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Indian spices | भारतीय मसालों के प्रकार

Culture, India

हर  भारतीय के घर में रसोई घर में एक ‘मसाला बॉक्स’ होता है, जिसमें हर रोज खाना पकाने के लिए आवश्यक सभी आवश्यक मसाले भरे होते हैं।

जब आप भारतीय व्यंजन के विषय में सोचते हो तो आपके मन में जो पहली छवि तेल एवं करी वाली सब्ज़ी की होती है। किन्तु यह सच नहीं भारतीय व्यंजन उनमे डालने वाले मसालों से विशेष बनते हैं। 

जब भारतीय मसालों (Indian spices) की बात आती है, तो भारतीय खानपान के बारे में न जानने वाले मसालों के इतने प्रकार देख संशय में पड़ जाते है।

भारतीय भोजन पकाना एक ऐसी कला है, जिसको एक माँ अपनी बेटी को सिखाती है। उसके पश्चात जब वही बेटी किसी की बहू बनकर ससुराल जाती है, तो उसकी सास उसको अपनी सीक्रेट रेसिपी सिखाती है। 

अपनी इन दोनों माताओं की सीक्रेट रेसिपी को सीखकर वही बेटी और बहू अपनी खुद की एक नयी व्यंजन शैली की खोज करती है। 

इन सबके पीछे जो सबसे ज़रूरी चीज़ छिपी होती है, वह मसालों को सही मात्रा में मिलाकर स्वादिष्ट भोजन तैयार करना है। 

मसालों के सही अनुपात में उपयोग करने पर आप किसी भी साधारण से व्यंजन को स्वाद एवं मनमोहक सुगंध से भर सकते हैं। 

मसालों का उपयोग भोजन बनाते समय कई रूपों में किया जाता है। जैसे साबुत, कटा हुआ, पिसा हुआ, भुना हुआ, तला हुआ एवं मसालों भोजन सजाने के लिये टॉपिंग के रूप में। 

मसाले न केवल भोजन का स्वाद बढ़ाने में सहायक होते हैं, बल्कि उनके औषधीय गुण भोजन के साथ मिलकर स्वास्थ्य लाभ भी देते हैं। 

एक तरफ जहाँ कुछ मसालों को भोजन बनाते समय पहले तेल में भूना जाता है, तो कुछ को बाद में व्यंजन में मिलाया जाता है। वहीँ कुछ मसाले व्यंजन सबसे आखिर में खुशबू के लिए मिलाये जाते है। 

यह सब खाना बनाने वाले एवं खाने वाले के ऊपर निर्भर करता है, कि वो किस मसाले के स्वाद को कितना अधिक व्यंजन में पसंद करते है। 

भारतीय मसालों की तरह ही इन मसालों का इतिहास भी रोचक और विविधताओं से भरा है। इस रोचक इतिहास को जानने के लिये मसालों का इतिहास (History of spices) पढ़े।

Grind and whole spices | पिसे एवं साबुत मसाले 

भारतीय व्यंजन में मसाले दो प्रकार पिसे हुए या साबुत मसाले इस्तेमाल किए जाते हैं। कई बार सिर्फ साबुत मसालों का उपयोग किया जाता है, तो कभी सिर्फ पिसे हुए या दोनों ही प्रकार से डालकर बनाये जाते है। 

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Grind and whole spices | पिसे एवं साबुत मसाले 

भारत में अक्सर अधिकतर परिवारों में साबुत मसलों को लेकर घर में ही पीसकर पिसा हुआ मसाला तैयार करने की परंपरा देखी जाती है। 

इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण होता है, कि घर में खुद से सुखाकर एवं पीसकर तैयार किये गए मसलों का स्वाद बाजार में मिलने वाले मसालों से अधिक बेहतर होता है। 

घर के पिसे मसाले लम्बे समय तक ताज़ा बने रहते है। वही बाजार के मसाले जल्दीख़राब हो जाते हैं, तथा उनकी सुगंध एवं स्वाद भी उभरकर नहीं आता है। 

इसी कारण खड़े मसालों का संग्रह करना हर भारतीय की पहली पसंद होता है। क्योंकि इनको आप जब चाहे व्यंजन में साबुत ही इस्तेमाल कर सकते है, या पीसकर इस्तेमाल कर सकते हैं। 

भारतीय भोजन का इतिहास एवं समय के साथ इसमें आये परिवर्तन, विभिन्न विदेशी सभ्यताओं के संपर्क में आने से बनने वाले नए-नए व्यंजनों और रोचक भारतीय खानपान (Indian food facts) को जाने।

Types of Indian spices | भारतीय मसालों के विभिन्न प्रकार

भारतीय मसलो की सूचि बहुत ही बड़ी है, और मजेदार बात यह है, कि आज भी भारतीय घरो में इतने विविध प्रकार के मसालों का प्रयोग किया जाता है।

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Types of Indian spices | भारतीय मसालों के विभिन्न प्रकार

भारतीय व्यंजनों को बनाने में जिन प्रमुख भारतीय मसालों का प्रयोग पीसकर या साबुत ही किया जाता है वह निम्न प्रकार है।

Carom Seeds | अजवाइन 

अजवाइन एक ऐसा भारतीय मसाला है, जिसके बिना भारतीय रसोई में मसाले के डिब्बे की कल्पना करना भी व्यर्थ होगा। 

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Carom Seeds | अजवाइन 

इसका प्रयोग कई प्रकार के व्यंजन बनाने में किया जाता है। जैसे सूखे आलू की सब्ज़ी, भरवां भिंडी इत्यादि। सूखा नाश्ता जैसे मठरी बनाने में बनाने में भी अजवाइन का प्रयोग किया जाता है । 

यह सौंफ तथा जीरे के समान दिखता है, किन्तु ये इन दोनों से अधिक सुगंधित होता है। इसका स्वाद थोड़ा कड़वा होता है, वहीँ सौंफ मीठी होती है।  

भारत एवं  ईरान में उगाई जाने वाली अजवाइन, जिसे कैरम सीड्स या बिशप वीड के नाम से भी जाना जाता है, सबसे अधिक भारत में उपयोग की जाती है। 

धनिया, जीरा एवं  सौंफ की तरह अजवायन के पौधे भी अपियासी (या अम्बेलिफेरे) परिवार से संबंधित होते है। इसका पौधा झाड़ी के सामान एवं इसके पत्ते पंख की तरह होते हैं। 

पौधे के फल-जिसे अक्सर बीज कहा जाता है, पीले खाकी रंग के होते हैं। बनावट में लटके हुए तथा  अंडाकार आकार के होते हैं।

अजवाइन का उपयोग प्राचीन काल से खाना पकाने और औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता रहा है। यह भारतीय, मध्य पूर्वी और अफ्रीकी खाना पकाने का हिस्सा बना हुआ है।

ऐसा माना जाता है, कि अजवाईन के पौधे की उत्पत्ति फारस (ईरान) एवं  एशिया माइनर (जो अब तुर्की है) में हुई थी। वहां से यह भारत में आया। अब मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में भी उगाया जाता है।

अजवायन के अन्य नाम अजवायन, अजवायन कैरवे, अजवे बीज, अजवायन, अजवान, इथियोपियाई जीरा, ओमम और ओमम हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है, कि दुनिया में इसका उपयोग कहां किया जाता है।

इसका उपयोग भारतीय रसोई में सादा या भूनकर किया जाता है। इसके औषधीय गुण पाचन शक्ति के लिए लाभदायक होते हैं। 

यदि आपको अपच,गैस या खट्टे डकार की समस्या हो तो प्रतिदिन आप भुनी हुई अजवाइन को गुनगुने पानी के साथ खाएं तो आपको आराम मिलेगा। 

Asafoetida | हींग

भारतीय पाक कला में हींग एक और सबसे महत्वपूर्ण मसाला होता है। इसके बिना आप भारतीय शाकाहारी भोजन को बनाने के बारे में सोच भी नहीं सकते हो। 

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Asafoetida | हींग

इसका प्रयोग भारत के अलावा ईरान एवं अफगानिस्तान में भी किया जाता है। हींग को अजमोद या फेरूला के पौधे की राल या गोंद से तैयार किया जाता है। 

अक्सर इसका प्रयोग भारतीय रसोई में पाउडर के रूप में किया जाता है। कुछ लोग इसको डली के रूप में ही प्रयोग एवं संग्रह करना पसंद करते हैं। 

हींग अपनी तीखी गंध के लिए जाना जाता है, जो इसके सल्फर यौगिकों की उच्च सांद्रता के कारण होता है। वास्तव में इसकी अप्रिय गंध के कारण, इसे कभी-कभी बदबूदार गोंद भी कहा जाता है।  

हालांकि, जब इसको किसी व्यंजन सामग्री के साथ पकाया जाता है, तो इसका स्वाद एवं गंध आपके भोजन को बहुत अधिक स्वादिष्ट एवं सुपाच्य बना देता है। 

आयुर्वेदिक चिकित्सा में, हींग का उपयोग पाचन एवं  गैस के साथ-साथ ब्रोंकाइटिस तथा गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए भी किया जाता है। 

कहा जाता है, कि मध्य युग के दौरान, कुछ लोगों ने संक्रमण एवं  बीमारी को दूर करने में मदद करने के लिए सूखे हींग के गोंद को अपने गले में पहना था। 

Black pepper | काली मिर्च

काली मिर्च को प्राचीन काल से भारत का काला सोना कहा जाता रहा है। भारत हमेशा से काली मिर्च के उत्पादन में पहले पायदान पर रहा है। 

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Black pepper | काली मिर्च

सारे संसार में भारतीय मसालों एवं व्यंजनों की प्रसिद्धि में काली मिर्च का विशेष स्थान एवं महत्व है। इसका अनूठा स्वाद जिसकी वजह से यूरोपियन लोग भारत की ओर आकर्षित हुए। 

काली मिर्च (पाइपर नाइग्रम, Piperaceae ) परिवार की  एक फूल वाली बेल है, जिसकी खेती इसके फल के लिए की जाती है।  इसको आमतौर पर सुखाया जाता है, और मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

आज भी भारत काली मिर्च के उत्पादन एवं व्यापार में अग्रणी स्थान रखता है। वैश्विक मसाला बाजार में सत्तर प्रतिशत भागीदारी भारत रखता है। 

काली मिर्च को साबुत या पिसे पाउडर के रूप में खाने के अलग-अलग व्यंजनों में डाला जाता है। यह रेसिपी को एक अलग स्वाद, सुगंध प्रदान करता है। 

काली मिर्च गरम मसाला तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले मसालों की आवश्यक सामग्री में से एक है। इसकी खेती भारत के पश्चिमी घाट एवं मालाबार क्षेत्र में बहुतायत से होती है। 

Red chilly | लाल मिर्च 

लाल मिर्च हर रसोई घर में जरूरी मसालों की सूची में आने वाला आम मसाला है। 

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Red chilly | लाल मिर्च 

इसका उपयोग भोजन को अधिक मसालेदार, स्वादिष्ट बनाने एवं  लाल रंग देने के लिए  किया जाता है। यह एक प्राकृतिक खाद्य रंग की तरह काम करता है। 

लाल मिर्च का उपयोग खाना बनाने वाले की असली कला प्रदर्शित करने का सबसे बड़ा तरीका होता है, क्योंकि लाल मिर्च की कमी या अधिकता आपके व्यंजन का पूरा स्वाद ख़राब कर सकता है। 

सन 1492 तक, मिर्च केवल अमेरिकी महाद्वीप पर मौजूद थी। वे आज के संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिण से अर्जेंटीना तक फैली हुयी थी। शिमला मिर्च जंगली प्रजातियों के छोटे बेरी जैसी प्रजाति थी।   

भारत में विदेशियों के द्वारा लाल मिर्च के बीज लाने के पश्च्यात इसकी खेती भारत में भी शुरू हो गयी। आज दुनिया की सबसे तीखी मिर्च भूत जोलोकिया भारत में ही उगाई जाती है। 

लाल मिर्च कई प्रकार की होती है, जैसे भूत जोलोकिया,  कश्मीरी मिर्च गुंटूर सन्नम (S4) मिर्च, ज्वाला मिर्च, कड्डी मिर्च (ब्यादगी), रामनाद मुंडू/गुंडु, धानी (पक्षियों की आँख की मिर्च), कंठारी मिर्च, वारंगल चपाटा (टमाटर लाल मिर्च), 

Turmeric | हल्दी 

अदरक के परिवार से संबंधित एक और मसाला हल्दी होता है। यह भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले मसालों में से एक है। यह करकुमा लोंगा की जड़ों से प्राप्त होता है, जो भारत में पाया जाने वाला एक पत्तेदार पौधा है। 

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Turmeric | हल्दी 

हल्दी का भारत में हजारों वर्षों से मुख्य रूप से घरेलु एवं आयुर्वेदिक दवा के रूप में उपयोग किया जाता था। इसकी सुगंध और स्वाद अनोखा होता है, जो आपके व्यंजन को आकर्षक रंग भी देती है। 

भारत में आज भी आमतौर पर ठंड में तथा हड्डी की चोट लगने पर हल्दी मिला दूध पीने की परंपरा है। हल्दी को एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक के रूप में प्रयोग किया जाता है। 

बहुत सारे ऊर्जा वर्धक पेय में इसका प्रयोग किया जाता है। भारत में तो इसका धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व भी बहुत है। पूजा एवं प्रत्येक शुभ कार्य में हल्दी का प्रयोग करना भारत में आम है। 

Coriander | धनिया 

धनिया प्रत्येक भारतीय के पसंदीदा मसालों में से एक है। इसके बीज छोटे धारीदार ग्लोब की तरह दिखते हैं। इसका प्रयोग साबुत एवं पिसा दोनों प्रकार से भारतीय व्यंजनों में किया जाता है। 

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Coriander | धनिया 

आपको बाजार में साबूत धनिया और धनिया पाउडर दोनों मिलते हैं, जो आपकी  खाना पकाने की विभिन्न तकनीकों को पूरा करने में आपकी सहायता करता हैं। 

यह मसाला व्यंजन को एक गाढ़ापन देता है, तथा अक्सर एक दूसरे के पूरक के रूप में जीरा इसके साथ जोड़ा जाता है।

धनिया के बीज इसके पौधे के फूल में रूप में प्राप्त होता है। इसकी पत्तियों को सिलंटरो कहा जाता है। धनिया के बीज तथा सिलंटरो दोनों एक ही पौधे के खाने योग्य दो भाग होते हैं। 

ब्रिटिश बावर्ची जहाँ सिलंटरो का प्रयोग करते है, वही अमेरिका में धनिया के बीज प्रयोग किये जाते है। भारत में केवल धनिया के बीजों का प्रयोग भोजन बनाने में मसाले के रूप में किया जाता है। 

धनिया के पुष्प खट्टे होते हैं, जिसकी वजह से  धनिया एक बहुत ही ताज़ा स्वाद वाला मसाला होता है। इसका हल्का मीठा, खट्टा  स्वाद अक्सर अन्य मसालों के साथ  मिलकर खाने का स्वाद बढ़ा देता है। 

Cumin | जीरा

जीरा एक ऐसा मसाला है, जो भारतीय खाने को एक अच्छा, स्मोकी स्वाद देता है। इसका उपयोग गरम मसाले में भी किया जाता है। सब्ज़ी बघारने तथा भूनकर पाउडर के रूप में दही तथा रायते में डाला जाता है। 

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Cumin | जीरा

इसकी सुगंध किसी भी व्यंजन का स्वाद बढ़ाने में पूरी तरह से कामयाब होती है। जीरा का सेवन स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभदायक होता है। 

इसकी औषधीय गुणवत्ता इसका प्रयोग बहुत सारी घरेलु दवाओं एवं नुस्खों को बनाने में भी बढ़ा देती है। 

भारतीय दाल की तो आत्मा जीरा कहा जाता है। बिना जीरे और हींग से तड़का लगाए किसी भी भारतीय घर की दाल नहीं बनती।

Clove | लौंग 

लौंग सिज़ीगियम अरोमैटिकम इंडोनेशिया का मूल पेड़ होता है। भारत आने वाले मूल इंडोनेशियाई लोगों के साथ यह पौधा भी यहाँ तक पहुंचा एवं आज भारतीय मसालों का अहम् हिस्सा बन चुका है। 

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Clove | लौंग 

इसकी सूखे फूल की कलियों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता हैं, इसके अलावा यह उपयोग चीनी एवं आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी प्रयोग किया जाता है। 

दवा बनाने के लिए लौंग के तेल, सूखे फूलों की कलियों, पत्तियों और तनों का उपयोग किया जाता है। आज के आधुनिक दौर में भारत में अक्सर घरों में लौंग के तेल वाला टूथपेस्ट भी देखने को मिलेगा। 

इसकी  तीव्र सुगंध होती है, जो आपको इसके स्वाद का असली मज़ा देती है। इसलिए इसका प्रयोग भोजन में कम मात्रा में किया जाता है। 

मुंह में पानी लाने वाले स्वाद के लिए लौंग को अक्सर काली मिर्च के साथ  भोजन बनाने में उपयोग करते हैं। गरम मसाला भी इसके बिना अधूरा होता है। 

बिरयानी एवं पुलाव जैसी स्वादिष्ट रेसिपी भी लौंग के बिना अधूरी होती हैं। अक्सर भोजन पचने के लिए भी लोग हरी इलायची के साथ लौंग कहते हैं। 

भारत में पूजा संस्कार में भी इसका उपयोग किया जाता है, इसके अलावा टोने- टोटके के लिए भी लौंग का इस्तेमाल होता है। 

Garam Masala | गरम मसाला

गरम मसाला विभिन्न प्रकार के मसालों को मिलाकर पाउडर जैसा उनको महीन पीसकर बनाया जाता है। कई व्यंजनों को बनाने में साबुत गरम मसाले का भी प्रयोग किया जाता है। 

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Garam Masala | गरम मसाला

बिरयानी, पुलाव और सब्जी करी जैसे व्यंजनों में उपयोग किया जाता है। यह पकवान को एक समृद्ध स्वादिष्ट, सुगंधित स्वाद देता है। 

गरम मसाला बनाने में अधिकतर जीरा, लौंग, काली मिर्च, तेजपत्ता, बड़ी इलाइची, हरी इलाइची, जायफल, जावित्री, दालचीनी जैसे मसलों का साबुत या पीसकर इस्तेमाल किया जाता है। 

Fenugreek seeds | कसूरी मेथी 

कसूरी मेथी धूप में सुखाई हुई मेथी के पत्ते होते है, जिसको ट्राइगोनेला फेनम ग्रेकुम भी कहा जाता है। यह भारतीय रसोई में व्यंजन को एक विशेष सुगंध तथा स्वाद देने के लिए उपयोग किया जाता है। 

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Fenugreek seeds | कसूरी मेथी 

इसके प्रयोग से खाने में  रेस्टॉरेंट वाला स्वाद तथा सुगंध आप घर में ही प्राप्त कर सकते हो। इसमें इसके सूखे पत्तों को व्यंजन के ऊपर हाथ से मसलकर छिड़का जाता है। 

इसका स्वाद थोड़ा कड़वा थोड़ा मीठा सा होता है, जो आपकी सब्ज़ी के स्वाद में चार चाँद लगाने का काम करता है। 

Cinnamon | दालचीनी 

दालचीनी का स्वाद थोड़ा मीठा होता है, यह जीनस सिनामोमम नामक प्रजाति के पेड़ की आंतरिक छाल से प्राप्त होने वाला मसाला है। 

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Cinnamon | दालचीनी 

दालचीनी का उपयोग मुख्य रूप से विभिन्न प्रकार के व्यंजनों, मीठे या नमकीन व्यंजनों, नाश्ते में, स्नैक फूड, चाय और पारंपरिक खाद्य पदार्थों में सुगंधित मसाले और स्वाद बढ़ाने वाले योजक के रूप में किया जाता है।

इसका प्रयोग साबुत या पिसे दोनों ही रूप में गरम मसाला बनाने के लिए भी किया जाता है। मसाला चाय की रेसिपी भी इसके बिना अधूरी है। 

इसके औषधीय गुण भी बहुत सारे होते हैं, जिसकी वजह से इसका प्रयोग बहुत सारी दवाओं में भी किया जाता है। मधुमेह की बीमारी में इसका सेवन अत्यंत लाभकारी होता है। 

Fennel | सौंफ  

सौंफ (Foeniculum vulgare ) एक  औषधीय पौधे के पीले फूलों से प्राप्त होती है। यह एक ऐसा मसाला है, जो पाचन में सहायता करता है। भारी भोजन के बाद कई लोग इसका सेवन खाना पचाने के लिये करते है।

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Fennel | सौंफ  

सौंफ कई पारंपरिक करी वाली रेसिपी में डाली जाती है, विशेष रूप से मद्रास करी की यह एक महत्वपूर्ण सामग्री है। इसका उपयोग अक्सर सी-फ़ूड एवं मांसाहार पकाने में किया जाता है। 

इसके सूखे बीज एवं तेल का उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है। सौंफ भूमध्यसागरीय मूल की है, लेकिन अब यह पूरी दुनिया में पाई जाती है।

सौंफ में पाए जाने वाले विटामिन एवं खनिज आपकी हड्डियों के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं। रक्तचाप के नियंत्रण के लिए भी सौंफ का सेवन अच्छा होता है। 

Saffron | केसर 

केसर एक अनोखा एवं  महंगा मसाला है। इसमें एक तीव्र स्वाद और सुगंध होती है, जो किसी भी व्यंजन को बना या बिगाड़ सकती है। 

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Saffron | केसर 

सबसे शुद्ध केसर अफगानिस्तान की घाटियों में उपजाया जाता है। इसका उपयोग मीठे व्यंजन एवं शाकाहारी तथा मांसाहारी करी बनाने, पुलाव बनाने के लिए किया जाता है।

इसका नारंगी रंग अक्सर पुलाव, खीर एवं अन्य मिष्ठानो को रंगत देने तथा सजावट के लिए बहुत अच्छा रहता है। दूध में केसर मिलाकर पीने से ताकत भी प्राप्त होती है। 

Nigella Seeds | कलौंजी

कलौंजी बटरकप परिवार के पौधों से संबंधित हैं। इसके बीजों का  रंग काला होता है। इसमें उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं।

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Nigella Seeds | कलौंजी

इसका उपयोग कई उत्तर भारतीय व्यंजन बनाने में किया जाता है। यह एक स्वादिष्ट मसाला हैं, और इसे दुनिया भर में कई व्यंजनों में उपयोग किए जाते हैं।

Nutmeg | जायफल 

जायफल जावित्री का भीतरी बीज है, एवं  इसका स्वाद मीठा होता है। यह कुछ व्यंजनों मे अनोखा स्वाद जोड़ता है। 

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Nutmeg | जायफल 

ज्यादातर इसका प्रयोग  केसर के साथ किया जाता है। इसका उपयोग कई भारतीय मिष्ठान व्यंजनों तथा आइसक्रीम बनाने में किया जाता है।

Mango powder | अमचूर 

आमचूर या अमचूर एक खट्ठा मसाला है, जो सूखे कच्चे आमों को सूखा एवं पीसकर करके बनाया जाता है। अमचूर को तीखे एवं चटपटे स्वाद को अधिक बेहतर स्वाद में बदलने के लिए व्यंजन में डाला जाता है।

इसका उपयोग मिर्च का अचार, दाल, सलाद आदि में किया जाता है। इसके अलावा चाट मसाला बनाने में भी अमचूर का उपयोग किया जाता है। खड़े अमचूर का उपयोग विशेष रूप से अरहर की दाल में किया जाता है। 

कुछ अन्य भारतीय मसाले भी होते है, जिनका प्रयोग भी अक्सर स्वादिष्ट व्यंजन बनाने के लिए भारतीय रसोई एवं रेस्टोरेंट में किया जाता है। 

बड़ी इलाइची ,मेथी दाना, अनारदाना, इमली, करी पत्ता, तिल, अमला पाउडर, अदरक पाउडर, जावित्री, सब्ज़ा या बेसिल सीड्स, राइ, चाकरी फूल या स्टार अनीस इत्यादि। 

भारतीय समाज के इतिहास, विकास, भाषाओ, विविधताओं और उससे विभिन्न कलाओ पर पड़ने वाले प्रभाव को विस्तृत रूप से जानने के लिए भारतीय संस्कृति (Indian culture) पर जाये।

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