाना चाहिए।  

लेकिन फेंगशुई अलग तरह से बताता है। फेंगशुई में कहा गया है कि घर को सुखदायक रंगों जैसे सफेद, बेज, क्रीम आदि से रंगना  चाहिए।

विभिन्न रंगो से हमारे जीवन और स्वास्थ पर में पड़ने वाले प्रभाव और उपाय को जानने के लिये सात रंग रहस्य (Colour) पर जाये।

वस्तुओं के प्रयोग का अंतर

एक और बड़ा अंतर दोनों में वस्तुओं के प्रयोग का अंतर होता  है।  जिनका उपयोग दोनो सिद्धांत निर्धारित करने में करते हैं। 

उदाहरण के लिए, फेंगशुई  विंड चाइम्स, लाफिंग बुद्धा और बांस का उपयोग करता है।  जबकि वास्तु शास्त्र में तुलसी के पौधे या गणेश की मूर्तियों को सही दिशा में रखने पर जोर दिया जाता है।

उत्तर-पूर्व दिशा का भेद

उत्तर-पूर्व दिशा को वह क्षेत्र माना जाता है जो दोनों विधाओं के अनुसार मानव मन को नियंत्रित करता है। जहां वास्तु शास्त्र सुझाव देता है, कि इस दिशा में पानी रखा जाए।  

वहीं फेंगशुई के अनुसार, यह कोना पृथ्वी तत्व द्वारा शासित होता है। इसलिए फेंगशुई के अनुसार आप यहां मिट्टी की चीजें रख सकते हैं।

Uses | दोनों का प्रयोग

आइये यहाँ जानते है, कि दोनों विधाओं से असमंजस कि स्थिति में जाये बिना हम दोनों का ही प्रयोग हमारी सुविधा अनुसार घर के विभिन्न हिस्सों के लिए किस प्रकार कर सकते है।

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Centre of the house | घर के केंद्र का महत्व

वास्तु शास्त्र में घर के केंद्र का उद्देश्य ऊर्जा की उच्चतम गुणवत्ता प्राप्त करना है। इसलिए हमेशा बीच में खुली जगह और आंगन रखने की सलाह दी जाती है। 

फेंगशुई में  केंद्र को घर का दिल कहा जाता है। एक ऐसी जगह जहां सभी ऊर्जाएं आपस में  मिलती हैं। इसलिए यह कहता है, कि आपको इस स्थान को हमेशा साफ रखना चाहिए। 

Enterance | गृह प्रवेश का स्थान

वास्तु शास्त्र विशेषज्ञों का कहना है, कि घर के सामने का दरवाजा (main Door Vastu) हमेशा उत्तर और पूर्व दिशा में होना चाहिए। क्योंकि ये सबसे शुभ दिशाएं होती हैं। 

अपने घर के प्रवेश के लिए  सबसे अच्छी दिशा जानने के लिए, आपको घर को चार भागों में विभाजित करना चाहिए। मुख्य  दरवाजे को घर के चौथे भाग में रख सकते हैं। 

फेंगशुई में मुख्य दरवाजे के लिए सबसे आदर्श दिशा दक्षिण होती है। चूंकि फेंगशुई रंगों से नियंत्रित होता है, इसलिए आपको मुख्य द्वार को लाल रंग में रखने की कोशिश करनी चाहिए। जो कि दक्षिण दिशा के तत्व अग्नि का रंग होता है।

Kitchen | रसोईघर

वास्तु शास्त्र में जैसे  पूजा कक्ष, स्नानघर और शयनकक्ष के नीचे या रसोई इनके ऊपर नहीं होनी चाहिए। आप अपनी रसोई के लिए दक्षिण-पूर्व दिशा को चुने।

 रसोई घर में काले रंग का प्रयोग करना अशुभ होता है। इसके बजाय, आप हरे, नारंगी, लाल आदि जैसे चमकीले रंगों का उपयोग कर सकते हैं। 

फेंग शुई में आपके किचन के ऊपर बाथरूम न रखने की सलाह दी जाती है। आपको भी कोशिश करनी चाहिए कि आपका किचन आपके प्रवेश द्वार के ठीक सामने हो।

फेंगशुई विशेषज्ञों के अनुसार गर्म रंग आपकी रसोई के लिए सबसे अच्छे रंग होते हैं।

Bedroom | शयनकक्ष

वास्तु शास्त्र मास्टर बेडरूम (bedroom vastu) बनाने की आदर्श दिशा घर का दक्षिण-पश्चिम कोना बताता है। दक्षिण-पूर्व आदर्श नहीं होती है क्योंकि अग्नि तत्व इसे नियंत्रित करता है। यही वजह है ,कि यह जोड़ों के बीच झगड़े और गलतफहमी का कारण बनता है। 

फेंगशुई के अनुसार आपके बेडरूम के लिए सबसे अच्छे रंग  सफेद और डार्क चॉकलेट ब्राउन होते हैं। फेंगशुई के अनुसार बिस्तर की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है। 

Pooja Ghar | पूजा कक्ष

वास्तु शास्त्र में आपके पूजा कक्ष (pooja ghar vastu) के लिए उत्तर-पूर्व दिशा का समर्थन किया जाता है।  ताकि सूर्य की अधिकतम ऊर्जा का असर प्राप्त किया जा सके। 

मूर्ति के चारों ओर निरंतर वायु प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए मूर्ति दीवार से दूर होनी चाहिए। पूजा सामग्री  दक्षिण-पूर्व दिशा में रखी होना चाहिए। 

फेंगशुई में  पूजा कक्ष को उत्तर-पूर्व दिशा में बनाये जाने की सलाह दी जाती है। क्योंकि वहां से सकारात्मक ब्रह्मांडीय ऊर्जा प्रवाहित होती है। 

यदि हम पूजा कक्ष को बनाने के लिए सामग्री की बात करें, तो फेंगशुई के अनुसार पूजा कक्ष के लिए लकड़ी और संगमरमर सबसे अच्छी सामग्री है। 

Childrens Room | बच्चों का कमरा

वास्तु शास्त्र में बच्चों के कमरे का मुख  पूर्व, उत्तर-पूर्व या उत्तर दिशा की ओर करना आदर्श होता है। इनमें से पूर्व दिशा सबसे उत्तम रहती है। 

 क्योंकि इससे उगते सूरज की रौशनी की सहायता से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश बच्चों के कमरे में हो पाता है। जो की उनकी अच्छी सेहत,बुद्धि विकास के लिए अच्छा रहता है। 

फेंगशुई में  बच्चों के कमरे के लिए साधारण नियम पालन की सलाह देता  हैं। इसके अनुसार बच्चों का कमरा किसी भी अव्यवस्था से मुक्त होना चाहिए। 

 हवा का पर्याप्त प्रवाह होना चाहिए, अपने बच्चे के बिस्तर को सीधे खिड़की के नीचे या दर्पण के सामने न रखें।  जंगली जानवरों की तस्वीरों या कमरे में कहीं भी युद्ध के दृश्यों का उपयोग करने के लिए भी मना करता है।

वास्तु शास्त्र और फेंगशुई के अर्थ के आधार पर आप यह तय कर पाते हैं, कि आपके घर के लिए किस विद्या का उपयोग करना आपके लिए अच्छा रहेगा। 

वास्तु शास्त्र का प्रयोग आप एक नया घर बनाते समय उपयोग कर सकते हैं। इसी कारण कई आर्किटेक्ट और डिजाइनर इन सिद्धांतों का उपयोग करते हैं। 

यदि आप अपने जीवन और घर में पॉजिटिव वाइब्स को बढ़ाना चाहते हैं, तो आप  फेंग शुई का सहारा ले सकते हैं। लेकिन दोनों ही विद्याएं आपके बेहतर जीवन के लिए अच्छी हैं। 

पूजा घर वास्तु इस दिशा को तरह यंत्रो का भी महत्त्व है। यंत्र कैसे समस्या समाधान कर हमारे जीवन को अधिक सुन्दर बना सकते है, जानने के लिये यंत्रो का जादू (Yantra) भी पढ़े।

यदि हम उपरोक्त वास्तु नियमों का ध्यान रखते है, घर में पूजा कक्ष बनाते समय तो हमारी पूजा का सर्वाधिक प्रतिफल प्राप्त कर सकते हैं। 

वास्तु सम्बंधित अन्य जानकारियों के वीडियो देखने हेतु हमारे यूट्यूब चैनल पर वास्तु परिचय भी अवश्य देखे।

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