जन्म समय, दिन मान तिथि स्थान से हम जातक के जन्म कुंडली बनाते है जो जन्म के समय गोचर ग्रह हो और उसी से उसके पूरे जीवन पर होने वाले शुभ अशुभ आदि के बारे में सटीक भविष्य वाणी करते हे, ऐसे ज्योतिष मत अनुसार 27 योगों मेसे 9 योग जो अत्यंत अशुभ माने गए है एवम पंचांग के 11 करणो में से 5 अशुभ ये शुभ अशुभ योग उनकी जिन ग्रहों की युति में हो उन की दशा अंतर दशा में जातक को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है । वही शुभ योग की दशा अंतर दशा में वे लाभ एवम अन्य सुखों का भोग करवाते हे। सर्व प्रथम जो जन्म समय पर भाग्य में लिखा छठी का अंक कोई नही बदल सकता ये पूर्व जन्मों के संचय कर्मो का फल ही होता है जो शुभ अशुभ आप को भोगना पड़ता है ओर ऐसे ही परिवार में जन्म भी होता है जो आप के पूरक हे।
यँहा अशुभ ग्रह जैसे चांडाल योग हैतो गुरुओ से बड़े बुजुर्ग ज्ञानियों से आप को धुत्कार मिले सही होने पर भी आप की उपेक्छा हो परन्तु एक कर्म जो आप को करना है कि भले ही कितना ही ना आप का अपमान हो आप सदा गुरु का आदर करो।
रोज़ चरण स्पर्श करो कभी भी उन की बात न टालो बड़े बुजुर्गों का आदर करो ज्ञानियों का सम्मान करो न की स्वयम ज्ञान बाटना चालु कर दो ब्रहस्पतिवार को गुरु पूजा करो कर्म से ब्राह्मण हे उन्हें पिली वास्तु वस्त्र आदि का दान कर भोज करवाओ और इन सभी अच्छी आदत को अपने नित्य कर्म में ले लो इससे ये पक्का हे की जब भी राहु में ब्रहस्पति की या ब्रहस्पति में राहु का भृमण हों गा उस समय आप को बड़ी हानि नही होगी और जीवन में जँहा भी आप के मार्ग अवरुद्घ हो रहे होंगे वो समय आप का संघर्ष कई गुना घट गया होगा, क्योकि जैसे बुरे काम का बुरा नतीजा तो अच्छे काम कर्म का अच्छा शुभ फल प्राप्त करने से कोई नही रोक सकता, ये चांडाल योग हेतु, इसी प्रकार सभी दोषों की शान्ति हेतु कुछ कर्म जो नित्य पुरे जीवन भर के लिए उतार लेना बड़ी बात है और वो आप के बुरे समय में आप उबार लेंगे,क्योकि शान्ति कर्म कुछ वर्ष उपरान्त फिर दोहराने पड़ते है जो जब ग्रह ज्यादा कुपित हो तो उस की शान्ति अवश्य करवाए ये वैदिक शान्ति पाठ सभी जानते है, परन्तु हम कुछ तांत्रिक विधि विशेष दिवश पर जैसे मंगल, बुद्ध, शनि, अमावश्या, ग्रहण आदि में करवाते हे और कुछ क्रियाए जो आप अपने घर से रहते हुए मेरे मार्ग दर्शन में कर सकते है उनमें कई उपाय हर सप्ताह के विशेष दिवस को होता है जो 3, 5, 7, 9, बार हो सकता है और कुछ जिस ख़ास तिथि दिन से आरम्भ कर 11, 21, 43, 108 दिनों तक रोज चलता है, आप को कोई चमत्कार की बात करता हे और आप ऐसा चाहते है तो वो आप की श्रद्धा से कर्म से ही संभव है मार्ग दर्शन हम कर सकते हे विधि विधान पूजा अर्चना करवा सकते है परन्तु जँहा फ़लित होने की बात है वो आप की श्रद्धा भाव समर्पण पर निर्भर करता है और जो हतेली में चाँद बता कर आप को बड़े बड़े दावे करते हे तो उनका क्या होता है पता नही पर जो इन के चक्कर में लूटते है वो ऐसे हतप्रभ होते है।
- चांडाल योग – गुरु के साथ राहु या केतु हो तो जातकको चांडाल दोष है
- सूर्य ग्रहण योग – सूर्य के साथ राहु या केतु हो तो
- चंद्र ग्रहण योग – चंद्र के साथ राहु या केतु हो तो
- श्रापित योग – शनि के साथ राहु हो तो दरिद्री योग होता है
- पितृदोष- यदि जातक को 2,5,9 भाव में राहु केतु या शनि है तो जातक पितृदोष से पीड़ित है.
- नागदोष – यदि जातक को 5 भाव में राहु बिराजमान है तो जातक पितृदोष के साथ साथ नागदोष भी है.
- ज्वलन योग– सूर्य के साथ मंगल की युति हो तो जातक ज्वलन योग(अंगारक योग) से पीड़ित होता है
- अंगारक योग– मंगल के साथ राहु या केतु बिराजमान हो तो जातक अंगारक योग से पीड़ित होता है.
- सूर्य के साथ चंद्र हो तो जातक अमावस्या का जना है
- शनि के साथ बुध = प्रेत दोष.
- शनि के साथ केतु = पिशाच योग
- केमद्रुम योग– चंद्र के साथ कोई ग्रह ना हो एवम् आगे पीछे के भाव में भी कोई ग्रह न हो तथा किसी भी ग्रह की दृष्टि चंद्र पर ना हो तब वह जातक केमद्रुम योग से पीड़ित होता है तथा जीवन में बोहोत ज्यादा परिश्रम अकेले ही करना पड़ता है.
- शनि + चंद्र – विषयोग शान्ति करें
- एक नक्षत्र जनन शान्ति -घर के किसी दो व्यक्तियों का एक ही नक्षत्र हो तो उसकी शान्ति करें.
- त्रिक प्रसव शान्ति – तीन लड़की के बाद लड़का या तीन लड़कों के बाद लड़की का जनम हो तो वह जातक सभी पर भारी होता है*
- कुम्भ विवाह – लड़की के विवाह में अड़चन या वैधव्य योग दूर करने हेतु.
- अर्क विवाह – लड़के के विवाह में अड़चन या वैधव्य योग दूर करने हेतु.
- अमावस जन्म – अमावस के जनम के सिवा कृष्ण चतुर्दशी या प्रतिपदा युक्त अमावस्या जन्म हो तो भी शान्ति करें*
- यमल जनन शान्ति – जुड़वा बच्चों की शान्ति करें.
Table of Contents
पंचांग के 27 योगों में से 9 अशुभ योग
- विष्कुंभ योग
- अतिगंड योग
- शुल योग
- गंड योग
- व्याघात योग
- वज्र योग
- व्यतीपात योग
- परिघ योग.
- वैधृती योग.
पंचांग के 11 करणों में से 5 अशुभ करण
- विष्टी करण.
- किंस्तुघ्न करण
- नाग करण.
- चतुष्पाद करण.
- शकुनि करण
नक्षत्र जिनकी शान्ति करना जरुरी है
- अश्विनी का- पहला चरण(1)अशुभ है.
- भरणी का – तिसरा चरण.(3).अशुभ है.
- कृतीका का – तीसरा चरण.(3).अशुभ है.
- रोहीणी का – पहला,दूसरा और तीसरा चरण.(1,2,3).अशुभ है.
- आर्द्रा का – चौथा चरण.(4).अशुभ है.
- पुष्य नक्षत्र का – दूसरा और तीसरा चरण.(2,3).अशुभ है.
- आश्लेषा के-चारों चरण(1,2,3,4).अशुभ है
- मघा का- पहला और तीसरा चरण.(1,3).अशुभ है
- पूर्वाफाल्गुनी का-चौथा चरण(4).अशुभ है
- उत्तराफाल्गुनी का- पहला और चौथा चरण.(1,4).अशुभ है
- हस्त का- तीसरा चरण.(3).अशुभ है
- चित्रा के-चारों चरण.(1,2,3,4).अशुभ ह
- विशाखा के -चारों चरण.(1,2,3,4).अशुभ है
- ज्येष्ठा के -चारों चरण(1,2,3,4)अशुभ है
- मूल के -चारों चरण.(1,2,3,4).अशुभ है.
- पूर्वषाढा का- तीसरा चरण.(3).अशुभ है.
- पूर्वभाद्रपदा का-चौथा चरण(4)अशुभ है
- रेवती का – चौथा चरण.(4).अशुभ है.
ज्योतिष ज्ञान ऐसा हे की कोई पूर्ण शुभ न ही नही अशुभ है, इससे आपज् योतिष मार्ग दर्शन में वो सारे कार्य पूर्ण जीवन के लिए नियम रूप उतार ले जो एक औषधि सामान हे सही मार्ग दर्शन में और अपने गुरु ईष्ट की शरण में सदा रहेंगे तो कोई आपका अशुभ करना तो दूरआप पर दृष्टि भी नही डाल सकता और यही सत्य है।
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