Loading...

299 Big Street, Govindpur, India

Open daily 10:00 AM to 10:00 PM

जाने अपनी सनातन संस्कृति को

Uncategorized

जाने अपनी सनातन संस्कृति को

दो पक्ष कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष !

तीन ऋण  देव ऋणपित्र ऋण एवं ऋषि ऋण !

चार अकृतक लोक  महर्लोक, जनलोक, तपलोक, सत्यलोक

चार युग  सतयुग , त्रेता युग , द्वापरयुग एवं कलयुग !

चार धाम द्वारिकाधीश धाम , बद्रीनाथ धाम, जगन्नाथ पूरी धाम एवं रामेश्वरम धाम !

चारपीठ शारदा पीठ ( द्वारिका ), ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम), गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) एवं श्रन्गेरिपीठ !

चार वेद ऋग्वेद , अथर्वेदयजुर्वेद एवं सामवेद !  ( ved )

चार आश्रम  ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , बानप्रस्थ एवं संन्यास !

चार अंतःकरण  मन , बुद्धि , चित्त , एवं अहंकार !

पञ्च गव्य गाय का घी , दूध , दही , गोमूत्र एवं गोबर , !

पञ्च देव  शिव ( lord shiv ) , गणेश (lord ganesha) , विष्णु  ( lord Vishnu ),  देवी और सूर्य !

पंच तत्त्व प्रथ्वी , जल , अग्नि , वायु एवं आकाश !

पञ्च विपर्यय  तम. मोह, महामोह, तमिस्र, अन्धतमिस्र।

पञ्च चित्तवृत्तियाँ  प्रमाण, विपर्यय, विकल्प, निद्रा, स्मृति।

पञ्च चित्तभूमियाँ शिक्षा, मूढ, विक्षिप्त, एकाग्र, निरुद्ध।

पञ्चक्लेश  अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष, अभिनिवेश

पञ्च ज्ञानेन्द्रियाँ चक्षु, रसना, घ्राण, त्वक्, श्रोत्र ।

पञ्च कर्मेन्द्रियाँ  वाक्, पाणि, पाद, पायु, उपस्थ ।

पञ्च तन्मात्राएँ  रूप, रस, गन्ध, स्पर्श, शब्द ।

पञ्च महाभूत  पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश ।

छह दर्शन वैशेषिक , न्याय , सांख्य, योग , पूर्व मिसांसा एवं दक्षिण मिसांसा !

सप्त ऋषि विश्वामित्र , जमदाग्नि , भरद्वाज , गौतम , अत्री , वशिष्ठ और कश्यप !

सप्त पूरी अयोध्या पूरी , मथुरा पूरी , माया पूरी ( हरिद्वार ) , कशी , कांची ( शिन कांची – विष्णु कांची ) , अवंतिका और द्वारिका पूरी !

सप्त द्वीप जम्बूद्वीप · प्लक्षद्वीप · शाल्मलद्वीप · कुशद्वीप · क्रौंचद्वीप · शाकद्वीप · पुष्करद्वीप ·

सप्त सागर खारे जल · इक्षुरस · मदिरा · घृत · दधि · दुग्ध · मीठे जल

सात पाताल अतल · वितल · नितल · गभस्तिमान · महातल · सुतल · पाताल

आठ जम्बू द्वीप के वर्ष  भारतवर्ष · भद्राश्चवर्ष · हरिवर्ष · केतुमालवर्ष · रम्यकवर्ष · हिरण्यमयवर्ष · उत्तरकुरुवर्ष · किम्पुरुषवर्ष ·

आठ योग  यम , नियम, आसन , प्राणायाम , प्रत्याहार , धारणा , ध्यान एवं समाधी ! ( yogasan )

आठ लक्ष्मी – आग्घ , विद्या , सौभाग्य , अमृत , काम , सत्य , भोग , एवं योग लक्ष्मी !

नव दुर्गा शैल पुत्री , ब्रह्मचारिणी , चंद्रघंटा , कुष्मांडा , स्कंदमाता , कात्यायिनी , कालरात्रि , महागौरी एवं सिद्धिदात्री !

दस दिशाएं  पूर्व , पश्चिम , उत्तर , दक्षिण , इशान , नेत्रत्य , वायव्य आग्नेय ,आकाश एवं पाताल !

दस लोक वैकुण्ठ लोक, स्वर्ग लोक, मृत्यु लोक ,महर्लोक, जनलोक, तपलोक, सत्यलोक, अतल · वितल · नितल · गभस्तिमान · महातल · सुतल · पाताल

मुख्य ग्यारह अवतार मत्स्य , कच्छप , बराह , नरसिंह , वामन , परशुराम , श्री राम , कृष्ण , बलराम , बुद्ध , एवं कल्कि !

बारह मास चेत्र , वैशाख , ज्येष्ठ ,अषाड़ , श्रावन , भाद्रपद , अश्विन , कार्तिक , मार्गशीर्ष . पौष , माघ , फागुन !

बारह राशी मेष , ब्रषभ , मिथुन , कर्क , सिंह , तुला , ब्रश्चिक , धनु , मकर , कुम्भ , मीन एवं कन्या !

बारह ज्योतिर्लिंग सोमनाथ , मल्लिकर्जुना , महाकालेश्वर , ओमकालेश्वर , बैजनाथ , रामेश्वरम , विश्वनाथ , त्रियम्वाकेश्वर , केदारनाथ ,घुश्मेश्वर , भीमाशंकर एवं नागेश्वर !

पंद्रह तिथियाँ  प्रतिपदा , द्वतीय , तृतीय , चतुर्थी , पंचमी , षष्ठी , सप्तमी , अष्टमी , नवमी , दशमी , एकादशी , द्वादशी , त्रयोदशी , चतुर्दशी , पूर्णिमा , अमावश्या !

स्म्रतियां  मनु , विष्णु, अत्री , हारीत , याज्ञवल्क्य , उशना , अंगीरा , यम , आपस्तम्ब , सर्वत , कात्यायन , ब्रहस्पति , पराशर , व्यास , शांख्य , लिखित , दक्ष , शातातप , वशिष्ठ !

अठारह पुराण (विष्णु पुराण के अनुसार) – shiv puran , vishnu puran , padma puran , ब्रह्म पुराण  , bhagwat puran , narad puran  , मार्कंडेय पुराण , agni puran , ब्रह्मवैवर्त पुराण , लिंग पुराण , वाराह पुराण , skanda purana वामन पुराण , कूर्म पुराण , मत्स्य पुराण , garud puran , ब्रह्मांड पुराण  और भविष्य पुराण । ( puran )

इक्कीस उपपुराण गणेश पुराण, नरसिंह पुराण, कल्कि पुराण, एकाम्र पुराण, कपिल पुराण, दत्त पुराण, श्रीविष्णुधर्मौत्तर पुराण, मुद्गगल पुराण, सनत्कुमार पुराण, शिवधर्म पुराण, आचार्य पुराण, मानव पुराण, उश्ना पुराण, वरुण पुराण, कालिका पुराण, महेश्वर पुराण, साम्ब पुराण, सौर पुराण, पराशर पुराण, मरीच पुराण, भार्गव पुराण

१०८ उपनिषद्

(१) ऋग्वेदीय — १० उपनिषद् (२) शुक्ल यजुर्वेदीय — १९ उपनिषद् (३) कृष्ण यजुर्वेदीय — ३२ उपनिषद् (४) सामवेदीय — १६ उपनिषद् (५) अथर्ववेदीय — ३१ उपनिषद्

१३ उपनिषद् विशेष मान्य तथा प्राचीन माने जाते हैं।

(१) ईश, (२) ऐतरेय (३) कठोपनिषद   (६) प्रश्न (७) तैत्तिरीय  (९) मुण्डकोपनिषद और (१०) मुंडक।  ( upnishad )

निम्न तीन को प्रमाण कोटि में रखा है- (१) श्वेताश्वतर (२) कौषीतकि तथा (३) मैत्रायणी।

Written by

Your Astrology Guru

Discover the cosmic insights and celestial guidance at YourAstrologyGuru.com, where the stars align to illuminate your path. Dive into personalized horoscopes, expert astrological readings, and a community passionate about unlocking the mysteries of the zodiac. Connect with Your Astrology Guru and navigate life's journey with the wisdom of the stars.

Leave a Comment

Item added to cart.
0 items - 0.00