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यूँ ही नहीं ऐसे खाटू में दीनो का मेला लगता है लिरिक्स | Yun Hi Nahi Aise Khatu Mein Deeno Ka Mela Lagta Hai lyrics

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यूँ ही नहीं ऐसे खाटू में, दीनो का मेला लगता है,
जग छोड़े जिसे मेरा बाबा उसे, पलकों पे बिठाये रखता है….

हर सवालों को मिलता जवाब अपना,
आँख दर पे संजोती है ख्वाब अपना,
शब्दों में श्याम वर्णन ब्यान क्या करूँ,
इनकी करुणा तो है कल्पना से परे,
अंधकार को भी दर पे आके मिलती रौशनी, हो..
हारों बेचारों पे हर दम ही, मेरा श्याम निगाहें रखता है,
जग छोड़े जिसे मेरा बाबा उसे, पलकों पे बिठाये रखता है,
यूँ ही नहीं ऐसे खाटू में ………..

न्याय होता ये सच्ची अदालत है,
दीनो की श्याम करता हिफाज़त है,
सच्चे भावों भरी गर इबादत है,
पल में दुःख ग़म से मिलती ज़मानत है,
आंसुओं को मिलती यहाँ खुशियों से भरी हंसी, हो..
सोता नहीं वो नसीबा जो, इनकी कृपा से जगता है,
जग छोड़े जिसे मेरा बाबा उसे, पलकों पे बिठाये रखता है,
यूँ ही नहीं ऐसे खाटू में ………..

उसकी उड़ाने क्या कोई रोके,
जिसको उड़ाए श्याम के झोंके,
जग की ज़रूरत उसको नहीं है,
रहता है जो मेरे श्याम का होके,
गिरता नहीं फिर से ‘गोलू’ जो, बाबा के हाथों संभलता है,
जग छोड़े जिसे मेरा बाबा उसे, पलकों पे बिठाये रखता है,
यूँ ही नहीं ऐसे खाटू में ………..

Written by

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