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Love marriage | प्रेम विवाह योग एवं उपाय

हर नव युवा जब अपने भविष्य के सपने संजोता है, उस समय उसके मन में अपने प्रेमी के लिये अलग ही सपने एवं योजनाये होती है।

यह भी कटु सत्य है, कि वह अपने साथी अथवा प्रेमी को ही अपने जीवन साथी के रूप में देखता या देखती है।

प्रायः आम धारणा यह है, कि प्रेम विवाह (Love Marriage ) आधुनिक चलन है। परन्तु यह धारणा गलत है, गन्धर्व विवाह भी प्रेम विवाह का ही एक रूप माना गया है।

क्युकि प्रेम विवाह में मुख्यतया जीवनसाथी के चयन में वर एवं वधु ही मिलकर निर्णय लेते है। अरेंज्ड मैरिज के विपरीत जिसमे विवाह मुख्यतया परिवार के सदस्य ही विवाह निश्चित करते है।

लव मैरिज में पारिवारिक सहमति अथवा पारिवारिक सहमति के विपरीत जाकर युवा विवाह करते है।

अतः दोनों के मध्य पारिस्थितिक विवाद की स्थिति में कोई पारिवारिक सदस्य का अनुभव के साथ मार्गदर्शन न करना या विपरीत मार्गदर्शन की स्थिति में एक दूसरे का साथ बनाये रखने की क्षमता की परख ज्योतिष द्वारा की जाती है।

यह भी मिलान किया जाता है, कि वर और वधु के गुण एक दूसरे के पूरक हो न कि विपरीत।

विवाद की स्थिति में कोई एक समझदारी का परिचय दे साथ ही अन्य साथी बाद में ही सही गलती मानते हुए समझदारी का परिचय दे।

ज्योतिष विचार में वर एवं वधु को समान रूप से विवाह लिये भागीदार माना गया है, अतः विवाह की सफलता या असफलता के लिए दोनों की कुंडली के योग सामान रूप से महत्वपूर्ण माने जाते है।

ज्योतिष अनुसार अपने अनुकूल राशी अथवा Best Match के बारे में जानने के लिये राशिफल आधारित अपने प्रेमी के आपके प्रति प्रेम जानने लिए प्रेम (prem) पर क्लिक करे।

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source : Bluechip Media

Table of Contents

कुंडली में प्रेम विवाह ( Love Marriage ) योग देखना

ज्योतिष का ज्ञान ना होने पर यह तरीका थोड़ा कठिन लग सकता है। परन्तु थोड़े प्रयास से आप भी इसे आसानी से समझ पाएंगे।

इसके लिये मुख्य रूप से कुंडली में पांचवा, सातवा, और नवा स्थान तथा इन स्थानों के स्वामि ग्रहो के स्थानों एवं उनकी दृष्टि पर विचार किया जाता है।

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कुंडली में पांचवा भाव (Fifth House) का महत्त्व

पंचम भाव से जीवनसाथी से लाभ, कोर्ट-कचहरी, नौकरी में बदलाव, पार्टनरशिप, शेयर बाजार या सट्टा का विचार किया जाता है।

शारीरिक रोग विशेषकर निन्द्रा से सम्बंधित, हृदय रोग, मेरुरज्जु आदि रोगो का विचार कुंडली के पाचवे घर से होता है।

यह कलात्मकता को भी दर्शाता है, जैसे कि नृत्य, नाटक, विभिन्न प्रकार के खेल के साथ ही रोमांस एवं प्रेम प्रसंगो के साथ संतान सुख तथा पूर्व जन्मो के कर्म फल यहाँ से ही दर्शाये जाते है।

कुंडली में सातवा भाव (Sevanth House ) का महत्त्व

कुंडली में सातवा स्थान विशेष रूप से आपके जीवन सहयोगी अथवा पार्टनर एवं आपके सम्बन्धो को दर्शाता है।

इस स्थान से सिर्फ पत्नी ही नहीं बिज़नेस पार्टनर के साथ आपके सम्बन्धो का भी अनुमान लगाया जाता है।

शादी, बिजनेस, कॉन्ट्रैक्ट, व्यापारिक साझेदारी, विदेश गमन या वहा रहना, रिलेशनशिप, सेक्स लाइफ, गुप्त प्रेम सम्बन्ध, उच्च पद पर होना, सामाजिक प्रतिष्ठा आदि का विचार सप्तम स्थान से किया जाता है।

किसी भी सफल वैवाहिक जीवन का सेक्स एक अभिन्न अंग होता है, अतः इस पक्ष को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। अधिक जानकारी के लिये विस्तृत लेख “सेक्स और रिश्ते ” (sex) भी पढ़े।

कुंडली में नवम भाव (Ninth House ) का महत्त्व

इसे भाग्य तथा धर्म का स्थान भी कहते है। सामाजिक, भौतिक तथा आध्यात्मिक जीवन में मनुष्य द्वारा अर्जित सम्पदा का जीवन में स्थयित्व यही दर्शाता है।

यदि भाग्य में धन सम्पदा के योग हो पर नवम स्थान या नवमेश कमजोर हो तो मनुष्य की धन सम्पदा अर्जित करने के बाद भी स्थायी नहीं रहती है।

उसी प्रकार जीवन में प्रेम विवाह के स्थायित्व को भी नवम भाव दर्शाता है।

यह ऐश्वर्य, सौभाग्य, धर्म – अध्यात्म, अगले जन्म, उच्च शिक्षा, विदेश गमन, उच्च मानसिक स्तर का नेतृत्व करता है।

प्रेम विवाह ( Love Marriage ) योग

ऊपर दिए गये वर्णन से कुंडली भाव एवम उनका महत्त्व स्पष्ट हो गया होगा। तो आइये जानते है, कि उनकी कौनसी युति यह योग बनाती है।

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source : MagicalBrushes

यदि नवम स्थान में राहु, मंगल अथवा शनि उपस्थित हो साथ ही नवम भाव का कर्क गृह बृहस्पति कमजोर या पीड़ित स्थिति में हो।

इसके साथ ही सप्तम भाव का स्वामी लग्न भाव के स्वामी से अधिक मजबूत स्थिति में हो।

कुंडली में यह युति होने पर जातक स्त्री से अधिक प्रतिष्ठित होने पर भी स्त्री से सबके विपरीत जाकर विवाह करेगा।

यदि नवम स्थान अथवा नवम स्थान का स्वामी मजबूत, अच्छी स्थिति में में न हो एवं मंगल, चन्द्रमा, शुक्र, राहु मे से एक या अधिक की उपस्थिति अथवा दृष्टि पंचम स्थान पर हो। तब भी यह स्थिति निर्मित होती है।

सारे भौतिक सुखो और प्रेम एवम विवाह का कारक शुक्र गृह यदि मंगल, शनि अथवा राहु के साथ बैठा हो।

या इनकी दृष्टि शुक्र पर हो तथा साथ ही साथ सप्तम स्थान का स्वामी पंचम स्थान पर बैठ जाये तो यह स्थिति विवाह योग का कारण होती है।

पंचम और सप्तम घर के स्वामी यदि एक साथ पंचम या सप्तम स्थान पर बैठ जाये तो योग बनाते है।

यदि यह परस्पर त्रिकोण स्थिति में हो अर्थात एक दूसरे से पाचवे या नवम स्थान पर हो तो भी सामान परिणाम देते है।

पुनः यदि दोनों स्थान के स्वामि परस्पर एक दूसरे से तीसरे अथवा ग्याहरवें स्थान पर आ जाये।

यदि दोनों स्थान के स्वामि कुंडली में नवम या दसवे अथवा ग्याहरवे स्थान पर एक साथ बैठ जाये साथ ही नवे स्थान का स्वामि ग्रह भी उपस्थित हो।

परन्तु यही युति अगर छटे, आठवें या बारहवें स्थान पर बन जाये तो दोनों के मध्य प्रेम होने के बाद भी परिस्थितिवश प्रेम का बलिदान करना पड़ता है।

सामाजिक परिस्थिति और प्रेम विवाह

उपरोक्त वर्णित ज्योतिष योग भी स्पष्ट रूप से निम्न बातो को ही परिलक्षित करते है।

कि किसी भी विवाह की सफलता के लिये सहिष्णु, वृहद बुद्धि के साथ सोच विचार करने वाला होने के साथ ही परिश्रमी तथा आत्मनिर्भर होना होगा।

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source : jatenipit

यह भी सुनिश्चित कर लेना चाहिये कि विवाह एवं विवाह के पश्चात् की जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए दोनों सक्षम एवं कटिबद्ध हो।

विवाह के पश्चात आने वाले मुश्किल समय में भी एक दूसरे का साथ न छोड़ते हुये एक दूसरे का पूरक बनने के मानसिक सम्बल से युक्त हो।

यदि शुरू में विवाह के लिए सामाजिक तथा पारिवारिक सहमति न होने पर भी विवाह करने पर आपको उपरोक्त बिन्दुओ पर स्वयं को सिद्ध करना होगा।

उसके बाद ही आप को सामाजिक तथा पारिवारिक स्वीकृति मिल सकती है। आपकी कुंडली प्रेम विवाह योग में इन्ही गुणों को प्रतिबिंबित करती है।

और इसके साथ ही विवाह में साथ देने वाले मित्रो के योगदान को भी अनदेखा न करे। मित्रता हेतु दोस्त (dost) पर जाने जय-वीरू की जोड़ी के संजोग।

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