Loading...

299 Big Street, Govindpur, India

Open daily 10:00 AM to 10:00 PM

इंदिरा एकादशी व्रत कथा और तिथि व पूजा मूहुर्त

Uncategorized

इंदिरा एकादशी – indira ekadashi

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है। एकादशी तिथि का हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के लिये खास महत्व है। प्रत्येक चंद्र मास में दो एकादशियां आती है। इस तरह साल भर में 24 एकादशियां आती है मलमास या कहें अधिक मास की भी दो एकादशियों को मिलाकर इनकी संख्या 26 हो जाती है। प्रत्येक एकादशी का अपना अलग महत्व होता है। हर एकादशी की एक कथा भी होती है। एकादशियों को असल में मोक्षदायिनी माना जाता है। लेकिन कुछ एकादशियां बहुत ही खास मानी जाती है। इन्हीं खास एकादशियों में से एक है इंदिरा एकादशी।

इंदिरा एकादशी का महत्व

इंदिरा एकादशी की खास बात यह है कि यह पितृपक्ष में आती है जिस कारण इसका महत्व बहुत अधिक हो जाता है। मान्यता है कि यदि कोई पूर्वज़ जाने-अंजाने हुए अपने पाप कर्मों के कारण यमराज के पास अपने कर्मों का दंड भोग रहे हैं तो इस एकादशी पर विधिपूर्वक व्रत कर इसके पुण्य को उनके नाम पर दान कर दिया जाये तो उन्हें मोक्ष मिल जाता है और मृत्युपर्यंत व्रती भी बैकुण्ठ में निवास करता है।

इंदिरा एकादशी
इंदिरा एकादशी

इंदिरा एकादशी व्रत कथा – indira ekadashi vrat katha

भगवान श्री कृष्ण धर्मराज युद्धिष्ठर को इंदिरा एकादशी का महत्व बताते हुए कहते हैं कि यह एकादशी समस्त पाप कर्मों का नाश करने वाली होती है एवं इस एकादशी के व्रत से व्रती के साथ-साथ उनके पितरों की भी मुक्ति होती है। हे राजन् इंदिरा एकादशी की जो कथा मैं तुम्हें सुनाने जा रहा हूं। इसके सुनने मात्र से ही वाजपेय यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है।

Indira Ekadashi Katha

आगे कथा शुरु करते हुए भगवन कहते हैं। बात सतयुग की है। महिष्मति नाम की नगरी में इंद्रसेन नाम के प्रतापी राजा राज किया करते थे। राजा बड़े धर्मात्मा थे प्रजा भी सुख चैन से रहती थी। धर्म कर्म के सारे काम अच्छे से किये जाते थे। एक दिन क्या हुआ कि नारद जी इंद्रसेन के दरबार में पंहुच जाते हैं। इंद्रसेन उन्हें प्रणाम करते हैं और आने का कारण पूछते हैं। तब नारद जी कहते हैं कि मैं तुम्हारे पिता का संदेशा लेकर आया हूं जो इस समय पूर्व जन्म में एकादशी का व्रत भंग होने के कारण यमराज के निकट उसका दंड भोग रहे हैं।

अब इंद्रसेन अपने पिता की पीड़ा को सुनकर व्यथित हो गये और देवर्षि से पूछने लगे हे मुनिवर इसका कोई उपाय बतायें जिससे मेरे पिता को मोक्ष मिल जाये। तब देवर्षि ने कहा कि राजन तुम आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करो और इस व्रत के पुण्य को अपने पिता के नाम दान कर दो इससे तुम्हारे पिता को मुक्ति मिल जायेगी। उसके बाद आश्विन कृष्ण एकादशी को इंद्रसेन ने नारद जी द्वारा बताई विधि के अनुसार ही एकादशी व्रत का पालन किया जिससे उनके पिता की आत्मा को शांति मिली और मृत्यु पर्यंत उन्हें भी मोक्ष की प्राप्ति हुई।

इंदिरा एकादशी व्रत व पूजा विधि

कथा के अनुसार महर्षि नारद ने व्रत की विधि बताते हुए कहा था कि आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की दशमी के दिन प्रात:काल श्रद्धापूर्वक स्नानादि से निवृत होकर फिर दोपहर के समय नदी आदि में जाकर स्नान करें। श्रद्धा पूर्वक अपने पितरों का श्राद्ध करें और दिन में केवल एक बार ही भोजन करें। एकादशी के दिन प्रात:काल में उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत होकर स्नानादि करें व्रत के नियमों को श्रद्धा पूर्वक ग्रहण करें साथ ही संकल्प ले कि “मैं सार भोगों को त्याग कर निराहार एकादशी का व्रत करुंगा, हे प्रभु मैं आपकी शरण हूं आप मेरी रक्षा करें।”

इस प्रकार नियमपूर्वक शालिग्राम की मूर्ति के आगे विधिपूर्वक श्राद्ध करके पात्र ब्राह्मण को फलाहार का भोजन करवायें व दक्षिणादि से प्रसन्न करें। धूप, दीप, गंध, पुष्प, नैवेद्य आदि से भगवान ऋषिकेश की पूजा करें। रात्रि में प्रभु का जागरण करें व द्वादशी के दिन प्रात:काल भगवान की पूजा करके ब्राह्मण को भोजन करवाकर सपरिवार मौन होकर भोजन करें। लेकिन हमारी सलाह है कि आप व्रत व पूजा करने की विधि विद्वान ज्योतिषाचार्यों से अच्छे से जान लें।

इंदिरा एकादशी 2023 – व्रत तिथि व पूजा मूहुर्त

  • इंदिरा एकादशी पारणा मुहूर्त : 06:19:12 से 08:38:37 तक 11, अक्टूबर को
  • अवधि : 2 घंटे 19 मिनट

Written by

Your Astrology Guru

Discover the cosmic insights and celestial guidance at YourAstrologyGuru.com, where the stars align to illuminate your path. Dive into personalized horoscopes, expert astrological readings, and a community passionate about unlocking the mysteries of the zodiac. Connect with Your Astrology Guru and navigate life's journey with the wisdom of the stars.

Leave a Comment

Item added to cart.
0 items - 0.00