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जानिए राहु महादशा के बारे में – Know about Rahu Mahadasha

वैदिक ज्योतिष में राहु को एक छाया गृह के रूप में जाना जाता है । इन्हें तीसरे, छठे और दसवें भाव का कारकत्व प्राप्त है । राहु महादशा अठारह वर्ष की होती है । आज हम YourAstrologyGuru.Com के माध्यम से आपसे सांझा करने जा रहे हैं की मति भ्र्म, छल कपट, चालबाजी के कारक और अचानक लाभ पहुँचाने वाले राहु की महादशा में हमें किस प्रकार के फल प्राप्त होने संभावित हैं । इसके साथ ही हम यह भी आपको ऐसे उपायों के बारे में भी बताएँगे जो अति क्रूर राहु के नकारात्मक परिणामों को कम करने में सहायक हैं । आइये जानते हैं राहु की महादशा में प्राप्त होने वाले शुभ अशुभ फलों के बारे में …

राहु महादशा के शुभ फल Positive Results Of Rahu Mahadasha :

राहु की महादशा अठारह वर्ष की होती है । यदि लग्न कुंडली में राहु लग्नेश के मित्र हों, अपनी उच्च अथवा मित्र राशि में शुभ भावस्थ हों और जिस भावमे राहु स्थित हों उसका स्वामी भी शुभ स्थित हो तो जातक/जातिका को निम्लिखित फल प्राप्त होने संभावित होते हैं …


  • उचित स्थित होने पर राहु जातक/जातिका को बहुत ईमानदार बनाता है ।
  • ऐसा राहु जातक को सुपर इंटेलीजेंट बनाता है ।
  • ऐसी जगह से अचानक लाभ करवाता है जो जातक की सोच से परे हो ।
  • सी.आई.डी अथवा गुप्तचर विभाग में ऊंचे पद पर आसीन करवाता है ।
  • ऐसे जातक पर माँ दुर्गा की विशेष कृपा होती है ।
  • यह जातक को बेस्ट स्नाइपर बनाता है ।
  • दुश्मनों की मति को भ्रमित करता है ।
  • जुआ, सट्टा व् लाटरी से लाभ करवाता है ।
  • दसवें भाव में स्थित होकर जातक को बेस्ट राजनीतिज्ञ बनाता है ।
  • तीसरे भाव में स्थित होकर जातक को पराक्रमी बनाता है ।
  • छठे भाव में स्थित राहु जातक को शत्रुहंता बनाता है ।
  • धन, मान, सम्मान, यश, कीर्ति प्रदान करता है ।
  • सौभाग्य में वृद्धिकारक हैं ।
  • कलात्मक अभिव्यक्तियों जैसे गायन, वादन, नृत्य, अभिनय व् लेखन से लाभ प्राप्ति होती है ।
  • प्रशासन से लाभ करवाता है ।
  • कन्या संतति व् उच्च पद प्राप्त होता है ।
  • स्थानांतरण से लाभ होता है ।
  • उच्चतम शिक्षा प्रदान करते हैं ।
  • विदेश यात्राएं करवाता है ।
  • सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं साथ ही धन में वृद्धि होती है ।
  • वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाता है ।
  • धन धान्य से भरपूर अचल संपत्ति का स्वामी बनाता है ।
  • तरक्की के नए नए अवसर प्राप्त होते हैं ।
  • ऐश्वर्य, भोग, विलास व् सभी सुखों की प्राप्ति होती है ।
  • अचानक सम्मान दिलवाता है ।
  • भूमि, मकान वाहन का सुख प्रदान करता है ।
  • नवम से सम्बन्धित राहु धार्मिक यात्राएं करवाते हैं ।
  • विदेशों में भी जातक जातिका की कीर्ति होती है ।
  • राज्य से लाभ सम्मान प्राप्त होता है ।
  • भूमि, मकान सम्बन्धी रुके हुए कार्य संपन्न होते हैं ।
  • प्रतियोगिताओं में विजय पताका फहराती है ।
  • घर में मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं ।
  • कार्य व्यापार से लाभ होता है ।
  • बाधाएं दूर होती हैं ।
  • कोर्ट केस सम्बंधित मामलों में विजय प्राप्त होती हैं ।

Also Read: राहु देवता के जन्म की कहानी, Rahu Devta Ke Janam Ki Kahani

राहु की महादशा के अशुभ फल Negitive Results Of Rahu Mahadasha :

यदि लग्न कुंडली में राहु अशुभ राशि में स्थित हों, अथवा जिस राशि में स्थित हों उसका स्वामी अशुभ भावस्थ हो जाए, पाप कर्त्री से प्रभावित हो जाए अथवा राहु अपनी उच्च राशि वृष या मिथुन में न हो तो जातक/जातिका को निम्लिखित फल प्राप्त होने संभावित होते हैं …

  • मृत्यु तुल्य कष्ट प्राप्त होते हैं ।
  • मति भ्र्म होता है अर्थात दिखाई कुछ देता है होता कुछ और ही है ।
  • अत्यंत क्रूर व् क्रोधी बनाता है ।
  • जुआ, सट्टा, व् नशों का आदि बनाता है ।
  • कत्लखाने ( Slaughter House ) में नौकरी करवाता है ।
  • जेल भी पहुंचा सकता है ।
  • सभी प्रकार के सुखों में कमी आती है ।
  • चिंता बढ़ाते हैं, पीड़ा पहुंचते हैं, कष्टों में वृद्धिकारक होते हैं ।
  • घर में कलह रहता है ।
  • राज्य, प्रशासन से भय बना रहता है ।
  • मानसिक परेशानी बढ़ती है, माता को कष्ट होता है ।
  • रोग लगने की सम्भावना बनती हैं ।
  • मकान, जमीन, वाहन से लाभ नहीं मिल पाता ।
  • कष्टों में वृद्धि होती है ।
  • राजदंड हो सकता है ।
  • मृत्यु तुल्य कष्ट देते हैं ।
  • धन की चोरी हो सकती है ।
  • ऋण के कारण परेशानी होती है ।
  • स्थान परिवर्तन होता है ।
  • पाप कर्मों में संलिप्त करवाता है ।
  • मान हानि होती है, प्रतिष्ठा में कमी आती है ।
  • विवाह में विलम्ब की स्थिति उत्पन्न हो जाती है ।
  • मकान, वाहन, जमीन सम्बन्धी मामलों से परेशानी बढ़ती है ।
  • शुभ कार्यों में विलम्ब होगा ।
  • संतान प्राप्ति में बाधा आती है ।
  • माता पिता का स्वास्थ्य खराब रहता है ।
  • दाम्पत्य जीवन में परेशानियां आती हैं ।
  • व्यय बढ़ जाते हैं ।
  • अचानक हानि होती है ।
  • कीर्ति को बट्टा लगता है ।
  • डिमोशन हो सकती है ।
  • संतान को कष्ट होता है ।
  • मन पीड़ित रहता है ।

राहु के कुप्रभाव से बचने के उपाय Rahu Remidies :

  • शनिवार को काले तिल, जौं, नीलम रत्न, काले उड़द को काले कपड़े में बांधकर किसी जमादार को दान करें ।
  • शनिवार का व्रत रखें ।
  • कोयला, तिल, नारियल, जौ, ताम्बा बहते जल में प्रवाहित करें । यह उपाय भी शनिवार को करें ।
  • काले कुत्ते की सेवा करें । कुत्ते को मीठी रोटियां खिलाएं ।
  • घर में मोर पंख रखें ।
  • ज़रूरतमंद की सहायता करें ।
  • काले तिल चींटियों को खिलाएं ।
  • जमादार को चाय पत्ती दाएं करें ।
  • शनिवार को किसी गरीब को गरम कम्बल या जुराबें दान करें ।
  • संध्याकाळ में शनि चालीसा का पाठ करें ।
  • पीपल के नीचे दिया जलाएं ।
  • किसी मंदिर में लाइट की व्यवस्था करें ।
  • ” ॐ भ्रां भ्रीं सः राहवे नमः ” का 108 बार नियमित जाप करें ।
  • ॐ नमः शिवाय का नियमित जाप सर्वाधिक लाभदायक होता है ।
  • राहु सम्बन्धी रत्न गोमेध धारण करने से पूर्व किसी योग्य विद्वान से कुंडली विश्लेषण करवाना न भूलें ।

ध्यान देने योग्य है की किसी भी गृह की से सम्बंधित पूजा, पाठ, व्रत, प्रार्थना की जा सकती है भले ही वह गृह लग्नेश का मित्र हो अथवा नहीं । स्टोन केवल लग्नेश के मित्र शुभ स्थानस्थ गृह अथवा कुछ विशेष परिस्थितियों में शुभ स्थानस्थ सम गृह का ही धारण किया जाता है । दान लग्नेश के शत्रु अकारक गृह से सम्बंधित वस्तुओं का किया जाता है और यदि अकारक गृह बहुत प्रभावशाली हो तो उसे शांत करने के लिए गृह से सम्बंधित वस्तुओं का जल परवाह किया जाता है ।

यहाँ हमने ( YourAstrologyGuru.Com ) केवल राहु की महादशा में प्राप्त होने वाले फलों की संभावना व्यक्त की है । किसी भी उपाय को अपनाने अथवा कोई स्टोन धारण करने से पूर्व किसी योग्य विद्वान से कुंडली विश्लेषण करवाना परम आवश्यक है ।

Written by

Your Astrology Guru

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