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मेष लग्न की कुंडली में बुद्ध – Mesh Lagn Kundali me Budh (Mercury)

आज हम मेष लग्न की कुंडली में बुद्ध के बारे में विस्तार से जान्ने का प्रयास करेंगे । हम जानेंगे की मेष लग्न की कुंडली में १२ भावों में बुद्ध कैसे फल प्रदान करतेहैं । मेष लग्न कुंडली में बुद्ध तृतीय और षष्टम भाव का स्वामी होने से एक मारक गृह बनता है । अतः ऐसी स्थिति में बुद्ध जिस भाव में जाएगा और जिस भाव को देखेगा उन भावों से सम्बंधित फलों को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करेगा या उनमे कमी लाएगा । मेष लग्न की कुंडली में अगर बुद्ध बलवान ( डिग्री से भी ताकतवर ) होकर स्थित हो तो अशुभ फ़ल अधिक प्राप्त होते हैं । इस लग्न कुंडली में बुद्ध डिग्री में ताकतवर न हो तो इसकी अशुभता में कमी आती है, अतः यहां बुद्ध का कमजोर होना शुभ होता है । यहां बताते चलें की कुंडली के 6, 8, 12 भावों में जाने से योगकारक गृह भी अपना शुभत्व खो देते हैं और अशुभ परिणामदेने के लिए बाध्य हो जाते हैं । केवल विपरीत राज योग की कंडीशन में ही 6, 8, 12 भावों में पड़े गृह शुभ फल प्रदान करने की स्थिति में आते हैं । ( इसलग्न कुंडली में बुद्ध छठे घर का स्वामी भी है । ऐसे में यदि बुद्ध 6, 8, 12 भावों में से किसी एक भाव में स्थित हो जाये और लग्नेश मंगल बलि हो तो यहाँ विपरीत राजयोग का निर्माण होता ही और बुद्ध शुभ फल प्रदान करता है ) । यदि गृह नीच राशिस्थ हो जाये तो अधिकतर फल अशुभ ही प्राप्त होते हैं ।


मेष लग्न – प्रथम भाव में बुद्ध – Mesh Lagan – Budh pratham bhav me :

लग्नेश के अति शत्रु और मेष लग्न की कुंडली में अति मारक बुध यदि लग्न में विराजमान हो जाएँ तो जातक के प्रयास के अनुरूप परिणाम नहीं मिलते हैं ।स्वास्थ्य खराब रहता है । पत्नी से कलह , पार्टनर्स के साथ मन मुटाव रहता है और व्यापार में भी कोई ना कोई परेशानी बनी रहती है ।

मेष लग्न – द्वितीय भाव में बुद्ध – Mesh Lagan – Budh dweetiya bhav me :

ऐसा बुद्ध परिवार के लिए अधिक अशुभ परिणाम ही देता है । ऐसे जातक की वाणी मधुर होती है । परिवार में कोई ना कोई परेशानी या बीमारी बनी रहती है ।शुभ कार्य पूर्ण होने में हमेशा परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।

मेष लग्न – तृतीय भाव में बुद्ध – Mesh Lagan – Budh tritiya bhav me :

छोटी बहन का योग बनता है । जातक बहुत अधिक मेहनती होता है । मेहनत से ही जातक के कार्य पूर्ण होते हैं ।

मेष लग्न – चतुर्थ भाव में बुद्ध – Mesh Lagan – Budh chaturth bhav me :

माता से मन मुटाव रहता है । सभी सुख सुविधाएं जुटाने में बहुत अधिक दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है । माँ का स्वास्थ्य बालक के जन्म से ही खराब रहता है। काम काज में भी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं ।

मेष लग्न – पंचम भाव में बुद्ध – Mesh Lagan – Budh pancham bhav me :

पेट में प्रॉब्लम रहती है , प्रेम संबंधों में असफलता हाथ आती है । अचानक हानि होती है। संतान से दुःख मिलता है ।

मेष लग्न – षष्टम भाव में बुद्ध – Mesh Lagan – Budh shshtm bhav me :

यहां बुद्ध विपरीत राजयोग की स्थिति में आकर शुभ फल प्रदान कर सकते हैं यदि मंगल बलवान हो कर कुंडली के किसी शुभ भाव में स्थित हो जाये तो , अन्यथादुर्घटना का भय बना रहता है । कोर्ट केस या हॉस्पिटल में खर्चा करना पड़ता है । ऋण बढ़ता है , जातक चुकाने की स्थिति में नहीं आ पाता है । अपने घर में होनेसे यहां बुद्ध प्रतियोगिता में जीत दिला सकते हैं ।

मेष लग्न – सप्तम भाव में बुद्ध – Mesh Lagan – Budh saptam bhav me :

पत्नी बीमार रहती है , व्यसाय ठीक नहीं रहता है , साझेदारों को / से परेशानी मिलती है । ऐसे जातक का स्वभाव रूखा रहता है ।

मेष लग्न – अष्टम भाव में बुद्ध – Mesh Lagan – Budh ashtm bhav me :

यहां बुद्ध विपरीत राजयोग की स्थिति में आकर शुभ फल प्रदान कर सकते हैं यदि मंगल बलवान हो कर कुंडली के किसी शुभ भाव में स्थित हो जाये । अन्यथाजातक के साथ साथ उसके परिवार जान भी दिक्कत में आ जाते हैं । बहुत परिश्रम के बाद भी जातक को सुखद परिणाम हासिल नहीं हो पाते हैं ।

मेष लग्न – नवम भाव में बुद्ध – Mesh Lagan – Budh navam bhav me :

बहुत परिश्रम के बाद भी जातक को सुखद परिणाम हासिल नहीं हो पाते हैं । ऐसा जातक नास्तिक होता हो जाता है । पिता से सम्बन्ध खराब रहते हैं ।

मेष लग्न – दशम भाव में बुद्ध – Mesh Lagan – Budh dasham bhav me :

ऐसा जातक ऋण लेकर अपना काम करता है और घाटा उठाता है । बुद्ध की महादशा में केवल नौकरी करे तो बहुत मेहनत से अपना काम चलाने में सफल होता है। ऐसे जातक को कर्मचारी रहकर काम करने से ही लाभ मिलता है । सुख सुविधाओं के साधन जुटाने में बहुत समस्या आती है ।

मेष लग्न – एकादश भाव में बुद्ध – Mesh Lagan – Budh ekaadash bhav me :

बड़े भाई बहनो से परेशानी रहती है । परिश्रम का लाभ भी मुश्किल से ही मिलता है । संतान को/ से कष्ट मिलता है । खुद का स्वास्थ्य भी खराब रहता है । पैसोंका आभाव बना रहता है ।

मेष लग्न – द्वादश भाव में बुद्ध – Mesh Lagan – Budh dwadash bhav me :

यहां बुद्ध नीच के हो जाते हैं । व्यर्थ के खर्चे लगे रहेंगे । वाणी खराब होती है । ऋण वापसी नहीं होगी , रोग लगे रह सकते हैं । विदेश यात्रा नहीं हो पाती है । बहुतमेहनत करने पर भी परिणाम उचित नहीं आ पाते हैं ।

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