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गंगोत्री धाम यात्रा – Gangotri Temple Yatra

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गंगोत्री – Gangotri 

गंगोत्री (Gangotri Temple) पौराणिक काल से ही एक धार्मिक स्थल के रूप मे प्रसिद्ध रही है. मान्यता है की गंगोत्री धाम (Gangotri Dham) की यात्रा जो की उत्तराखंड के चार धाम (Uttarakhand Chardham Yatra) में प्रमुख है, करने पर आपको वही पुण्य मिलता है जो चार धाम यात्रा (Char Dham Yatra) करने से मिलता, इसलिए इसे छोटा चार धाम (chota char dham) यात्रा भी कहते है | प्राचीन समय से ही अनेक ऋषी-मुनि और साधु लोग इस दुर्गम क्षेत्र के पावन धाम से आकर्षित रहें हैं और तथा दूर-दूर से गंगोत्री में आकर साधना एवं तपस्या द्वारा मो़क्ष पाने की चाह रखते हैं. गंगोत्री गंगा नदी का उद्गगम स्थल माना जाता है, इस पावन धाम के कपाट अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खोले जाते हें और दीपावली के दिन मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं |

गंगोत्री का इतिहास – Gangotri Temple History

गंगोत्री गंगा नदी का उद्गगम स्थान है। गंगाजी का मंदिर, समुद्र तल से 3042 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। भागीरथी के दाहिने ओर का परिवेश अत्यंत आकर्षक एवं मनोहारी है। यह स्थान उत्तरकाशी से 100 किमी की दूरी पर स्थित है। गंगा मैंया के मंदिर का निर्माण गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा द्वारा 18 वी शताब्दी के शुरूआत में किया गया था वर्तमान मंदिर का पुननिर्माण जयपुर के राजघराने द्वारा किया गया था। प्रत्येक वर्ष मई से अक्टूबर के महीनो के बीच पतित पावनी गंगा मैंया के दर्शन करने के लिए लाखो श्रद्धालु तीर्थयात्री यहां आते है।

गंगोत्री में सड़क बनने से पहले यहां घर बसाना प्रायः असंभव था पैदल यात्रा और चढ़ाई दुर्गम थी, इस निर्जन स्थान तक पहुंचने में बहुत सी कठिनाईयां आती थी. परंतु अब कुछ सुधार हुए हैं. गंगोत्री की अर्थव्यवस्था मौसम के अनूरूप है अप्रैल से अक्टूबर तक ही तीर्थयात्रा की जा सकती है और जाड़े में बर्फ बारी की वजह से कपाट बंद कर देते हैं और लोग कम ऊंचाई की जगहों पर चले जाते हैं.  गंगोत्री मे पहले समय में मंदिर नहीं था बस भागीरथी शिला के निकट ही देवी-देताओं की मूर्तियां रखी जाती थी जिनकी पूजा अर्चना का विधान बना हुआ था और जाडे के समय इन मूर्तियों को पास के गांवों के विभिन्न मंदिरों श्याम प्रयाग, गंगा प्रयाग, धराली तथा मुखबा आदि मे ले जाया जाता था.

गंगोत्री पौराणिक कथा – Gangotri Dham

गंगोत्री हिंदुओं के पावन चार धामों मे से एक है इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व सभी को आलौकिक करता है धार्मिक संदर्भ के अनुसार राजा सगर ने देवलोक पर विजय प्राप्त करने के लिये एक यज्ञ किया यज्ञ का घोडा़ इंद्र ने चुरा लिया राजा सगर के सारे पुत्र घोड़े की खोज में निकल पडे. घोड़ा पाताल लोक में मिला जो एक ऋषि के समीप बँधा था.  सगर के पुत्रों ने सोचा की ऋषि ने ही घोड़े को पकडा है इस पर उन्होंने ऋषि का अपमान किया तपस्यारत ऋषि ने अपनी आँखें खोली और क्रोध से सगर के साठ हज़ार पुत्रों को जलाकर भस्म कर दिया और वह मृत आत्माएँ भूत बनकर भटकने लगीं |

क्योंकि उनका अंतिम संस्कार नहीं हो पाया था, भगीरथ जो राजा दिलीप के पुत्र थे. उन्होने अपने पूर्वजों का अंतिम संस्कार करने का निश्चय किया तथा गंगा को पृथ्वी पर लाने का प्रण किया जिससे उनके अंतिम संस्कार की रीतिपूर्ण कर राख को गंगाजल में प्रवाहित किया जा सके और भटकती आत्माओं को मोक्ष प्राप्त हो |

भगीरथ ने भगवान ब्रह्मा की घोर तपस्या की ताकि गंगा को पृथ्वी पर लाया जा सके. ब्रह्मा कठोर तपस्या देखकर प्रसन्न हुये और गंगा को पृथ्वी पर अवतरित होने को कहा ताकि सगर के पुत्रों की आत्माओं की मुक्ति संभव हो. उस समय गंगा ने कहा कि इतनी ऊँचाई से पृथ्वी पर गिरने से पृ्थ्वी मेरा इतना वेग नहीं सह पाएगी.  तब भगीरथ ने भगवान शिव से निवेदन किया और भगवान शिव ने अपनी खुली जटाओं में गंगा के वेग को रोक कर एक लट खोल दी जिससे गंगा की पृथ्वी पर अविरल रुप से प्रवाहित हुई और सगर-पुत्रों का उद्धार हुआ गंगोत्री वह स्थान है जो गंगा का उद्गम स्थल बना |

ऐसी भी मान्यता है कि पांडवो ने भी महाभारत के युद्ध में मारे गये अपने परिजनो की आत्मिक शांति के निमित इसी स्थान पर आकर एक महान देव यज्ञ का अनुष्ठान किया था। 

पवित्र शिवलिंग के होते है दर्शन – Shivling Darshan

शिवलिंग के रूप में एक नैसर्गिक चट्टान भागीरथी नदी में जलमग्न है। यह दृश्य अत्यधिक मनोहार एवं आकर्षक है। इसके देखने से दैवी शक्ति की प्रत्यक्ष अनुभूति होती है। पौराणिक आख्यानो के अनुसार, भगवान शिव इस स्थान पर अपनी जटाओ को फैला कर बैठ गए और उन्होने गंगा माता को अपनी घुंघराली जटाओ में लपेट दिया। शीतकाल के आरंभ में जब गंगा का स्तर काफी अधिक नीचे चला जाता है तब उस अवसर पर ही उक्त पवित्र शिवलिंग के दर्शन होते है।

गंगोत्री लोकेशन – Gangotri Location

गंगोत्री प्रमुख के धर्म स्थल – Places To Visit In Gangotri

मुखीमठ मंदिर – Mukhimath Mukhwa

मुखबा के लोग भी गंगोत्री मंदिर के पुजारी हैं जहां मुखीमठ नामक मंदिर भी है. हर साल दीपावली के समय गंगोत्री मंदिर के कपाट बंद होने पर देवी गंगा को बडी़ धूम धाम के साथ मुखबा गांव में लाया जाता है. और तब तक यहां पर आने वाले छ: महीनों और बसंत आने तक गंगा मां की नियमित रूप से पूजा अर्चना की जाती है.

गौमुख गंगोत्री – Gangotri Gomukh 

गंगोत्री से 19 किलोमीटर दूर 3,892 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गौमुख गंगोत्री ग्लेशियर (Gangotri Glacier) का मुहाना तथा भागीरथी नदी का उद्गम स्थल है। कहते हैं कि यहां के बर्फिले पानी में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं। गंगोत्री से यहां तक की दूरी पैदल या फिर ट्ट्टुओं पर सवार होकर पूरी की जाती है। चढ़ाई उतनी कठिन नहीं है तथा कई लोग उसी दिन वापस भी आ जाते है। गंगोत्री में कुली एवं ट्ट्टु उपलब्ध होते हैं।

25 किलोमीटर लंबा, 4 किलोमीटर चौड़ा तथा लगभग 40 मीटर ऊंचा गौमुख अपने आप में एक परिपूर्ण माप है। इस गौमुख ग्लेशियर में भगीरथी एक छोटी गुफानुमा ढांचे से आती है। इस बड़ी वर्फानी नदी में पानी 5,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक बेसिन में आता है जिसका मूल पश्चिमी ढलान पर से संतोपंथ समूह की चोटियों से है।

भैरों घाटी – Bhairon Ghati

गंगोत्री से 9 किलोमीटर की दूरी तय करके भैरों घाटी तक पहुँचा जाता है. यह घाटी जाह्नवी गंगा तथा भागीरथी के संगम पर स्थित है. गंगोत्री मंदिर पर पहुंचने से पहले इस भैरव मंदिर का दर्शन अवश्य करना चाहिये. इस स्थल पर भागीरथी का बहाव भी तेज होता है यह स्थल हिमालय का एक मनोरम दर्शन स्थल है जहां से भृगु पर्वत श्रृंखला तथा चीड़वासा की चोटियों के दर्शन संभव हैं.

गंगोत्री प्रसिद्ध कुंड – Gaurikund

गंगोत्री में अनेक तालाब एवं कुंड हैं. जिनमें से प्रमुख नाम ब्रह्मकुंड, विष्णु कुंड है. इन जल कुंड में लोग स्नान  करके अपने को पवित्र करते हैं तथा इनमें  डुबकी लगानने से ही संपूर्ण कर्मकांडो पूर्ण होते हैं यह एक महत्वपूर्ण कार्य है स्नान के उपरांत किया गया दान पाप कर्मों से मुक्ति दिलाता है.  मान्यता है कि पांडवो ने भी महाभारत के युद्ध में मारे गये परिजनो की आत्मा कि शांति के इसी स्थान पर आकर यज्ञ का अनुष्ठान किया था. गंगोत्री का पवित्र एवं भव्य मंदिर सफेद ग्रेनाइट के चमकदार ऊंचे पत्थरों से निर्मित है. मंदिर की भव्यता एवं शुचिता देखकर मंत्र मुग्ध हुए बिना नही रह सकते.

गंगोत्री कैसे पहुंचें – How To Reach Gangotri

क्या आप गंगोत्री की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं? निस्संदेह, गंगोत्री का पवित्र शहर उत्तराखंड राज्य में सबसे लोकप्रिय तीर्थ स्थलों में से एक है। यह दुनिया भर में एक पवित्र चारधाम गंतव्य के रूप में जाना जाता है। गंगोत्री तक पहुंचना कोई समस्या नहीं है क्योंकि यह हवाई, रेल और सड़क नेटवर्क द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

गंगोत्री हवाई मार्ग से – Gangotri By Air

गंगोत्री से लगभग 226 किमी की दूरी पर जॉली ग्रांट हवाई अड्डा नाम का निकटतम हवाई अड्डा स्थित है। देहरादून में स्थित, हवाई अड्डे की भारत की राजधानी दिल्ली से नियमित उड़ानें हैं। आप वह से देहरादून के लिए फ्लाइट ले सकते है और फिर गंगोत्री के पवित्र शहर तक पहुंचने के लिए वहां से एक टैक्सी किराए पर ले सकते हैं। टैक्सी या कैब का शुल्क आपको लगभग 4,000 रुपये लगेगा।

रेल से गंगोत्री पहुँचें (ट्रेन से) – Gangotri By Train

यदि आप ट्रेन से यात्रा करना पसंद करते हैं, तो आपको ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पर पहुँचना होगा, जो गंगोत्री से 250 किमी की दूरी पर सबसे नज़दीक है। रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के बाद, आपको अपने गंतव्य तक ले जाने के लिए बहुत सारे कैब तैयार होंगे। आपको कैब शुल्क के रूप में 3,000 रुपये से 4,000 रुपये के बीच कहीं भी भुगतान करना होगा।

सड़क मार्ग से गंगोत्री – Gangotri By Bus

गंगोत्री का पवित्र शहर उत्तराखंड राज्य के सभी लोकप्रिय पर्यटन स्थानों और राज्य के बाहर सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यमुनोत्री, मसूरी और टिहरी जैसी जगहों से आप गंगोत्री पहुँचने के लिए आसानी से पर्यटक बस पकड़ सकते हैं। कस्बे तक पहुँचने के लिए निजी डीलक्स बसें और राज्य बसें दोनों हैं।

हेलीकॉप्टर द्वारा गंगोत्री – Gangotri By Helicopter

दिन 1: देहरादून – गंगोत्री – देहरादून
0700: शस्त्रधारा हेलीपैड देहरादून से प्रस्थान

0800: हर्सिल पहुँच ने के बाद प्राथमिकता दर्शन के लिए गंगोत्री मंदिर में स्थानांतरण करें। आपको श्राइन तक पहुँचाया जाएगा।

1100: हरसिल छोड़ देहरादून।

1200: देहरादून पहुँच ने पर सेवाएं समाप्त।

INR 62500 प्रति व्यक्ति, 04 प्रति यात्री हेलीकाप्टर।

गंगोत्री जाने के लिए सबसे अच्छा समय है – Best Time To Visit Gangotri

गंगोत्री के पवित्र शहर की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर तक है। मंदिर अप्रैल के अंतिम सप्ताह से नवंबर के दूसरे सप्ताह तक खुला रहता है

गंगोत्री का मौसम – Gangotri Weather

गंगोत्री का औसत अधिकतम तापमान लगभग 10 से 15 डिग्री सेल्सियस है, जबकि औसत न्यूनतम तापमान आसानी से शून्य डिग्री के नीचे चला जाता है। गंगोत्री में साल भर गर्म और ऊनी कपड़ों की जरूरत होती है।

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