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जानिए शुक्र महादशा के बारे में – Know about Venus Mahadasha

वैदिक ज्योतिष में शुक्र देव को दैत्य गुरु के रूप में जाना जाता है । इन्हें चौथे भाव में दिशाबाल प्राप्त होता है । कालपुरुष कुंडली में शुक्र को को दुसरे व् सातवें भाव का स्वामित्व प्राप्त है । इनकी महादशा बीस वर्ष की होती है । आज हम YourAstrologyGuru.Com के माध्यम से आपसे सांझा करने जा रहे हैं की सभी प्रकार के भोगों व् दाम्पत्य के कारक शुक्र की महादशा में हमें किस प्रकार के फल प्राप्त होने संभावित हैं । इसके साथ ही हम यह भी आपको ऐसे उपायों के बारे में भी बताएँगे जो शुक्र के नकारात्मक परिणामों को कम करने में सहायक हैं । आइये जानते हैं शुक्र की महादशा में प्राप्त होने वाले शुभ अशुभ फलों के बारे में …


शुक्र महादशा के शुभ फल Positive Results Of Venus/shukra Mahadasha :

शुक्र की महादशा बीस वर्ष की होती है । यदि लग्न कुंडली में शुक्र एक कारक गृह हों और शुभ स्थित भी हों तो जातक/जातिका को निम्लिखित फल प्राप्त होने संभावित होते हैं …

  • धन, मान, सम्मान, यश, कीर्ति प्रदान करते हैं ।
  • सौभाग्य में वृद्धिकारक हैं ।
  • कलात्मक अभिव्यक्तियों जैसे गायन, वादन, नृत्य, अभिनय व् लेखन से लाभ प्राप्ति होती है ।
  • प्रशाशन से लाभ होता है ।
  • कन्या संतति व् उच्च पद प्राप्त होता है ।
  • स्थानांतरण से लाभ होता है ।
  • उच्चतम शिक्षा प्रदान करते हैं ।
  • उच्च पदासीन करवाते हैं ।
  • विदेश यात्राएं करवाते हैं ।
  • सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं साथ ही धन में वृद्धि होती है ।
  • वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाते हैं ।
  • निरोगी काया प्रदान करते हैं ।
  • धन धान्य से भरपूर अचल संपत्ति का स्वामी बनाते हैं ।
  • कार्य व्यापार में लाभ प्राप्त होता है ।
  • वेल फर्निश्ड नया घर प्राप्त होता है ।
  • शत्रुओं का शमन होता है ।
  • आदर मान सम्मान की प्राप्ति होती है ।
  • तरक्की के नए नए अवसर प्राप्त होते हैं ।
  • ऐश्वर्य, भोग, विलास व् सभी सुखों की प्राप्ति होती है ।
  • पदोन्नति होती है ।
  • भूमि, मकान वाहन का सुख प्राप्त होता है ।
  • अचानक लाभ होता है ।
  • यश, मान, प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है ।
  • माता पिता बंधू बांधवों से सम्बन्ध मधुर रहते हैं, लाभ प्राप्त होता है ।
  • नवम से सम्बन्धित शुक्र धार्मिक यात्राएं करवाते हैं ।
  • विदेशों में जातक जातिका की कीर्ति होती है ।
  • राज्य से लाभ सम्मान प्राप्त होता है ।
  • भूमि, मकान सम्बन्धी रुके हुए कार्य संपन्न होते हैं ।
  • प्रतियोगिताओं में विजय पताका फहराती है ।
  • घर में मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं ।
  • कार्य व्यापार से लाभ होता है ।
  • बाधाएं दूर होती हैं ।
  • कोर्ट केस सम्बंधित मामलों में विजय प्राप्त होती हैं ।

Also Read: शुक्र देवता के जन्म की कहानी, Shukra Devta Ke Janam Ki Kahani

शुक्र की महादशा के अशुभ फल Negitive Results Of Venus/shukra Mahadasha :

यदि लग्न कुंडली में शुक्र एक अकारक गृह हों और अशुभ भाव में स्थित भी हों अथवा राहु, या केतु से दृष्ट हों या शत्रु राशिस्थ हों, शत्रु से दृष्ट हों या छह, आठ, बारहवें में से किसी भाव के स्वामी से सम्बन्ध बनाते हों तो जातक/जातिका को निम्लिखित फल प्राप्त होने संभावित होते हैं …

  • चिंता बढ़ाते हैं, पीड़ा पहुंचते हैं, कष्टों में वृद्धिकारक होते हैं ।
  • घर में कलह रहता है ।
  • राज्य, प्रशासन से भय बना रहता है ।
  • मानसिक परेशानी बढ़ती है, माता को कष्ट होता है ।
  • रोग लगने की सम्भावना बनती हैं ।
  • मकान, जमीन, वाहन से लाभ नहीं मिल पाता ।
  • कष्टों में वृद्धि होती है ।
  • राजदंड हो सकता है ।
  • मृत्यु तुल्य कष्ट देते हैं ।
  • धन की चोरी हो सकती है ।
  • ऋण के कारण परेशानी होती है ।
  • स्थान परिवर्तन होता है ।
  • पत्नी को कष्ट होता है ।
  • मान हानि होती है, प्रतिष्ठा में कमी आती है ।
  • विवाह में विलम्ब की स्थिति उत्पन्न हो जाती है ।
  • मकान, वाहन, जमीन सम्बन्धी मामलों से परेशानी बढ़ती है ।
  • शुभ कार्यों में विलम्ब होगा ।
  • संतान प्राप्ति में बाधा आती है ।
  • माता पिता का स्वास्थ्य खराब रहता है ।
  • दाम्पत्य जीवन में परेशानियां आती हैं ।
  • व्यय बढ़ जाते हैं ।
  • अचानक हानि होती है ।
  • कीर्ति को बट्टा लगता है ।
  • डिमोशन हो सकती है ।
  • संतान को कष्ट होता है ।
  • मन पीड़ित रहता है ।
  • शुक्रवार का व्रत रखें ।
  • पत्नी सहित सभी माताओं बहनों का सम्मान करें ।
  • पत्नी को खुश रखें ।
  • घर में कोई कन्या हो तो उसके चरण स्पर्श करके घर से निकलें ।
  • यदि लग्न शुक्र का मित्र है और शुक्र एक कारक गृह होकर शुभ स्थित हों, लेकिन कमजोर हों ( कम डिग्री के हों ) तो हीरा अथवा जरकन धारण करें ।
  • चाँदी का कड़ा धारण करें ।
  • सफ़ेद वस्त्र पहने ।
  • परफ्यूम लगाएं ।
  • इलाइची के पानी से नहाएं ।
  • शुक्रवार को कन्याओं को खीर खिलाएं । स्वयं भी खाएं ।
  • ज़रूरतमंद की सहायता करें ।
  • सफ़ेद वस्तुओं का दान करें ।
  • काली चींटियों को चीनी खिलाएं ।
  • ”ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” का 108 बार नियमित जाप करें ।

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