मसाले भारतीय व्यंजनों का एक अभिन्न अंग हैं। इनके बिना आप भारतीय भोजन या पाककला की कल्पना भी नहीं कर सकते हो। मसाले ही हैं, जो भारतीय भोजन को उनका अनूठा स्वाद प्रदान करते है।
भारतीय रसोई में इन्ही मसालों के साथ अलग-अलग तरह से सब्ज़ियों, मांसाहार या फलों के साथ नए-नए प्रयोग किये जाते है।
मसालों की ही तरह मसालों का इतिहास ( history of spices ) भी मजेदार किस्सों से भरा है। भारत का सोने की चिड़िया कहलाना और अन्य देशो के लोगो का इसकी खोज में निकलना भी इन्ही मसालों से जुड़ा है।
यह भारतीय खाना पकाने में इनका प्रयोग कई प्रकार से किया जाता है। यह पाउडर के रूप में हो, साबुत हों, कई मसालों का मिश्रण या पेस्ट के रूप में हों, हमेशा भारतीय भोजन को अलग सुगंध एवं स्वाद से भर देते हैं।
मसाले किसी भी साधारण व्यंजन को स्वादिष्ट तथा सुगंधित बना सकते हैं। अलग-अलग प्रकार के मसालों के स्वाद एवं गुण भी एक दुसरे से भिन्न होते हैं।
व्यंजनों में स्वादिष्ट स्वाद जोड़ने के अलावा, मसालों के कई स्वास्थ्य से संबंधित लाभ भी होते हैं। हल्दी, लहसुन एवं अदरक जैसे मसाले में जीवाणुरोधी तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुण होते हैं।
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History of spices and herbs | मसालों एवं जड़ी-बूटी का इतिहास
पुरातत्वविदों का अनुमान है, कि लगभग 50,000 ई.पू. इंसान ने सुगंधित पौधों के विशेष गुणों का उपयोग अपने भोजन के स्वाद को बढ़ाने के लिए प्रयोग करना शुरू किया था
अनुमानतः लगभग 2000 ईसा पूर्व में पूरे मध्य पूर्व में दालचीनी एवं काली मिर्च के साथ मसालों के व्यापार की शुरुआत हुई थी।
मिस्रवासियों ने जड़ी-बूटियों का उपयोग अपनी ऊर्जा शक्ति को बढ़ने के लिए किया। विदेशी जड़ी-बूटियों की उनकी आवश्यकता ने विश्व व्यापार को प्रोत्साहित करने में मदद की।
वास्तव में, मसाला शब्द उसी मूल से आया है जैसी उसकी प्रजाति है जिसका अर्थ है माल के प्रकार। 1000 ईसा पूर्व तक चीन तथा भारत में जड़ी-बूटियों पर आधारित चिकित्सा प्रणाली की शुरुआत हो चुकी थी।
इनका प्रारंभिक उपयोग जादू टोने, चिकित्सा, धर्म, परंपरा और संरक्षण से जुड़े थे। समय के साथ इनका उपयोग क्षेत्र विस्तृत होता गया।
रामायण जैसे प्राचीन भारतीय महाकाव्य में लौंग का उल्लेख मिलता है। भारत के बाहर ज्ञात मामले में , रोमियों के पास पहली शताब्दी ईस्वी में लौंग थी, क्योंकि प्लिनी द एल्डर ने अपने लेखन में उनके बारे में बात की थी।
इंडोनेशियाई व्यापारी चीन, भारत, मध्य पूर्व अफ्रीका के पूर्वी तट के आसपास मसालों के व्यापार के लिए गए। अरब व्यापारियों ने मध्य पूर्व तथा भारत के मध्य आसान मार्गों की सुविधा प्रदान की।
इसने मिस्र के अलेक्जेंड्रिया शहर को अपने बंदरगाह के कारण मसालों का मुख्य व्यापारिक केंद्र बना दिया। यूरोपीय मसाला व्यापार से पहले सबसे महत्वपूर्ण खोज मानसूनी हवाएं (40 ईस्वी) थीं जिनसे जल मार्ग द्वारा व्यापर आसान हुआ
पूर्वी मसाला उत्पादकों से पश्चिमी यूरोपीय उपभोक्ताओं के लिए नौकायन ने धीरे-धीरे भूमि मार्ग द्वारा मसाला व्यापार के तरीके को बदल दिया, जो पहले मध्य पूर्व अरब कारवां द्वारा खोजा गया था
मध्य युग में यूरोप में सबसे महंगे उत्पादों में मसाले शामिल हो चुके थे। इनमे सबसे प्रमुख काली मिर्च, दालचीनी जीरा, जायफल, अदरक और लौंग थे जिनको लेकर यूरोपियन लोग अत्यंत लालायित थे।
8वीं से 15वीं शताब्दी तक, मध्य पूर्व तथा इसके पड़ोसी इतालवी शहर-राज्यों के साथ मसाले के व्यापार पर वेनिस गणराज्य का एकाधिकार था। मसलों के व्यापार ने इस क्षेत्र को अभूतपूर्व रूप से समृद्ध बना दिया।
यह अनुमान लगाया गया है कि लगभग 1,000 टन काली मिर्च एवं 1,000 टन अन्य मसाले हर साल पश्चिमी यूरोप मध्य युग के दौरान आयात किए गए थे।
इनकी कीमत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है, कि इन सामानों का मूल्य 1.5 लाख लोगों के लिए अनाज की वार्षिक आपूर्ति के बराबर था।
संक्षेप में, मसालों का आकर्षक इतिहास साहसिक, अन्वेषण, विजय और भयंकर नौसैनिक प्रतिद्वंद्विता की कहानी है।
उस समय के लोग अपने भोजन के स्वाद को बढ़ाने या बदलने के लिए मसालों का इस्तेमाल उसी प्रकार करते थे, जैसा कि हम आज करते हैं।
History of indian spices and herbs | भारतीय मसालों का इतिहास
भारतीय मसालों की ख्याति दर्ज इतिहास से भी पुरानी है। भारतीय मसालों का के इतिहास की कहानी 7000 साल से भी ज्यादा पुरानी है।
ग्रीस एवं रोम की खोज से सदियों पहले जल मार्ग द्वारा जहाज भारतीय मसालों, इत्र तथा वस्त्रों को मेसोपोटामिया, अरब और मिस्र ले जाया करते थे। इन्हीं का लालच ही कई नाविकों को भारत के तटों की ओर खींच लाया।
ईसाई व्यापारियों या यूरोपियन लोगों से पहले, ग्रीक व्यापारियों ने दक्षिण भारत के बाजारों में कई महंगी वस्तुओं को खरीदा, जिनमें मसाले भी एक थे।
रोम भारतीय मसालों, रेशम, ब्रोकेड, ढाका मलमल तथा ज़रदोज़ी के कपड़े आदि पर एक अच्छा खासा मॉलय खर्च कर रहा था।
ऐसा माना जाता है, कि पार्थियन युद्ध रोम द्वारा बड़े पैमाने पर भारत के व्यापार मार्ग को खुला रखने के लिए लड़े जा रहे थे।
यह भी कहा जाता है कि भारतीय मसाले और उसके प्रसिद्ध उत्पाद धर्मयुद्ध एवं पूर्व में अभियान के लिए मुख्य कारण थे।
मसाला व्यापार के प्रोत्साहन के तहत, पुर्तगाल ने क्षेत्रीय रूप से व्यावसायिक विस्तार किया। वर्ष 1511 तक भारत के मालाबार तट एवं सीलोन के मसाला व्यापार पर पुर्तगालियों का नियंत्रण हो गया था।
16वीं शताब्दी के अंत तक, भारत में मसाले के व्यापार पर उनका एकाधिकार पुर्तगालियों के लिए असाधारण रूप से लाभदायक था।
इनके साथ भारत से लिस्बन वापस लाया गया मुख्य उत्पाद काली मिर्च था। पाइपर नाइग्रम या काली मिर्च की खोज ने उसे उस युग में सोने जितना ही मूल्यवान बना दिया था।
16वीं शताब्दी में, पुर्तगाल के राज्य के राजस्व का आधे से अधिक हिस्सा पश्चिम अफ्रीकी सोने और भारतीय काली मिर्च तथा अन्य मसालों से आता था। मसालों का अनुपात सोने से काफी अधिक था।
उस समय में काली मिर्च को सबसे मूल्यवान समझा जाता था। यहाँ तक की किसी व्यक्ति के जीवन से अधिक मूल्यवान काली मिर्च का एक बोरा हुआ करता था।
इस समय के मसाला व्यापारियों में सबसे अधिक अमीर अरब व्यापारी थे। प्राचीन काल में दक्षिण अरब महान मसाला निर्यातक हुआ करता था।
अरबों ने मसाला व्यापार पर पहला एकाधिकार हासिल करने में सफल होने के लिए पौराणिक कहानियों का इस्तेमाल किया।
भारतीय भोजन का इतिहास एवं समय के साथ इसमें आये परिवर्तन, विभिन्न विदेशी सभ्यताओं के संपर्क में आने से बनने वाले नए-नए व्यंजनों और रोचक भारतीय खानपान (Indian food facts) को जाने।
India as British colony | अंग्रेजो का समय
16वीं से 18वीं शताब्दी के बीच की अवधि में अंग्रेजों ने मसाले के व्यापार का पता लगाया एवं उसे नियंत्रित करना शुरू किया। कुछ समय के बाद, अमेरिकियों ने मसाला व्यापारिक समूह में प्रवेश किया।
इस प्रकार आप देख सकते है, कि मसाले का इतिहास हमेशा नियंत्रण, शक्ति एवं धन का इतिहास रहा है। काली मिर्च मसाला व्यापार की नंबर एक वस्तु साबित हुई है ।
जिसने कई लोगों के जीवन में बहुत अंतर ला दिया है। खासकर जिस तरह से यूरोपीय इसको खाते हैं, वह भी सिर्फ इसलिए कि यह थोड़े से मसाले के साथ बेहतर स्वाद और कड़ाके की ठंड में भी खून का बहाव बढाकर गर्मी का अहसास कराती है।
उपरोक्त विवरण के आधार पर हम भारतीय मसालों एवं उनके महत्व तथा इतिहास को बहुत अच्छी प्रकार से समझ सकते है।
भारतीय मसालों का हमारी अर्थव्यवस्था में बहुत अहम स्थान रहा है, आज के दौर में भी भारत को उसके मसालों की वजह से बहुत सम्मानीय दृष्टि से देखा जाता है।
खासकर काली मिर्च के स्वाद के दीवाने विश्व में हर जगह देखे जाते हैं। यह न केवल अपने स्वाद बल्कि औषधीय गुणों की वजह से भी अत्यंत लोकप्रिय रही है।
भारतीय समाज के इतिहास, विकास, भाषाओ, विविधताओं और उससे विभिन्न कलाओ पर पड़ने वाले प्रभाव को विस्तृत रूप से जानने के लिए भारतीय संस्कृति (Indian culture) पर जाये।
Importance of spices in Indian food | मसालों का महत्व
हजारों वर्षों से भारतीय खाना पकाने में मसालों का पारंपरिक रूप से तीन कारणों से उपयोग किया जाता रहा है।
1 उनके स्वाद के कारण,
2 भोजन को संरक्षित करने की उनकी क्षमता
3 उनके औषधीय गुण के कारण
भारत की जलवायु ने इसे विभिन्न प्रकार के मसालों को उगाने के लिए आदर्श स्थान बना दिया है, जिसके कारण यहाँ प्राचीन समय से मसालों की विभिन्न प्रजातियों की खेती की जाती है।
उदाहरण के लिए भारत में एक मसाला मिश्रण गरम मसाला बहुत आम होते हुए भी अत्यंत महत्व रखता है। भारत में बनने वाला कोई भी व्यंजन चाहे वह शाकाहारी हो या मांसाहारी गरम मसाले के बिना अधूरा है।
वैसे ही लाल मिर्च, धनिया, जीरा आदि के बिना भी भारतीय व्यंजन अधूरे हैं। समय, स्वाद एवं खाने वाले के अनुसार भोजन में इनकी मात्रा निर्धारित होती है।
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