Loading...

299 Big Street, Govindpur, India

Open daily 10:00 AM to 10:00 PM

पापांकुशा एकादशी व्रत – जाने व्रत कथा, महत्व, नियम और शुभ मुहूर्त

Uncategorized

पापांकुशा एकादशी व्रत का महत्व

Papankusha Ekadashi Vrat Katha – भगवान श्रीकृष्ण ने कहा: हे कुंतीनंदन! आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम पापांकुशा एकादशी है। इसका व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं तथा व्रत करने वाला अक्षय पुण्य का भागी होता है। आश्विन शुक्ल एकादशी के दिन इच्छित फल की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए। इस पूजन के द्वारा मनुष्य को स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है। हे अर्जुन! जो मनुष्य कठिन तपस्याओं के द्वारा फल की प्राप्ति करते हैं, वह फल इस एकादशी के दिन क्षीर-सागर में शेषनाग पर शयन करने वाले भगवान विष्णु को नमस्कार कर देने से मिल जाता है और मनुष्य को यम के दुख नहीं भोगने पड़ते।

मनुष्य को पापों से बचने का दृढ़-संकल्प करना चाहिए। भगवान विष्णु का ध्यान-स्मरण किसी भी रूप में सुखदायक और पापनाशक है, परंतु पापांकुशा एकादशी के दिन प्रभु का स्मरण-कीर्तन सभी क्लेशों व पापों का शमन कर देता है। जातक को सांसारिक जीवन में सुख शांति, ऐश्वर्य, धन संपदा तथा अच्छा परिवार प्राप्त होता है। इस व्रत से मृत्यु के पश्चात नरक में जाकर यमराज के दर्शन कभी नहीं होते हैं, किंतु सीधे स्वर्ग का मार्ग खुलता है। जो मनुष्य पापांकुशा एकादशी का व्रत रखता है, उसे अच्छा स्वास्थ्य, सुख शांति और ऐश्वर्य प्राप्त होता है।

जो व्यक्ति पूर्ण रूप से उपवास नहीं कर सकते, उनके लिए शाम में एक समय भोजन करके एकादशी व्रत कर सकते हैं। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इससे शरीर स्वस्थ व मन प्रफुल्लित रहता है।

पापांकुशा एकादशी व्रत कथा – Papankusha Ekadashi Vrat Katha

प्राचीन समय में विंध्य पर्वत पर क्रोधन नामक एक बहेलिया रहता था, वह बड़ा क्रूर था। उसका सारा जीवन हिंसा, लूटपाट, मद्यपान और गलत संगति पाप कर्मों में बीता। जब उसका अंतिम समय आया तब यमराज के दूत बहेलिये को लेने आए और यमदूत ने बहेलिये से कहा कि कल तुम्हारे जीवन का अंतिम दिन है हम तुम्हें कल लेने आएंगे। यह बात सुनकर बहेलिया बहुत भयभीत हो गया और महर्षि अंगिरा के आश्रम में पहुंचा ।

महर्षि अंगिरा के चरणों पर गिरकर प्रार्थना करने लगा, हे ऋषिवर! मैंने जीवन भर पाप कर्म ही किए हैं। कृपा कर मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे मेरे सारे पाप मिट जाएं और मोक्ष की प्राप्ति हो जाए। उसके निवेदन पर महर्षि अंगिरा ने उसे आश्विन शुक्ल की पापांकुशा एकादशी का विधि पूर्वक व्रत करके को कहा।

महर्षि अंगिरा के कहे अनुसार उस बहेलिए ने यह व्रत किया और किए गए सारे पापों से छुटकारा पा लिया और इस व्रत पूजन के बल से भगवान की कृपा से वह विष्णु लोक को गया। जब यमराज के यमदूत ने इस चमत्कार को देखा तो वह बहेलिया को बिना लिए ही यमलोक वापस लौट गए।

पापांकुशा एकादशी व्रत विधि

पापांकुशा एकादशी पर भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा की जाती हैं। अन्य एकादशी की भांति पापांकुशा एकादशी का व्रत भी एक दिन पूर्व यानी दशमी तिथि की रात से ही आरम्भ हो जाता है। दशमी की रात से ही मनुष्य को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये।

  • पापांकुशा एकादशी के दिन प्रात: काल स्नानादि नित्य कर्मों से निवृत होकर व्रती को व्रत का संकल्प लेना चाहिये। व्रत करने वाली यदि स्त्री हो तो वो इस बात का ध्यान रखें कि सिर से स्नान न करें।
  • संकल्प लेने के बाद कलश की स्थापना करके उस पर भगवान विष्णु के स्वरूप भगवान पद्मनाभ की प्रतिमा रखें। अगर उनकी प्रतिमा ना होतो उनका चित्र भी रख सकते हैं। और यदि वो भी ना हो तो भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर रखकर फिर उसकी पूजा करें।
  • प्रतिमा को पंचामृत से स्नान करवाकर, चंदन से तिलक करें व नेवैद्य अर्पित करें। फल-फूल अर्पित करें, और धूप, दीप से आरती करें। यदि आप स्वंय ये पूजा नही कर सकते तो किसी योग्य विद्वान ब्राह्मण से भी पूजन करवा सकते हैं।
  • विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत्र का पाठ करें।
  • इसके बाद पापांकुशा एकादशी व्रत का महात्म्य और कथा पढ़े या सुनें।
  • दिनभर उपवास करें। संध्या के समय भगवान की पूजा और आरती के बाद फलाहार करें।
  • अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मण को भोजन करवायें और यथाशक्ति दान-दक्षिणा दे कर संतुष्ट करें।
  • फिर उसके बाद स्वयं भोजन करें।
  • व्रत की रात को जागरण अवश्य करें। इस व्रत के दिन दुर्व्यसनों से दूर रहे और सात्विक जीवन जीयें।

पापांकुशा एकादशी व्रत के नियम

पापांकुशा एकादशी पर भूल कर भी यह काम ना करें।

  • इस दिन स्त्रियाँ सिर से स्नान न करें। यानि बाल न धोयें।
  • भोजन में चावल का सेवन न करें।
  • व्रत करने वाला इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • मौन रखें अन्यथा कम बोलें, बिल्कुल भी क्रोध ना करें।
  • अपने आचरण पर नियंत्रण रखें।

पापांकुशा एकादशी व्रत पूजन सामग्री

भगवान के लिए पीले वस्त्र, श्री विष्णु जी की मूर्ति, शालिग्राम भगवान की मूर्ति, पुष्प तथा पुष्पमाला, नारियल तथा सुपारी, धूप, दीप, तथा घी, पंचामृत (कच्चा दूध, दही, घी, शहद तथा शक्कर का मिश्रण), अक्षत, तुलसी पत्र, चंदन, प्रसाद के लिए मिठाई तथा ऋतु फल, तिल तथा गुड का सगार।

पापाकुंशा एकादशी शुभ मुहूर्त

ज्योतिष पंचांग के अनुसार अश्विन मास की एकादशी तिथि 5 अक्टूबर को दोपहर 12:00 बजे से आरंभ हो जाएगी और इसका समापन अगले दिन 6अक्टूबर को सुबह 9:40 पर होगा। उदया तिथि 6 अक्टूबर को होने के कारण पापांकुशा एकादशी व्रत भी इसी दिन रखा जाएगा।

Written by

Your Astrology Guru

Discover the cosmic insights and celestial guidance at YourAstrologyGuru.com, where the stars align to illuminate your path. Dive into personalized horoscopes, expert astrological readings, and a community passionate about unlocking the mysteries of the zodiac. Connect with Your Astrology Guru and navigate life's journey with the wisdom of the stars.

Leave a Comment

Item added to cart.
0 items - 0.00