वास्तु शास्त्र न केवल वास्तु नियम बताता है। अपितु वास्तु शांति के उपाय (Vastu Shanti Upay) भी बताता है। जिसकी सहायता से हम अपने घर की नकारात्मक ऊर्जा की समाप्ति कर पाते है।
अपने नए घर में प्रवेश करना हर व्यक्ति का सबसे बड़ा सपना होता है। कई बार हमको किन्ही कारणों से अपनी पसंद और वास्तु अनुरूप घर चुनने का मौका नहीं मिल पाता है।
इसके लिए हम ग्रह प्रवेश से पूर्व वास्तु शांति पूजन की व्यवस्था करते है। जब हमारे जीवन में ये समय आता है, तो हम घर की पॉजिटिव एनर्जी को बनाये रखने के लिए वास्तु शांति के प्रयास (Vastu Shanti Upay) करते है।
वास्तु शांति पूजा मूल रूप से भगवान और दिशाओं के देवता, प्रकृति के पांच तत्वों के साथ-साथ प्राकृतिक शक्तियों तथा अन्य संबंधित चीजों की पूजा या उनका आह्वान करने की विधि होती है।
हम वास्तु शास्त्र की सहायता से वास्तु दोष को दूर करने के लिए वास्तु देवता, प्रकृति के स्वामी एवं उनसे सम्बंधित तत्वों व प्राकृतिक शक्तियों के साथ-साथ दिशाओं और पर्यावरण के देवता की पूजा करते हैं।
चाहे वह भूमि, भवन, प्रकृति या पर्यावरण से जुड़े हो। भवन की संरचना में बड़े परिवर्तन और विध्वंस से बचने के लिए वास्तु शांति की आवश्यकता अधिक होती है।
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Need for Vastu Shanti Upay | वास्तु शांति उपाय की आवश्यकता
कुछ विशेष अवस्थाओं या परिस्थितियों में वास्तु शांति उपायों का महत्व बढ़ जाता है। हमको समस्याओ से निपटने के लिए विशेष उपाय बताता है।
Wrong land selection | विपरीत भूमि चयन होने पर
कई बार हमें हमारी मनमाफिक तथा वास्तु अनुरूप भूखंड नहीं मिल पाता है। इस कारण से यह भूखंड दोषों से परिपूर्ण होता है।
इन दोषों को दूर करने के लिए हमें शांति के उपाय करना ज़रूरी हो जाता है। वरना कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
Defects in Construction | वास्तु नियमों के विरुद्ध भवन निर्माण
कई बार हम भूखंड का चयन वास्तु अनुरूप करते हैं, किन्तु भवन निर्माण के समय कुछ असावधानियाँ दोष को उत्पन्न कर देती हैं। इसलिए हमें धन हानि का सामना करना पड़ता है।
भविष्य में ऐसी समस्या का सामना करने से बचने के लिए हम वास्तु शांति के उपायों का सहारा लेते हैं। क्योंकि समस्या उत्पन्न होने से पहले ही उसका उपाय करने में ही समझदारी है।
संबंधित कमरों और भवनों की आंतरिक त्रुटियां होने पर
कई बार हम भूखंड का चयन वास्तु अनुरूप करते हैं, भवन निर्माण सही करते हैं। किन्तु आंतरिक साज -सज्जा के दौरान नियमों की अनदेखी कर जाते हैं। जिसकी वजह से घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाते है।
इन्ही दोषों को दूर करने के लिए वास्तु शांति अनुष्ठान कराना आवश्यक हो जाता है। ताकि हमारे घर की सुख-शांति तथा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
Buying old House | पुराना घर खरीदने पर
ज़रूरी नहीं होता कि हम सभी अपने लिए नया घर बनवा सकें या खरीद सकें। इसलिए अक्सर हम में से कुछ लोग पुराना घर खरीदते है। इस पुराने घर के साथ उसके मूल निवासियों की ऊर्जा,उनके सामान की ऊर्जा जुडी होती है।
जब कोई दूसरा व्यक्ति उस घर में निवास करने आता है, तो उसके लिए उस घर को अपनी ऊर्जा से जोड़ने के लिए शांति उपाय करवाना बहुत आवश्यक हो जाता है।
ऐसा न हो पाने की दशा में घर में आने वाले नए लोगों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे धन, स्वास्थ्य या अन्य घरेलू समस्याएं।
Reconstruction | स्थानों के नवीनीकरण
कई बार हम अपने घर या व्यावसायिक परिसर का नवीनीकरण करवाते हैं। कारण कोई भी हो सकता है, लेकिन उस दशा में हमारे लिए शांति के उपाय करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है।
अन्यथा उस जगह में रहने वालों को कई साड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। विशेष रूप से धन और स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्यांए उत्पन्न होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
दस वर्ष से अधिक समय होने पर
यदि हमारा व्यावसायिक स्थल या घरेलू निवास 10 वर्ष से अधिक पुराना हो जाता है। उस दशा में भी हमको वास्तु दोष उपाय करने की आवश्यकता होती है।
लम्बे समय तक निवास करने से घर की सकारात्मक ऊर्जा धीरे-धीरे कम होने लगती है। जिसके लिए हमको दोबारा उसका आव्हान करना पड़ता। इसलिए हम वास्तु दोष निवारण उपायों का सहारा लेते है।
लम्बे समय बाद घर लौटने या विदेश यात्रा के बाद
जब हमारा घर काफी समय तक खाली या बंद रहता है,या हम लम्बे समय के बाद विदेश यात्रा से वापस लौटते है। उस दशा में भी हमारे घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है। जिसको दूर करने के लिए वास्तु उपाय करने पड़ते है।
क्योंकि खाली घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है, जोकि उस घर में निवास करने वालों पर विपरीत प्रभाव डालती है। जिसके कारण उनका स्वास्थ्य, धन, मानसिक शांति सभी ख़राब हो सकते हैं।
House Warming | नवीन घर में ग्रह प्रवेश
नए घर में प्रवेश से पहले भी वास्तु दोष उपाय करना आवश्यक होता है। क्योंकि इसके द्वारा आप अपने नए घर को अपनी खुद की ऊर्जा से जोड़ पाते है।
ऐसा करना उस घर में प्रवेश और निवास करने वालों के जीवन में समृद्धि लाता है। इसलिए हमेशा नए घर में प्रवेश से पहले ऐसा ज़रूर करें।
Vastu Shanti Upay | प्रतीकात्मक या सांकेतिक वास्तु शांति उपाय
वास्तु शास्त्र हमको सांकेतिक वास्तु शांति पूजा विधि भी बताता है। इस पद्धति में हम ऊपर बताये वास्तु शांति पूजा के कुछ अपरिहार्य कारणों का पालन करते हैं, और प्रतीकात्मक रूप से इनको शांत या दूर करते हैं।
अपने घर या ऑफिस में वास्तु दोष दूर करने के लिए आप कुछ प्रमुख उपाय कर सकते हैं। जिससे आपके यहाँ सुख, शांति एवं समृद्धि बनी रह सके।
गणेश पूजा या वास्तु पुरुष की नवग्रह शांति पूजा
इसमें हम वास्तु शांति के लिए भगवान गणेश की पूजा करते हैं। जिससे सभी वास्तु दोष दूर होकर हमारे घर या व्यावसायिक परिसर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार हो सके।
नवचंडी यज्ञ, शांतिपथ, अग्निहोत्र यज्ञ
यदि समस्या थोड़ी गंभीर हो तो आप अपने यहाँ वास्तु शांति के लिए नवचंडी यज्ञ,शांतिपाठ यज्ञ या अग्निहोत्र यज्ञ करवा सकते है।
अग्निहोत्र यज्ञ करवाने से यदि आपके घर में बार-बार आग लगने जैसे समस्याएं उत्पन्न हो रही हों, तो वह शांत हो जाती हैं।
वास्तु दोष दूर करने के लिए आप वास्तु पुरुष की मूर्ति,चांदी, तांबे के तार, मोती और पावला से बने नाग को लाल कपड़े में लाल मिट्टी के साथ रखकर पूर्व दिशा में रखें।
Navgraha Shanti | ग्रह शांति के लिए
लाल बालू ,काजू,पोवला को लाल कपड़े में बांधकर मंगलवार के दिन पश्चिम दिशा में रखें और धूप बत्ती से इसकी पूजा करने से घर में शांति आती है।
यदि आप रिनोवेशन के लिए अपने घर का पुनिर्माण करना चाहते है, तो वास्तु पुरुष की अनुमति के बाद उचित प्रार्थना करके पुराने भवन को गिराना चाहिए। जिससे आगे चलकर किसी प्रकार का वास्तु दोष उत्पन्न न हो।
भवन ढहाने के पश्चात वहां से मिट्टी का घड़ा, पानी या आसन आदि घर नहीं ले जाना चाहिए। ऐसा करना शुभ नहीं होता है।
वास्तु उपाय के रूप में प्रतिदिन घर के प्रवेश द्वार की पूजा करें। उस पर स्वास्तिक, मिट्टी के बर्तन का डिजाइन, शुभ-लाभ आदि चावल और कुमकुम से बनायें।
ग्रह शांति तथा घर में लोगों की रक्षा के लिए समय समय पर वास्तु उपाय के रूप में रक्षोघ्न सूक्त जप, होम और अनुष्ठान करना चाहिए।
ॐ नमो भगवती वास्तु देवताय नमः मंत्र का 12500 बार जप करें। इसे मंगलवार से शुरू करें और प्रतिदिन कम से कम 108 बार करे। जब तक 12500 पूरे न हो जाएँ। जाप पूरे होने के अंत में दशांश होम करें।
यदि आपका भूखंड दक्षिण-पश्चिम कट पर हो या परिवार में अशांति होने की स्थिति में आपको वास्तु शांति के लिए पितृ शांति, पिंडदान, नागबली, नारायण बलि आदि उपाय करना चाहिए ।
प्रत्येक सोमवार एवं प्रत्येक अमावस्या के दिन वास्तु शांति एवं ग्रह शांति के लिए रूद्र जाप भी किया जा सकता है। इससे आपको शुभ प्रतिफल प्राप्त होते हैं।
वास्तु दोषों के निवारण के लिए आपको अपने घर में भगवान गणेश की प्रतिमा अवश्य रखना चाहिए। घर में पूजा स्थल एवं नियमित पूजा पाठ से सभी वास्तु दोषों को दूर किया जा सकता है।
शांति एवं सुख समृद्धि के लिए कभी भी नवीन घर में नवग्रह (Navagraha) शांति किए बिना गृह प्रवेश न करें। भूमिगत तहखाने को कभी भी खाली न रखें।हर साल गृह शांति करें क्योंकि हम अपने जीवन में बहुत से पाप कर्म करते हैं।
कुछ वर्षों से खाली पड़े मकान को वास्तु शांति करने के बाद उपयोग में लेना ही उचित रहता है। वास्तु शांति करने के बाद उस घर को 3 महीने से ज्यादा खाली ना रखें।
दक्षिण-पश्चिम दिशा का कमरा खाली न रखें। क्योंकि ऐसा न करने से आप वहां नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देते हैं। घर में पानी के बर्तन के पास रोज शाम को दीया जलाएं।
उपरोक्त वास्तु शांति के उपायों के द्वारा आप ना केवल अपने घर की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते है, बल्कि अपने भीतर भी सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित करते है।
वास्तु शांति विधान के सामान ही फेंग शुई विद्या भी दोषो के निवारण में प्रयुक्त होती है। विस्तृत रूप से जानने के लिए फेंगशुई और वास्तु (Feng shui vs Vastu) पढ़े।
दिशा की तरह यंत्रो का भी महत्त्व है। यंत्र कैसे समस्या समाधान कर हमारे जीवन को अधिक सुन्दर बना सकते है, जानने के लिये यंत्रो का जादू (Yantra) भी पढ़े।
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