मानव इतिहास में केश सज्जा का आरम्भ ( Hair style history ) भी चेहरे की देखभाल के साथ ही हुआ होगा। हमारे बाल भी हमारे चेहरे की तरह व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा है।
आपकी सुंदरता को बढ़ाने में आपकी केश सज्जा या हेयर स्टायल अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान देता है। यदि आपके बाल व्यवस्थित रूप से कटे, बने या संवरे न हों तो आपकी सुंदरता ही नहीं आपका पूरा व्यक्तित्व ही प्रभावित हो जाता है।
आपकी केश सज्जा आपके पूरे व्यक्तित्व को प्रतिबिंबित करता है। इसलिए आपके लिए अपनी केश सज्जा को हमेशा फैशन तथा आपके चेहरे के आकार के अनुसार होना चाहिए।
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Hair style history | केश विन्यास का वैश्विक इतिहास
हेयर स्टाइलिंग या मानवीय केश सज्जा का सबसे पुराना ज्ञात चित्रण हेयर ब्रेडिंग है, जो लगभग 30,000 साल पुराना है।
इतिहास में, महिलाओं के बालों को अक्सर विशेष तरीकों से विस्तृत एवं सावधानी से चित्रित किया जाता था। इसका प्रमाण पुराने उपलब्ध चित्र एवं कलाकृतियों द्वारा मिलता है।
रोमन साम्राज्य के समय से मध्य युग तक, ज्यादातर महिलाओं ने अपने बालों को तब तक बढ़ाया जब तक यह स्वाभाविक रूप से बढ़ सकते थे ।
प्रमाण बताते हैं कि 15वीं शताब्दी के अंत तथा 16वीं शताब्दी के बीच, महिलाओं में माथे पर एक बहुत ऊंची हेयरलाइन केश सज्जा में आकर्षक मानी जाती थी।
लगभग उसी समय अवधि के दौरान, यूरोपीय पुरुष अक्सर अपने बालों को कंधे की लंबाई से अधिक नहीं काटते थे। 17 वीं शताब्दी की शुरुआत में, पुरुष केशविन्यास में लंबे समय तक बालों में बडे या कर्ल रखने को वांछनीय माना जाता था।
समय के साथ-साथ मानव जाति के विकास के साथ ही केश सज्जा में भी बहुत सारे परिवर्तन होते गए। अलग-अलग संस्कृतियों,जातियों की पहचान उनके केश विन्यास से जानी जाने लगी।
आगे चलकर साल 1624 में फ़्रांस के राजा लुई अष्टम ने पुरुषों के लिए विग या नकली बालों को बनाने की कला को प्रोत्साहन दिया।
सन 1660 में पश्चिमी समाज में पुरुषों द्वारा अपने केश विन्यास के लिए नकली बाल की एक शैली मुलेट या पेरिविग्स का प्रयोग बढ़ चढ़कर किया जाने लगा।
17 वीं शताब्दी में लम्बे बालों की पुरुष विग का प्रचलन बढ़ गया तो 18 वीं शताब्दी में यही विग छोटे साइज़ की हो चुकी थी।
16वीं से 18वीं शताब्दी में पश्चिमी समाज में महिलाओं के केश विन्यास पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा। इस समय काल में महिलाओं द्वारा छोटे बाल रखे जाने लगे थे।
इस दौरान महिलाओं को पफ हेयर स्टाइल का उपयोग अधिक किया जाने लगा था। इस दौरान छोटे बाल रखने के पीछे का मुख्य कारण द्वितीय विश्व युद्ध भी था।
Ancient Indian hair styles | प्राचीन भारतीय केशविन्यास
हम सभी ने भारतीय इतिहास से राजाओं एवं उनके प्रसिद्ध युद्धों के बारे में सुना है। विभिन्न स्मारक, मंदिर, मस्जिद और अन्य प्राचीन संरचनाएं दशकों से मौजूद उत्कृष्ट वास्तुकला के जीवंत उदाहरण हैं।
उसी प्रकार भारतीय फैशन का इतिहास भी एक दिलचस्प क्षेत्र है। भारतीय पुरुषों एवं महिलाओं के केशविन्यास अन्य सभी संस्कृतियों के बीच अपना अनूठा स्थान रखते हैं।
प्राचीन भारत की विभिन्न मूर्तियों, चित्रों एवं तस्वीरों से हमको भारतीय केश विन्यास का ज्ञान प्राप्त होता है। पुरुषों तथा महिलाओं ने अपने बालों को संवारने के तरीके में बहुत सारे दिलचस्प पैटर्न और शैलियों को देखा है।
इस देश में जो कल्पना, कलात्मकता एवं विचार हज्जाम की दुकान के लिए किया गया है, वह कहीं और नहीं पाया जा सकता है।
उस समय लोग बालों को आकर्षण और शक्ति से जोड़ते थे। यहां तक कि देवताओं को भी अनोखे केशों में देखा जाता है।
Ancient gods hair styles | देवी-देवताओं की केश शैलियाँ
भारत में प्राचीन समय से लोग विभिन्न देवी देवताओं में अपनी श्रद्धा एवं भक्ति रखते आये हैं। अपनी पूजा अर्चना को प्रदर्शित करने के लिए वह उनकी छवियां एवं मूर्तियां बनाते हैं।
जिनमे उनकी अलग-अलग केश शैलियां देखी जा सकती हैं। लोकप्रिय हिंदू भगवान शिव को उलझे हुए बाल या जटा पहने दिखाया जाता है।
कुछ चित्रों में उनके बालों को एक बन के रूप में देखा जाता है जिसे रुद्राक्ष माला का उपयोग करके एक साथ बंधा रखा जाता है। देवी पार्वती की छवियों में भी उन्हें बालों में रुद्राक्ष पहने हुए दिखाया गया है।
भगवान कार्तिकेय के चित्र पर त्रिशिखा हेयरकट देखा जाता है और बुद्ध को घुंघराले एवं लहराते बाल में देखा जाता है, जो कभी-कभी एक छोटे से गोखरू में बंधे होते हैं।
Hair styles in Harappa civilization | हड़प्पा सभ्यता में केश विन्यास
हड़प्पा सभ्यता की महिलाओं एवं पुरुषों को भी भांति-भांति के केश बनाने का शौक था। मानव मूर्तियों में महिलाओं को घुंघराले या नुकीले बालों के साथ दिखाया गया है।
इस सभ्यता में बालों को सजाने के लिए फूलों एवं पट्टियों का इस्तेमाल किया जाता था। पुरुष अपने बालों को पीछे की ओर कंघी करके बांध कर रखते थे ।
कुछ पुरुष अपने बालों को दूसरों से अलग दिखाने के लिए एक तरफ से खुला तो दूसरी तरफ गूंध कर रखते थे।कुछ एक हिस्से को बंधा और दूसरे को कर्ल रखना भी एक स्टाइल था ।
हड़प्पा संस्कृति में बालों को ऊपर खींचना और सिर के ऊपर रिंग शेप बनाना भी एक आम स्टाइल था। ताकि कोह दूसरी सभ्यताओं से अलग दिख सकें।
उस समय के जितने भी चित्र, शास्त्र एवं मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं, वे दर्शाती हैं कि केश कला उनके दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग था।
विशेष अवसरों के लिए पुरुषों एवं महिलाओं दोनों द्वारा विस्तृत केशविन्यास बनाये जाते थे। विस्तृत हेयरस्टाइल को भी टियारा, फ़िललेट्स और गहनों से सजाया जाता था।
Mohenjo-Daro dancing girl hair styles
हड़प्पा सभ्यता की खुदाई के दौरान मिली नृत्यांगना की मूर्ति (मोहनजोदड़ो की लोकप्रिय डांसिंग गर्ल ) दुनिया भर के पुरातत्वविदों एवं इतिहासकारों के लिए दिलचस्पी का विषय रही है।
उसके आसन, आभूषण, वस्त्र सभी का अध्ययन विस्तृत रूप से किया गया है ,एवं अवलोकनों से कई सिद्धांत निकाले गए हैं। जिस पहलू पर ज्यादा ध्यान नहीं गया वह है ,उसकी केश शैली।
उसकी केश शैली उसके बाएं कान के ठीक ऊपर से शुरू होकर, बालों का एक भारी द्रव्यमान कुंडलित होता है जो उसके कंधे पर गिरता हुआ दिखाई देता है।
बालों को भी गहनों से सजाया गया है, यह उस समय की महिलाओं के केश विन्यास का प्रतीक है।जो उसकी पहचान को अलग रखता है। अन्य मूर्तियों में महिलाओं को चोटी एवं पट्टियों के साथ लंबे भारी बालों में दिखाया गया है।
इस सभ्यता की हेयर स्टाइल की विस्तृत श्रृंखला यह दर्शाती है कि महिलाओं ने विवाह, मातृत्व का जश्न मनाने, या अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे अवसरों के आधार पर अपना रूप बदल दिया।
Hair styles in Mauryan empire | मौर्यकालीन केश कला
मौर्य काल की महिलाओं को हेयरड्रेसिंग का बहुत शौक था। इस काल से प्राप्त पत्थर एवं टेराकोटा की मूर्तियाँ इसका जीवंत प्रतीक हैं।
अर्थशास्त्र के अनुसार प्रचलित दो हेयर स्टाइल गंजा सिर या लटदार बाल थे। यक्ष या देवी के परिचारक अपने बालों में कंघी करते थे और पीठ पर एक लूप के साथ एक गाँठ बाँधते थे।
इस समयकाल में पुरुष अपने बालों को माथे से पीछे की ओर ब्रश करते थे। किसी को छोटे बाल कटवाना पसंद था ,तो किसी को लंबे बालों को गांठ में बांध कर रखना ।
पुरुषों के बीच दाहिनी ओर एक गाँठ के साथ एक सींग के आकार की व्यवस्था रखना आम बात थी।
सांची की महिलाएं भी बड़े करीने से अपने बालों को बांधती थीं। तपस्वी स्त्रियाँ सिर के चारों ओर केशों को कुंडलित रखती थीं।
Kushan empire hair styles | कुषाण काल केश कला
इस राजवंश के तहत विकसित हुई गांधार कला उस समय के लोगों के बीच घुंघराले केश रखने की प्रथा या प्रचलन को उजागर करती है।
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले की एक प्रसिद्ध कुषाण कला में भगवान शिव को माथे पर तीसरी आंख के साथ दर्शाया गया है तथा उनके जटा के 12 बैंड बालों के 4 किस्में से बंधे हैं।
इस समय काल की महिलाएं अपने बालों को टियारा से ब्रश करती थीं। उनकी पीठ पर बाल स्वतन्त्र रूप से लहराते थे।
नाट्य शास्त्र के अनुसार, केशविन्यास एक भौगोलिक क्षेत्र से दूसरे में भिन्न होते हैं। मालवा की महिलाओं ने जहां कर्ल किए थे, वहीं गौड़ा की महिलाओं ने गांठें और बालों को बांधा था।
केशविन्यास तब भी आपकी स्थिति एवं ओहदे का प्रतीक होते थे। अभिजात वर्ग अपने बालों को कई अलग-अलग शैलियों में व्यवस्थित करता था, इस प्रकार किसानों से उनका केश विन्यास अलग होता था।
गुप्त काल केश विन्यास
इस काल की देवी पार्वती की एक सुंदर टेराकोटा की आकृति मिली है, जिसे पीठ में बंधे घुंघराले बालों के साथ देखा जा सकता है।
इसे गोल आकार के गहनों से भी सजाया गया था। इस दौरान दोनों विदेशी और स्वदेशी केशविन्यास ने लोकप्रियता हासिल की। कुछ केश विन्यास गहनों से सजे छोटे बाल विदेशी शैली का प्रतिनिधित्व करते थे।
स्वदेशी शैली में लंबे बाल शामिल थे जो बन्स या गांठों में बंधे हुए थे तथा लूप में या ढीले बंधे होते थे। मध्य भाग वाले बाल और सुंदर सिर वाली महिलाएं भी इस दौरान प्रचलित थीं।
Medieval India hair styles | मध्यकालीन भारतीय केश विन्यास
आज के समय में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान के कला केंद्रों में मध्य युग के विभिन्न हेयर स्टाइल प्रदर्शित किए गए हैं।
चंदेल काल की महिलाओं ने चिगनों या बन्स को प्राथमिकता दी। दूसरी और बालों को वापस कंघी किया गया था एवं उनको गर्दन के पीछे से एक छोटी छोटी मुक्त छोड़ दी गयी थी।
Indian women’s hair styles | भारतीय महिलाएं एवं केश विन्यास
जब भारतीय महिलाओं की सुंदरता के विषय में चर्चा की जाती है,तो सबसे पहले उनके बालों की बात की जाती है। अधिकतर भारतीय महिलाएं अपने बाल लम्बे रखना ही पसंद करती है।
प्राचीन समय से उनके सुन्दर,लम्बे तथा घने बालों को उनकी सुंदरता का मापदंड माना गया है। उनके लंबे काले केशों पर अनेक कविताएं लिखी गयी हैं।
किसी भी पुरुष को अपने रूप जाल में बांधने में भारतीय महिलाओं द्वारा अपने बालों के जादू का उपयोग किया जाता रहा है।
महाभारत की एक किवदंती के अनुसार जब भरी सभा में कौरवों द्वारा द्रौपदी को उसके लम्बे बालों से खींचकर लाया गया,एवं उसका अपमान किया गया।
अपने अपमान से क्रोधित होकर द्रौपदी ने प्रण लिया कि वह अपने बालों को तब तक नहीं बांधेंगी, जब तक वो उन्हें दुशासन के रक्त से धो नहीं लेगी।
ऐसी बहुत सारी कहानियां एवं किवदंतियां भारतीय महिलाओं के बालों को लेकर इतिहास में देखि सुनी जा सकती हैं।
समय के साथ-साथ भारतीय स्त्रियों की केश विन्यास कला में परिवर्तन होते रहे हैं। भिन्न-भिन्न जातियों, समाज एवं वर्ग के अनुसार भारतीय महिलाओं के केश विन्यास देखे जा सकते है।
तमिल महिलाओं की एक दिलचस्प केश शैली होती है जहां वे बालों को पांच भागों में बांटती हैं और प्रत्येक को अलग तरीके से सजाती हैं।
फिर सभी भागों को इकट्ठा किया जाता और पीठ में सुंदर ढंग से लटकने के लिए एक लंबा छोर छोड़कर बांध दिया जाता है।
बालो के विषय में कुछ भी करने से पहले हमे हमारे बालो के बारे में सही सही जानकारी होना जरुरी है। अपने बालो के बारे में जानने के लिये बालो के प्रकार ( types of hair ) को भी पढ़े।
बालो को सुरक्षित तरीके से कलर करना एक समस्या। बालो की इस समस्या के समाधान के लिए नेचुरल हेयर कलर के तरीके ( Natural Hair Color ) पर क्लिक करे।
बालो का झड़ना, बालो का काम होना या पतला होने जैसी समस्या के समाधान के लिए हेयर फॉल के नुस्खे ( hair fall ) पढ़े।
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