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यमुनोत्री धाम यात्रा – Yamunotri Dham Yatra

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लेख सारिणी

यमुनोत्री – Yamunotri 

यमुनोत्री चार धामों मे से एक प्रमुख धाम है. यमुनोत्री हिमालय के पश्चिम में ऊँचाई पर स्थित है. यमुनोत्री को सूर्यपुत्री के नाम से भी जाना जाता है. और यमुनोत्री से कुछ किलोमीटर की दूरी पर कालिंदी पर्वत स्थित है. जो अधिक ऊँचाई पर होने के कारण दुर्गम स्थल भी है. यही वह स्थान है जहां से यमुना एक संकरी झील रूप में निकलती है.

यमुनोत्री धाम – Yamunotri Dham

यह यमुना का उद्गम-स्थल माना जाता है. यहां पर यमुना अपने शुरूवाती रूप मे यानी के शैशव रूप में होती है यहां का जल शुद्ध एवं स्वच्छ तथा सफेद बर्फ की भांती शीतल होता है. यमुनोत्री मंदिर  यमुनोत्री मंदिर का निर्माण टिहरी के राजा महाराजा प्रतापशाह ने बनवाया थान मंदिर में काला संगमरमर है. यमुनोत्री मंदिर के कपाट अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खोले जाते हैं व कार्तिक के महीने में यम द्वितीया के दिन बंद कर दिए जाते हैं.

सर्दियों के समय यह कपाट बंद हो जाते हैं क्योंकी बर्फ बारी की वजह से यहां पर काम काज ठप हो जाता है. और यात्रा करना मना होता है शीतकाल के छ: महीनों के लिए खरसाली के पंडित मां यमुनोत्री को अपने गांव ले जाते हैं पूरे विधि विधान के साथ मां यमुनोत्री की पूजा अपने गांव में ही करते हैं. इस मंदिर में गंगा जी की भी मूर्ति सुशोभित है तथा गंगा एवं यमुनोत्री जी दोनो की ही पूजा का विधान है.

यमुनोत्री धाम का इतिहास – Yamunotri Temple History in Hindi

यमुनोत्री मंदिर गढ़वाल हिमालय के पश्चिम में समुद्र तल से 3235 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है | यह मंदिर चार धाम यात्रा का पहला धाम अर्थात यात्रा की शुरूआत इस स्थान से होती है तथा यह चार धाम यात्रा का यह पहला पड़ाव है । यमुनोत्री धाम का इतिहास यानी मंदिर का निर्माण टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रतापशाह ने सन 1919 में देवी यमुना को समर्पित करते हुए बनवाया था |

यमुनोत्री मंदिर भुकम्प से एक बार पूरी तरह से विध्वंस हो चुका है और इस मंदिर का पुनः निर्माण जयपुर की “महारानी गुलेरिया” के द्वारा 19वीं सदी में करवाया गया था। यमुनोत्री का वास्तविक स्रोत जमी हुयी बर्फ की एक झील और हिमनंद (चंपासर ग्लेशियर) है | जो समुन्द्र तल से 4421 मीटर की ऊँचाई पर कालिंद पर्वत पर स्थित है | मंदिर के मुख्य कर्व गृह में माँ यमुना की काले संगमरमर की मूर्ति विराजत है |इस मंदिर में यमुनोत्री जी की पूजा पुरे विधि विधान के साथ की जाती है | यमुनोत्री धाम में पिंड दान का विशेष महत्व है | श्रद्धालु इस मंदिर के परिसर में अपने पितरो का पिंड दान करते है |

पौराणिक गाथाओ के अनुसार – Yamunotri Dham Story

यमुना नदी सूर्य देव की पुत्री है और मृत्यु के देवता यम की बहन है | कहते है कि भैयादूज के दिन जो भी व्यक्ति यमुना में स्नान करता है |उसे यमत्रास से मुक्ति मिल जाती है | इस मंदिर में यम की पूजा का भी विधान है |

यमुनोत्री धाम के इतिहास का वर्णन हिन्दुओं के वेद-पुराणों में भी किया गया है , जैसे :- कूर्मपुराण, केदारखण्ड, ऋग्वेद, ब्रह्मांड पुराण मे , तभी यमुनोत्री को ‘‘यमुना प्रभव’’ तीर्थ कहा गया है और यह भी कहा जाता है कि इस स्थान पर “संत असित” का आश्रम था | महाभारत के अनुसार जब पाण्डव उत्तराखंड की तीर्थयात्रा मे आए | तो वे पहले यमुनोत्री , तब गंगोत्री फिर केदारनाथ-बद्रीनाथजी की ओर बढ़े थे, तभी से उत्तराखंड में चार धाम यात्रा की जाती है।

यमुनोत्री धाम मन्दिर – Yamunotri Temple

देवता या देवी यमुना काले संगमरमर से बनी है। मंदिर यमुना नदी को समर्पित है, जिसका प्रतिनिधित्व चांदी की मूर्ति के रूप में किया जाता है, जिसे मालाओं से सुसज्जित किया जाता है।
मंदिर के समीप गर्म पानी के झरने हैं जो पहाड़ की गुफ़ाओं से निकलते हैं। सूर्यकुंड सबसे महत्वपूर्ण कुंड है। सूर्यकुंड के पास दिव्य शिला नामक एक शिला है, जिसकी पूजा देवताओ से पहले की जाती है। भक्त मलमल के कपड़े में बंधे चावल और आलूइन गर्म पानी के झरनों में डुबोकर तैयार करते हैं। पके हुए चावल को प्रसादम के रूप में ग्रहण किया जाता है।


यमुनोत्री मंदिर दर्शन – Yamunotri Darshan

यमुनोत्री मंदिर का कपाट 6:00 AM to 8:00 PM तक तीर्थयात्रियों के लिए खुला रहता है।

यमुनोत्री मंदिर में आरती का समय:6:30 pm and 7:30 pm

चार धाम सड़क का नक्शा – Char Dham Road Map

कैसे पहुंचे यमुनोत्री – How To Reach Yamunotri

इस तीर्थ स्थल पर जाने की योजना बनाने वाले पर्यटक हवाई रेल या सड़क मार्ग से जा सकते हैं। नीचे सूचीबद्ध कुछ जानकारी है जो यमुनोत्री तक पहुंचने में मदद करेगी।

यमुनोत्री हवाईजहाज से – Yamunotri By Air

210 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, देहरादून में जॉली ग्रांट हवाई अड्डा पर्यटकों के लिए हवाई मार्ग से यमुनोत्री की यात्रा करने का निकटतम विकल्प है। जॉली ग्रांट हवाई अड्डे पर अगले नजदीकी स्टॉप, हनुमान चट्टी के लिए टैक्सी उपलब्ध हैं। यहां तक ​​कि हवाई अड्डे से यमुनोत्री के लिए सीधी उड़ान के लिए एक हेलीकॉप्टर भी बुक कर सकते हैं।

यमुनोत्री सड़क मार्ग से – Yamunotri By Bus

उत्तराखंड राज्य सभी प्रमुख पर्यटन स्थलों के लिए सड़कों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। हालांकि, यमुनोत्री के पवित्र स्थान की ओर ट्रेक हनुमान चट्टी से शुरू होता है। हनुमान चट्टी के लिए टैक्सी और बसें ऋषिकेश, देहरादून, उत्तरकाशी और टिहरी से बहुतायत में चलती हैं।

रेल द्वारा यमुनोत्री – Yamunotri By Train

उत्तराखंड की राजधानी होने के नाते, देहरादून भारत के सभी प्रमुख शहरों से रेल के माध्यम से आसानी से उपलब्ध है। यमुनोत्री की यात्रा करने वाले तीर्थयात्री रेल मार्ग ले सकते हैं क्योंकि निकटतम स्टेशन देहरादून है। इसके अलावा, कोई भी ऋषिकेश तक रेल सेवाओं का लाभ उठा सकता है। देहरादून या ऋषिकेश पहुंचने पर, टैक्सी और बसों में हनुमान चट्टी की यात्रा कर सकते हैं।

यमुनोत्री के पास स्थित खास स्थल – Places To Visit In Yamunotri

सप्तर्षि कुण्ड – Saptarishi Kund 

यमुनोत्री में स्थित ग्लेशियर और गर्म पानी के कुण्ड सभी के आकर्षण का केन्द्र है. यमुनोत्री नदी के उद्गम स्थल के पास ही महत्वपूर्ण जल के स्रोत हैं सप्तर्षि कुंड एवं सप्त सरोवर यह प्राकृतिक रुप से जल से परिपूर्ण होते हैं. यमुनोत्री का प्रमुख आकर्षण वहां गर्म जल के कुंड होना भी है. यहां पर आने वाले तीर्थयात्रीयों एवं श्रद्धालूओं के लिए इन गर्म जल के कुण्डों में स्नान करना बहुत महत्व रखता है यहां हनुमान, परशुराम, काली और एकादश रुद्र आदि के मन्दिर है.

सूर्य कुंड – Surya Kund

मंदिर के निकट पहाड़ की चट्टान के भीतर गर्म पानी का कुंड है जिसे सूर्य कुंड के नाम से जाना जाता है. यह एक प्रमुख स्थल है यहां का जल इतना अधिक गरम होता है कि इसमें चावल से भरी पोटली डालने पर वह पक जाते हैं और यह उबले हुए चावल प्रसाद के रुप में तीर्थयत्रीयों में बांटे जाते हैं तथा इस प्रसाद को श्रद्धालुजन अपने साथ ले जाते हैं.

गौरी कुंड – Gaurikund

गौरी कुंड भी महत्वपूर्ण स्थल है यहां का जल का जल अधिक गर्म नहीं होता अत: इसी जल में तीर्थयात्री स्नान करते हैं यह प्रकृति के एक अदभुत नजारे हैं. सभी यात्री स्नान के बाद सूर्य कुंड के पास स्थित दिव्य-शिला की पूजा-अर्चना करते हैं और उसके बाद यमुना नदी की पूजा की जाती है जिसका विशेष महत्व है. इसके नजदीक ही तप्तकुंड भी है परंपरा अनुसार इसमें स्नान के बाद श्रद्धालु यमुना में डुबकी लगाते हैं. यमुनोत्री के धार्मिक महत्व के साथ ही मनमोहक प्राकृतिक सौंदर्य के कारण यह प्रकृति की अदभूत भेंट है. यमुनोत्री चढ़ाई  मार्ग वास्तविक रूप में दुर्गम और रोमांचित करनेवाला है.

मार्ग में स्थित गगनचुंबी, बर्फीली चोटियां सभी यात्रियों को सम्मोहित कर देती हैं. इसके आस-पास  देवदार और चीड़ के हरे-भरे घने जंगल ओर चारों तरफ फैला कोहरा एवं  घने जंगलो की हरियाली मन को मोहने वाली है. और पहाड़ों के बीच बहती हुई यमुना नदी की शीतल धारा मन को मोह लेती है यह वातावरण सुख व आध्यात्मिक अनुभूति देने वाला एवं नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण है. भारतीय  संस्कृति में यमुनोत्री को माता का रूप माना गया है यह नदी भारतीय सभ्यता को महत्वपूर्ण आयाम देती है.

जानकीचट्टी – Janki chatti

समुद्र तल से 2,650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित जानकीचट्टी अपने गर्म पानी के झरनों के लिए जाना जाता है। यह यमुनोत्री जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए प्रमुख केंद्र के रूप में जानी जाती है।जानकी चट्टी के थर्मल स्प्रिंग्स यमुनोत्री तीर्थ यात्रा का एक आकर्षण केंद्र है। जानकी चट्टी में पोनी और पालकी उपलब्ध हैं। जानकी चट्टी चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है और भारत-चीन सीमा के करीब है।

हनुमानचट्टी – Hanumanchatti

हनुमान चट्टी हनुमान गंगा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित है। यमुनोत्री धाम से 13 किलोमीटर पहले स्थित, हनुमान चट्टी (2,400 मीटर) एक शांत जगह है जहाँ पर्याप्त मात्रा में आवास की सुविधा है। हनुमान चट्टी में नदी की प्राकृतिक सुंदरता प्रकृति और ग्रामीण इलाकों का अनुभव करने के लिए एक आदर्श स्थान है। यह क्षेत्र लोकप्रिय ट्रेकिंग स्थल भी है।

दिव्या शिला – Divya Shila

दिव्य शिला, जिसे ‘दिव्य प्रकाश का स्लैब’ भी कहा जाता है, एक पवित्र पत्थर या स्तंभ है जो यमुनोत्री और सूर्य कुंड के पास स्थित है। यमुनोत्री मंदिर आने वाले भक्तों को मंदिर परिसर में प्रवेश करने से पहले दिव्य शिला की पूजा करनी होती है।

यमुनोत्री का मौसम – Yamunotri Weather

यमुनोत्री का औसत अधिकतम तापमान लगभग 15-20 डिग्री सेल्सियस है, जबकि औसत न्यूनतम तापमान आसानी से शून्य डिग्री के नीचे चला जाता है। यमुनोत्री में साल भर गर्म और ऊनी कपड़े चाहिए होते है।

यमुनोत्री यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit Yamunotri

यमुनोत्री जाने का सबसे अच्छा समय मई से जून और सितंबर से नवंबर के बीच है। ज्यादातर लोग इसी अंतराल में यात्रा करने आते हैं। अक्टूबर से मार्च तक यमुनोत्री में सर्दी का मौसम रहता है। इस मौसम में, जगह जगह बर्फबारी होती है क्योंकि तापमान 0 डिग्री से नीचे गिर जाता है।

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