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सावन सोमवार व्रत कथा – Sawan Somvar Vrat Vidhi

सावन सोमवार व्रत की सही विधि और कथा – Sawan Somvar Vrat Katha 

Sawan Somvar Vrat Katha Hindi – सावन को भगवान शंकर का महीना कहा जाता है. भगवान शंकर की विधिवत पूजन (Sawan Somvar Vrat Katha) से भोलेनाथ सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. खासतौर से सावन के सोमवार को किए गए उपायों और पूजन से (Sawan Somvar Vrat Katha in Hindi Pdf Download) प्रसन्न होकर भगवान शंकर अपने भक्तों की झोली में हर मनवांछित फल डाल देते हैं. यह भी कहा जाता है कि इस महीने के सोमवार को जो जातक भगवान शंकर और माता पार्वती की एक साथ पूजा करते हैं उन्हें सौभाग्य का वरदान मिलता है और ऐसे जातकों के जीवन में कभी आर्थिक कष्ट नहीं आते. सावन के सोमवार को भगवान शंकर और देवी पार्वती की नियमित रूप से पूजा करने से उनकी अनुकम्पा बनी रहती है और शादीशुदा जिन्दगी में खुशहाली आती है.

सावन सोमवार व्रत कथा – Sawan Somvar Vrat Katha 

Sawan Somvar Vrat Katha – एक साहूकार था जो शिव का अनन्‍य भक्‍त था। उसके पास धन-धान्‍य किसी भी चीज की कमी नहीं थी। लेकिन उसके पुत्र नहीं था और वह इसी कामना को लेकर रोज शिवजी के मंदिर जाकर दीपक जलाता था। उसके इस भक्ति भाव को देखकर एक दिन माता पार्वती ने शिव जी से कहा कि प्रभु यह साहूकार आपका अनन्‍य भक्‍त है। इसी को किसी बात का कष्‍ट है तो आपको उसे अवश्‍य दूर करना चाहिए। शिव जी बोले कि हे पार्वती इस साहूकार के पास पुत्र नहीं है। यह इसी से दु:खी रहता है।

माता पार्वती कहती हैं कि हे प्रभु कृपा करके इसे पुत्र का वरदान दीजिए। तब भोलेनाथ ने कहा कि हे पार्वती साहूकार के भाग्‍य में पुत्र का योग नहीं है। ऐसे में अगर इसे पुत्र प्राप्ति का वरदान मिल भी गया तो वह केवल 12 वर्ष की आयु तक ही जीवित रहेगा। यह सुनने के बाद भी माता पार्वती ने कहा कि हे प्रभु आपको इस साहूकार को पुत्र का वर देना ही होगा अन्‍यथा भक्‍त क्‍यों आपकी सेवा-पूजा करेंगे? माता के बार-बार कहने से भोलेनाथ ने साहूकार को पुत्र का वरदान दिया। लेकिन यह भी कहा कि वह केवल 12 वर्ष तक ही जीवित रहेगा।

सावन सोमवार व्रत विधि – Sawan Somvar Vrat Vidhi Hindi

  • सबसे पहले व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुबह जल्दी उठना चाहिए और नहाकर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद पूजा की सभी सामग्री तैयार कर लेनी चाहिए।
  • इसके बाद व्रत का संकल्प लें और किसी शिव मंदिर में जाएं वहां जाकर भगवान शिव को को सफेद फूल, अक्षत्, चंदन चढ़ाएं । इसके बाद भगवान शिव को प्रिय भांग और धतुरा भी चढ़ाएं।
  • इसके बाद तांबें का लोटा लेकर उससे भगवान शिव का जल अभिषेक करें।
  • पूजा के अंत में भगवान शिव को फल और मिठाइयों का भोग लगाएं और प्रसाद का वितरण करें।
  • पूजन के बाद व्रत कथा सुनें और उसके बाद आरती करें.
  • इसके बाद भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें और भगवान शिव के सामने बैठकर ही शिव चालीसा का पाठ करें।

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